छायावादी के कवि और उनकी रचनाएँ-भाग 04 ।Chaya Vaadki Kavi Aur Rachna -04
4. हास्य व्यंग्य
छायावादी के कवि और उनकी रचनाएँ-भाग 04
- छायावाद युग में पर्याप्त मात्रा में हास्य व्यंग्यात्मक काव्य का सृजन हुआ है। 'मनोरंजन' के संवादक ईश्वरी प्रसाद इस युग के प्रमुख व्यंग्यकार हैं। तत्कालीन रचित हास्य कविताएं 'मतवाला', 'गोलमाल', 'भूत', 'मौजी', 'मनोरंजन' आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थीं।
ईश्वरी प्रसाद शर्मा
- खड़ी बोली एवं ब्रजभाषा दोनों में रचनाएं उपलब्ध हैं।
कृतित्व- 'चना चबेना' ।
साहित्यिक विशेषताएं- शर्मा ने उस युग के साहित्यिक, सामाजिक एवं राजनीतिक दोषों का अन्वेषण किया और उनकी रचना हेतु अपनी पसंद की शैली का व्यवहार किया।
हरिशंकर शर्मा
- इस धारा के वरिष्ठ कवि हैं।
- कृतित्व कोई कविता संकलन प्रकाशित नहीं हुआ है 'पिंजरापोल' तथा 'चिड़ियाघर' नामक गद्य रचनाओं में कुछ हास्य-व्यंग्यात्मक कविताएं एवं पैरोडियों को उसी में सम्मिलित कर लिया है।
- साहित्यिक विशेषताएं- सामाजिक, धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त पाखंड तथा भ्रष्टाचार पर इन्होंने करारा व्यंग्य किया है।
पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र'
- छायावाद युग के व्यंग्यकारों में पांडेय बेचन शर्मा का अलग स्थान है।
- साहित्यिक विशेषताएं- व्यंग्य कविताओं एवं पैरोडियों में अत्यधिक नवीनता एवं निडरता विद्यमान है। वर्तमान काल में भी वह प्रभावोत्पादक हैं।
कृष्ण प्रसाद गौड़ 'बेढब बनारसी'
- छायावाद युग में ही नहीं अपितु उसके पश्चात् भी तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक आचार व्यवहार से संबंधित बुराइयों के प्रति में व्यंग्य विनोद किए हैं।
साहित्यिक विशेषताएं-
- उस समय व्यंग्य-विनोद की जो धारा प्रवाहित की वह अपनी व्यावहारिक भाषा-शैली के कारण और भी अधिक महत्व की है। हास्य पुट बर्धन करने हेतु इन्होंने अंग्रेजी एवं उर्दू की शब्दावली का अधिक एवं बेधड़क प्रयोग किया है। उपमा तथा वक्रोक्ति के माध्यम से व्यंग्य को प्रखर बनाने में इनको सिद्धहस्तता प्राप्त थी।
- हास्य व्यंग्य की रचना करने वाले अन्य कवियों में अन्नपूर्णानंद (महाकवि चच्चा), कांतानाथ पांडेय, 'चोच' तथा शिवरत्न शुक्ल - आदि भी उल्लेखनीय हैं।
अन्नपूर्णानंद छायावादी के कवि
साहित्यिक विशेषताएं-
- अन्नपूर्णानंद ने पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति के भाँडे अनुकरण, समाज की कुरीतियों, रूढ़ियों की दासता, मानव स्वार्थ आदि विषयों को व्यंग्य का विषय बनाया तथा उच्च कोटि के व्यंग्य काव्यों की रचनाएं की हैं।
कांतानाथ पांडेय 'चोंच'
- कृतित्व- 'चोंच चालीसा', 'पानी पांडे तथा महाकवि सांड' ।
- साहित्यिक विशेषताएं- 'पानी पांडे' एवं 'महाकवि सांड़ में इनकी कुछ हास्य रसात्मक कहानियों का भी समावेश किया गया है। सामाजिक कुरीतियों को लक्ष्य करके इन्होंने शिक्षाप्रद व्यंग्य लेखन की नवीन पद्धति का प्रयोग किया है। बेढब बनारसी की तरह अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग द्वारा हास्य की सष्टि करने में इनको अपूर्व सफलता मिली है।
शिवरत्न शुक्ल छायावादी के कवि
- कृतित्व- परिहास प्रमोद
- साहित्यिक विशेषताएं- शिव रत्न शुक्ल की विनोदपूर्ण रचनाएं भी अनायास मनमोह लेती थीं। छायावाद में इनकी रचनाएं इनके उपनाम 'बलई' नाम से प्रकाशित होती थीं। समाज में फैले हुए अभिशापों पर व्यंग्य करने के साथ ही इन्होंने पथभ्रष्ट राजनीतिज्ञों को भी नहीं छोड़ा है। उन पर भी करारा प्रहार किया है।
अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरि औध'
- कृतित्व- 'चोखे चौपदे', 'चुभते चौपदे' ।
चतुर्भुज 'चतुरेश'
- कृतित्व हंसी का फव्वारा ।
ज्वालाराम नागर 'विलक्षण'
- कृतित्व- 'छायापद'
- इसके अतिरिक्त स्फुट व्यंग्य कविता लिखने वालों में जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी, मोहन लाल गुप्त तथा श्रीनाथ सिंह आदि हैं।
- छायावाद युग में समाज, धर्म, राजनीति आदि विभिन्न क्षेत्रों से संबद्ध ऐसी अनेक हास-परिहासात्मक रचनाएं लिखी गई, जिनमें हास्य की मुखरता और व्यंग्य की तीव्रता स्वाभाविक रूप में विद्यमान है। इन हास्य-व्यंग्यों में छायावादी प्रवत्तियां और विशेषताएं नहीं मिलती हैं क्योंकि विषय की सामान्य सहजता के कारण ये रचनाएं शैली, विचार संरचना आदि की दृष्टि से सामान्य ही स्वीकारी जानी चाहिए।