नव पाषाणकाल से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी | Neolithic period GK in Hindi

Admin
0

 नव पाषाणकाल से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी

नव पाषाणकाल से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी | Neolithic period GK in Hindi


  • विश्व स्तर पर इस काल की शुरूआत 9000 ई. पू. में हुईजबकि भारत में इसकी शुरूआत 7000 ई. पू. से मानी जाती है। 
  • नव पाषाणकाल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सर जॉन लुवाक ने 1865 ई. में किया था।
  • नव पाषाणकालीन प्रथम स्थल की खोज सर मेस्यूरर (Mesurror) के द्वारा की गई थी। इस काल की प्रमुख विशेषताएं कृषि कार्यपशुपालनपत्थर के औजारों को पॉलिशदार व घर्षित करनामृद्भांड बनानाअग्नि के उपयोग का ज्ञान आदि थीं। 
  • पाकिस्तान स्थित पश्चिमी बलुचिस्तान प्रांत के मेहरगढ़ नामक स्थान से कृषि का प्रारंभिक साक्ष्य प्राप्त होता हैजिसका काल 7000 ई. पू. है। 
  • मेहरगढ़ से गेहूं की 3 एवं जौ की 2 किस्मों की खेती के साक्ष्य मिलते हैं। मेहरगढ़ के द्वितीय काल से गेहूंजौअंगूर एवं कपास की खेती के प्रमाण मिले हैं। इस प्रकार मेहरगढ़ से कपास उत्पादन के विश्व के सबसे प्राचीन साक्ष्य भी प्राप्त होते हैं। संभवतः हड़प्पावासियों ने गेहूंजौकपास की खेती मेहरगढ़ के पूर्वजों से ही सिखी थी। 
  • विश्व की प्राचीनतम फसल गेहूं को माना जाता है। 
  • मेहरगढ़ को बलुचिस्तान की रोटी की टोकरी कहा जाता है। इस प्रकार मेहरगढ़ से भारत में स्थायी निवास का प्राचीनतम् साक्ष्य भी प्राप्त होता है। 
  • हाल ही में लहुरादेव ( संत कबीर जिलाउत्तर प्रदेश) से 9000 ई. पू. 8000 ई. पू. के खेती के सबसे प्राचीनत्म साक्ष्य प्राप्त हुए हैंपरन्तु अभी यह शोध का विषय है।
  • मेहरगढ़ से पशुपालन के भी साक्ष्य प्राप्त होते हैंयहां से भारतीय महाद्वीप में पालतू भैंसे का प्राचीनतम् साक्ष्य प्राप्त होता है। मेहरगढ़ से पाषाणयुग से लेकर हड़प्पा संस्कृति तक के सांस्कृतिक अवशेष प्राप्त होते हैं। 
  • उत्तर प्रदेश स्थित बेलन घाटी (मिर्जापुर) के कोल्डीहवा नामक स्थान से वन्य एवं कृषिजन्य दोनों प्रकार की धान की खेती के प्राचीनतम् साक्ष्य प्राप्त हुए हैंजिसका समय 5000 ई. पू. (चौथी सहस्त्राब्दी ई. पू.) माना जा सकता है। 
  • बेलन घाटी में स्थित चौपानीमांडो नामक स्थान से चाक् निर्मित मृदभाण्डों के प्राचीनतम् साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार बैलगाड़ी के पहिये के प्राचीनतम् साक्ष्य नव पाषाणकाल से ही प्राप्त होते हैं। 
  • महागरा (उत्तर प्रदेश) से गौशाला तथा धान व जौ के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। बिहार स्थित चीरान्दसेनुवारचैचरताराडीह महत्वपूर्ण नव पाषाणकालीन स्थल है। इनमें से चीरान्द (पटने) से हिरण के सिंगों से निर्मित छल्ले (मृगभृंग छल्ले) प्राप्त हुए हैं। 
  • कश्मीर स्थित बुर्जहोम तथा गुफ्फकराल नव पाषाणकालीन महत्वपूर्ण स्थल हैंजिनकी खोज क्रमश: टेरी व पीटरसन तथा शर्मा ने की थी। इन दोनों स्थलों से गर्तनिवासमृदभाण्ड की विविधताकृषि उत्पादनपशुपालन तथा प्रस्तर व अस्थि उपकरण के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। ज्ञात रहे कि इन दोनों स्थलों से सूक्ष्म प्रस्तर उपकरण बहुत कम प्राप्त हुए हैं। 
  • बुर्जहोम से मालिक के साथ कुत्ते को दफनाए जाने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है। गुफ्फकराल से मृदभांडरहित गर्तनिवास के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। 

  • दक्षिण भारत स्थित मास्कीब्रह्मगिरीहल्लूरकोडक्कल,   पीकलीहलसंगेनकल्लूटेक्कलकोट्टा  व कुपागल्लू (कर्नाटक)उतनूर (आन्ध्र)पोचमपल्ली (तमिलनाडु) आदि नवपाषाणकालीन स्थल हैजो 9000 ई. पू.-2600 ई. पू. से संबंधित हैं। इनमें से कोडक्कलउतनूरकुपागल्लू आदि स्थलों से राख के टीले (अंश टीले) प्राप्त हुए हैं। 
  • दक्षिण भारत से प्राप्त पहली फसल रागी (मिलेट) व दूसरी फसल कुलथी थी। यहां से चावलगेहूं व जौ के साक्ष्य प्राप्त नहीं होते हैं। दक्षिण भारत के नवपाषाणकालीन स्थलों से पत्थर व तांबे के साथ लौह उपकरण भी प्राप्त होते हैं। 
  • नवपाषाणकालीन बस्ती स्थल चिरांद (बिहार)समाधि स्थल पोरकालम (केरल)बस्ती व समाधि स्थल पिकलीहल (कर्नाटक) हैं।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top