संज्ञा
- संज्ञा के मूल रूप को प्रातिपदिक कहते हैं ।
- सामान्य रूप से संस्कृत भाषा में एक शब्द से विभक्ति, वचन, अंताक्षर और लिंगानुसार विविध रूप बनते हैं ।
- सात विभक्ति और तीन वचनों के प्रत्ययों के जुड़ने से प्रत्येक प्रातिपदिक के 21 रूप बनते हैं । उन्हें ही शब्द रूप अथवा विभक्ति रूप कहा जाता हैं । सम्बोधन विभक्ति प्रथमा विभक्ति का ही एक भाग है अतः इसे पृथक नहीं माना जाता है ।
- अष्टाध्यायी के सूत्रों पर आधारित नियमों के अनुसार बनाये गये सूचियां और अभ्यास द्वारा प्रातिपदिकों से संज्ञाओं के निर्माण में निपुण बनें ।
क्रियापद क्या होते हैं
- क्रियापद वे शब्द होते हैं जो क्रिया का बोध कराते हैं । क्रियापद के मूल रूप को धातु कहते हैं । प्रत्येक धातु से अनेक क्रियापद बनते हैं जिसे धातुरूप कहते हैं ।
- संस्कृतमे धातुओं को दस समूहों में वर्गीकृत किया गया है । उनके धातुरूप तीन पुरुष, तीन पद, तीन प्रयोग, तीन वचन और विभिन्न लकारों के अनुसार निर्मित किये गये हैं ।
- अष्टाध्यायी के सूत्रों पर आधारित नियमों के अनुसार बनाये गये सूचियां और अभ्यास द्वारा धातुओं से क्रियापदों के निर्माण में निपुण बनें
सर्वनाम क्या होता है
- जो नाम सभी को या किसी को भी दिया जा सकता हैं उन्हें संस्कृत में सर्वनाम कहते हैं । संस्कृत में "सर्वादीनि सर्वनामानि" सूत्र से सर्वनाम का विधान किया गया हैं । इस सूत्र के अनुसार, सर्वादिगण में विद्यमान सर्व, विश्व, उभ जैसे सभी शब्दों को सर्वनाम कहा गया हैं ।
- संज्ञा की तरह सर्वनाम के मूल रूप को भी प्रातिपदिक कहते हैं । सर्वनाम के प्रातिपदिक के भी 21 रूप बनते हैं ।
- अष्टाध्यायी के सूत्रों पर आधारित नियमों के अनुसार बनाये गये सूचियां और अभ्यास द्वारा प्रातिपदिकों से सर्वनाम के निर्माण में निपुण बनें ।
कृत प्रत्यय क्या होता है
- प्रत्यय उस शब्दांश को कहते हैं, जो किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। धातु के अन्त में प्रयुक्त होने वाले प्रत्ययों को 'कृत' प्रत्यय कहते हैं और उनके मेल से बने शब्द को 'कृदन्त' कहते हैं।
- अष्टाध्यायी के सूत्रों पर आधारित नियमों के अनुसार बनाये गये सूचियां और अभ्यास द्वारा धातुओं और कृत प्रत्ययों को जोड़कर कृदन्त शब्द बनाने में निपुण बनें ।
तद्धित प्रत्यय
- प्रत्यय उस शब्दांश को कहते हैं, जो किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रातिपदिक के अन्त में प्रयुक्त होने वाले प्रत्ययों को 'तद्धित' प्रत्यय कहते हैं और उनके मेल से बने शब्द को 'तद्धितान्त' कहते हैं।
- अष्टाध्यायी के सूत्रों पर आधारित नियमों के अनुसार बनाये गये सूचियां और अभ्यास द्वारा प्रातिपदिकों और तद्धित प्रत्ययों को जोड़कर तद्धितान्त शब्द बनाने में निपुण बनें ।
संख्या
- संस्कृत में, संख्या संज्ञाओं का ही एक हिस्सा हैं। उन्हें केवल सीखने में आसानी के लिए यहाँ अलग से वर्गीकृत किया गया है।
- अष्टाध्यायी के सूत्रों पर आधारित नियमों के अनुसार बनाये गये सूचियां और अभ्यास द्वारा प्रातिपदिकों से संख्याओं का निर्माण सीखें ।