मानव विकास का नैदानिक अध्ययन |Clinical Study of Human Development

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मानव विकास का नैदानिक अध्ययन 
Clinical Study of Human Development
 
मानव विकास का नैदानिक अध्ययन  Clinical Study of Human Development

नैदानिक अध्ययन दो विधियों द्वारा किया जाता है

a) नैदानिक विधि

  • इस विधि में शोधकर्ता अवलोकन को सावधानीपूर्वक पूछे गए व्यक्तिगत प्रश्नों के साथ मिलाकर प्रयोग करते हैं। यह विचारों को मापने का एक लचीला तरीका है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न प्रश्न बनाए जाते हैं जिससे एक व्यक्ति से पूछे गए प्रश्न दूसरे व्यक्ति से उसी प्रकार से ना पूछे जाएँ। यह एक खुली तथा व्यक्तिगत विधि है जो प्रयोगकर्ता को यह अनुमति देती है कि वह बच्चे की उन प्रतिक्रियाओं को उसमें शामिल कर सके जो रोचक दिखायी देती हैं, ऐसी भाषा का प्रयोग कर सके जिसे प्रत्येक व्यक्ति समझ सके या उस भाषा में परिवर्तित कर सके जिसका प्रयोग बच्चा अनायास ही कर देता है।

 

b) साक्षात्कार विधि

  •  इस विधि में अध्ययन के प्रतिभागियों तथा शोधकर्ता के मध्य आमने-सामने बातचीत होती है तथा शोधकर्ता प्रतिभागी से कई पूर्वनिर्धारित प्रश्न पूछता है । उदाहरणार्थ एक मध्यमवर्गीय महिला से बच्चे के पालन पोषण, भोजन, शौच प्रशिक्षण तथा अनुशासन आदि से सम्बंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। कभी-कभी साक्षात्कार को अन्य परीक्षण विधियों के साथ जोड़कर भी प्रयोग किया जाता है जैसे शारीरिक परीक्षण (बच्चे का वजन तथा लम्बाई मापना) तथा मानक परीक्षण (बुद्धि मापना, रचनात्मकता तथा व्यक्तित्व की जांच) आदि।

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