छायावादी के कवि और उनकी रचनाएँ-भाग 02 Chaya Vaadki Kavi Aur Rachna -02
छायावादी के कवि और उनकी रचनाएँ-भाग 02
2. जीवन केंद्रित
- साहित्य साधक छायावादी चतुष्टयी के अतिरिक्त कुछ अन्य कवि भी हैं जिन्होंने छायावाद के विकास में योगदान किया ये कवि सेवा कार्य करते थे अथवा सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों में मुख्य रूप से सक्रिय भाग लेते थे तथा अवकाश में साहित्य सेवा भी करते थे। साहित्य सेवा या आंदोलनों में सम्मिलित होना इनका मुख्य उद्देश्य नहीं था अपितु मुख्य उद्देश्य जीवन का विकास करना था। इनकी विचारधारा जीवन बिंदु पर केन्द्रित थी।
- इसके अलावा इनमें कवियों का ऐसा समूह भी था जिनका छायावाद युग से इतर युगों से संबंध था तथा उसी से संबंधित काव्य सजन कार्य करते थे छायावाद के उत्कर्ष को देखकर इसकी ओर आकर्षित हुए तथा छायावादी कविता भी करने लगे। छायावाद की कुछ प्रवत्तियां और विशेषताएं उनके काव्य में परिलक्षित होती हैं। इस प्रकार जीवन केंद्रित कवियों के प्रथम एवं द्वितीय दो वर्ग हैं।
प्रथम वर्ग- छायावादी कवि
- इस वर्ग के कवि आंदोलनकारी कवि थे जिनमें माखन लाल चतुर्वेदी, रामनरेश त्रिपाठी, बाल कृष्ण शर्मा नवीन, सुभद्रा कुमारी चौहान, सियाराम सरण गुप्त तथा भगवती चरण वर्मा आदि प्रमुख हैं। इसमें राम नरेश त्रिपाठी भारतेंदु युग से संबंधित थे प्रथम वर्ग को राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा' नाम भी दिया गया है।
माखन लाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ
माखन लाल चतुर्वेदी व्यक्तित्व
- माखन लाल चतुर्वेदी (सन् 1889–1968 ई.) का जन्म ग्राम बाबई, जनपद होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। इनके पिता गांव में स्कूल के अध्यापक थे इसलिए इनकी आरंभिक शिक्षा वहीं हुई। ये सजग, उत्साही एवं संवेदनशील थे। देश की दशा के प्रति आरंभ से ही जागरूक थे। इन पर सैयद अमीर अली 'मीर' स्वामी रामतीर्थ तथा माधव राव सप्रे का विशेष प्रभाव पड़ा था।
- वैष्णव-संस्कार तो इन्हें अपने परिवार से ही मिले थे। जीवन के आरंभिक काल में अध्यापन कार्य करते थे। इनका उपनाम 'एक भारतीय आत्मा' था। आरंभ में क्रांति-दर्शन से प्रभावित हुए थे किंतु बाद में इनकी आस्था गांधीवाद की ओर हो गई। राजनीतिक सक्रियता के कारण कई बार जेल की यात्राएं की।
माखन लाल चतुर्वेदी कृतित्व-
- 'हिम किरीटिनी, 'हिमतरगिनी', 'माता', 'युग चरण, समर्पण वेणु लो गूंजे घरा आदि कविता संग्रह।
- पत्रिका -कर्मवीर का संपादन।
माखन लाल चतुर्वेदी की साहित्यिक विशेषताएं-
- जेल में रहते हुए अनेक कविताओं का सजन किया। देश के प्रति गंभीर प्रेम और देश के लिए कल्याणकारी भावना हेतु आत्मोत्सर्ग की उत्कट भावना के दर्शन होते हैं। इस मार्ग पर चलने वाले पथिक को तभी सफलता मिल सकती है जब यह जीवन के सुख और वैभव को ठुकराकर संघर्ष और साधना का मार्ग अपनाएं। इन्होंने भारतवासियों को संघर्ष और साधना के मार्ग का पथिक बनने हेतु प्रेरित किया है। इनकी कई रचनाओं विशेषकर आरंभिक रचनाओं में आध्यात्मिकता को अभिव्यक्ति मिली है। इनकी आध्यात्मिक भावना पर निर्गुण भक्ति, सगुण भक्ति एवं रहस्यवादी भावना का प्रभाव परिलक्षित होता है। इनकी कविताओं की प्रमुख विशेषता राष्ट्रप्रेम तथा आत्मोत्सर्ग है।
रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय और रचनाएँ
रामनरेश त्रिपाठी व्यक्तित्व-
- द्विवेदी युगीन राम नरेश त्रिपाठी (सन् 1889-1962 ई.) का जन्म ग्राम कोइरीपुर, जनपद जौनपुर में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव की पाठशाला में ही हुई। अंग्रेजी अध्ययन हेतु जौनपुर के स्कूल में प्रवेश लिया किंतु नौवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए। कविता के प्रति इनकी रूचि बचपन से ही थी। गांव के प्रधानाचार्य ब्रजभाषा में काव्य सजन करते थे। उनसे प्रभावित होकर ये भी समस्यापूर्ति करने में लाए गए। सरस्वती' पत्रिका के प्रभावस्वरूप खड़ी बोली में लिखने लगे। छायावाद के उत्कर्ष से प्रभावित होकर छायावादी कविता लिखने लगे।
- कृतित्व- 'मानसी', 'पथिक', 'स्वप्न' (खंड काव्य ) ।
रामनरेश त्रिपाठी की साहित्यिक विशेषताएं
- अपने खंड काव्यों में परोक्ष रूप से परतंत्रता के बंधन काटने का संदेश दिया है। अनेक कविताओं में पशुबलि की अवहेलना करते हुए निडर होकर स्वतंत्रता के मार्ग का अनुगामी बनने हेतु प्रेरित किया गया है। देशभक्ति की कविताएं भी लिखी हैं। काल्पनिक कथाओं के माध्यम से देशोद्धार हेतु आत्मोत्सर्ग की भावना की अभिव्यक्ति की गई है। इन खंड काव्यों के नायक सामान्य जनता के प्रतिनिधि हैं। पथिक' का नायक जनता की विषमता का निवारण करने हेतु राजतंत्र का डटकर सामना करता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अंत में उसे अपने परिवार सहित बलिदान देना पड़ता है। 'स्वप्न' में कवि ने संवेदनशील नायक का चयन किया है जो पहले स्वार्थ- लोकसेवा अथवा वैयक्तिक सुख लोकहित को एक दूसरे का विरोधी मानता था किंतु कर्त्तव्य का बोध हो जाने पर देश कल्याण हेतु तन-मन-धन से दत्त-चित्त होकर लग जाता है। 'पथिक' के विपरीत यह सुखांत काव्य है। इन दोनों काव्यों के द्वारा कवि ने राष्ट्र सेवा के आदर्श की स्थापना की है तथा समाज का विरोध करने वाली शक्तियों के प्रति विद्रोही प्रवत्ति को बढ़ावा दिया है। इस प्रकार ये कल्पित कथानक भी सहज ही कवि के यथार्थ से संबद्ध होकर अधिक सार्थक बन गए हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ
सुभद्रा कुमारी चौहान व्यक्तित्व
- सुभद्रा कुमारी चौहान (सन् 1905-1948 ई) का जन्म ग्राम, निहालपुर जनपद प्रयाग में हुआ था। इन्होंने प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की। सन् 1921 ई. के असहयोग आंदोलन के परिणामस्वरूप शिक्षा अधूरी छोड़ दी तथा राजनीति में कूदकर सक्रिय में कार्य कर्ती बन गई। अपने राजनीतिक कारणों से अनेक बाद जेल की हवा खानी पड़ी। काव्य रचना की प्रवत्ति विद्यार्थी जीवन से ही थी।
- कृतित्व -त्रिधारा', 'मुकुल', 'झांसी की रानी ।
सुभद्रा कुमारी चौहान साहित्यिक विशेषताएं
भाव की दृष्टि से इनकी कविताओं के दो वर्ग किए जा सकते हैं -
(i) राष्ट्रप्रेम-
- जिनमें इन्होंने असहयोग आंदोलन या स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित होने वाले वीरों को अपनी कविता का विषय बनाया है। झांसी की रानी कविता को सामान्य जनता में अत्यधिक ख्याति मिली है।
- (ii) पारिवारिक इस वर्ग में वे कविताएं आती हैं जिनके सजन की प्रेरणा इन्हें अपने परिवार से प्राप्त हुई है। ऐसी कविताओं में कुछ कविताएं पति-प्रेम की पारिवारिक भावना से अनुप्राणित हैं कुछ का संबंध संतान प्रेम से है। संतान के प्रति नैसर्गिक वात्सल्य की सहज एवं मार्मिक अभिव्यक्ति इनके काव्य में मिलती है। भाषा शैली भावानुरूप सरल एवं गत्यात्मक है।
सियाराम शरण गुप्त की रचना और उनका जीवन परिचय
सियाराम शरण गुप्त का व्यक्तित्व
- स्वर्गीय राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुज सियाराम शरण गुप्त (सन् 1895-1963 ई) का जन्म ग्राम चिरगांव, जनपद झांसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। शारीरिक रुग्नता एवं पारिवारिक दुखों ने इनके जीवन को अति दुखमय बना दिया था। सरसता एवं नम्रता इनमें कूट कूट कर भरी हुई थी।
सियाराम शरण गुप्त कृतित्वः
- काव्य- 'मौर्य विजय', 'नकुल', 'अनाथ', 'दर्वादल', 'विषाद', 'आर्द्रा', 'आत्मोत्सर्ग', 'पाथेय', 'मणमयी', 'बापू', 'उन्मुक्त', 'दैनिकी', 'नोआखाली', 'जयहिंद', 'गोपिका' आदि काव्य कृतियां।
- कविताएं- 'इन्दु' एवं 'सरस्वती' में प्रकाशित।
- अनूदित- 'गीता संवाद गीता का अनुवाद
सियाराम शरण गुप्त साहित्यिक विशेषताएं-
- गांधी की विचारधारा में अत्यधिक आस्था थी। जिसके परिणामस्वरूप इनकी प्रायः सभी रचनाओं में सत्य, अहिंसा, प्रेम के साथ-साथ करुणा, शांति तथा विश्व बंधुत्व की भावना का समावेश दष्टिगोचर होता है। गांधीवादी मूल्यों एवं विचारधारा से इनका सम्पूर्ण काव्य अनुप्राणित है। प्राचीन भारतीय आख्यानों से संबंधित रचनाओं में भी इन्हीं मूल्यों की प्रतिष्ठा करने के प्रयास दष्टिगोचर होते हैं। विषय प्रतिपादन एवं अभिव्यंजना शैली की दृष्टि से इनकी रचनाओं पर द्विवेदी युगीन रचना पद्धति का प्रभाव परिलक्षित होता है क्योंकि ये उसी युग से संबंधित थे बाद में छायावादी बन गए।
- इसलिए छायावाद की कुछ प्रवत्तियों एवं विशेषताओं के साथ शैली भी छायावादी हो गई है। भाषा शैली में सरलता एवं स्पष्टता है। मुक्त छंदों के प्रयोग में इनको पूर्ण सफलता मिली है।
द्वितीय वर्ग-- छायावादी कवि
- इस वर्ग के कवि छायावाद से इतर युग के कवि हैं जो छायावाद के उत्कर्ष से आकर्षित होकर छायावादी रचना में संलग्न हो गए उनमें कुछ छायावादी विशेषताएं मिलती हैं। इन कवियों में जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद' रामधारी सिंह दिनकर तथा उदय शंकर भट्ट ऐसी विचारधारा के कवि हैं।
जगन्नाथ प्रसाद 'मिलिंद' का जीवन परिचय और रचना
- जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद का जन्म सन् 1907 ई. में हुआ। इनकी रचना सन् 1922-1936 के मध्य हुई थी।
- कृतित्व कविता संकलन -'जीवन-संगीत' में भारत के सांस्कृतिक गौरव, राष्ट्रीय चेतना तथा बलिदान की भावना व्यक्त करने वाली कविताओं का संकलन.
रामधारी सिंह दिनकर
- कृतित्व कविता संग्रह रामधारी सिंह दिनकर का इसी शैली का कविता संग्रह 'रेणुका' है।
उदय शंकर भट्ट
उदय शंकर भट्ट व्यक्तित्व
- उदय शंकर भट्ट (सन् 1898-1966 ई.) का जन्म सन् 1898 में हुआ था।
- कृतित्व 'तक्ष शिला' – आख्यान काव्य की गणना भी इसी काव्यधारा के अंतर्गत की जाती है। इस रचना का मुख्य अभीष्ट सांस्कृतिक सौंदर्य गुण गाथा की अभिव्यक्ति है।