प्राचीन भारत का इतिहास नोट्स।सिंधु घाटी की सभ्यता नोट्स । Ancient Indian History Notes in Hindi

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प्राचीन भारत का इतिहास नोट्स,

 Ancient Indian History Notes in Hindi

प्राचीन भारत का इतिहास नोट्स।सिंधु घाटी की सभ्यता ।  Ancient Indian History Notes in Hindi


प्राचीन भारत का इतिहास नोट्स

➽  हेरोडोटस को 'इतिहास का पिता' कहा जाता है। 

➽ इतिहास का विभाजन प्राग इतिहास (Pre History), आद्य, इतिहास (Proto History ) एवं इतिहास (History ) तीन भागों में किया गया है। 

➽ प्रागैतिहास का अर्थ उस काल से है, जिसका कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिलता है, जैसे-पाषाणकाल। आद्य इतिहास वह काल है, जिसमें लिपि के साक्ष्य तो मिलते हैं लेकिन उन्हें पढ़ा नहीं जा सका, जैसे-सिंधु सभ्यता एवं वैदिक काल। जहां से लिखित साक्ष्य मिलना प्रारंभ हो जाते हैं, उसे हम इतिहास कहते हैं, जैसे-छठी शताब्दी ईसा पूर्व से प्रारंभ होने वाला काल । 

 इतिहास का समय निर्धारित करने के लिये दो प्रकार की तिथियों का प्रयोग किया जाता है - ईसा पूर्व (बी.सी.) एवं ईस्वी (ए.डी.) । ईसा पूर्व का अर्थ है- ईसा मसीह की मृत्यु से पहले की घटनायें, जबकि ईस्वी का अर्थ है-ईसा मसीह की मृत्यु के बाद की घटनायें। 

➽ भारत के इतिहास का प्रारंभ सामान्यतया सिंधु घाटी की सभ्यता (लगभग 3000 ईसा पूर्व) से माना जाता है। इसका अंत भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति (1947 ईस्वी) से माना जाता है। 

➽ मोटे तौर पर भारत के इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया गया है-

 

1. प्राचीन भारत का इतिहास (सिंधु घाटी की सभ्यता से दिल्ली सल्तनत की स्थापना के पहले तक 3000 ईसा पूर्व से 1206 ईस्वी तक) । 

2. मध्यकालीन भारत का इतिहास (दिल्ली सल्तनत की स्थापना से उत्तरकालीन मुगल शासकों के पहले तक 1206 ईस्वी से 1707 ईस्वी तक) । 

3. आधुनिक भारत का इतिहास (उत्तरकालीन मुगल शासकों की स्थापना से भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक - 1707 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक) ।

 

खेती किये जाने का सबसे पहला प्रमाण मेहरगढ़ नामक स्थान से मिला है। 

➽ चावल की खेती का सबसे पहला प्रमाण इलाहाबाद के कोल्डीहवा नामक स्थान से पाया गया है। 

➽ सोने का सबसे पुराना अवशेष 1800 ई. में कर्नाटक के पास एक पुरापाषाणकालीन स्थान से मिला था। 

➽ मानव द्वारा प्रयोग की जाने वाली सबसे पहली धातु तांबा थी। मिट्टी के बर्तन बनाने की शुरुआत नवपाषाण काल में हुई थी।


सिंधु घाटी की सभ्यता का इतिहास नोट्स 

 

➽  सिंधु घाटी की सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है। 

➽  इस सभ्यता की सबसे पहले जानकारी हड़प्पा नामक स्थान से होने के कारण इसे 'हड़प्पा सभ्यता' भी कहा जाता है। 

➽ इस सभ्यता से जुड़ी लगभग 1,400 बस्तियां खोजी  जा चुकी हैं। इनमें से लगभग 925 बस्तियां भारत में तथा 475 पाकिस्तान में हैं। 

➽  सिंधु सभ्यता भारत की पहली नगरीय सभ्यता थी। 'हड़प्पा सभ्यता' के बारे में सबसे पहले जानकारी 1826 ई. में चार्ल्स मैसन ने दी थी । 

➽  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के समय रायबहादुर दयाराम साहनी ने 1921 ई. में हड़प्पा की खोज की तथा 1922 में राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की।

 

➽  पिगट ने मोहनजोदड़ो और हड़प्पा को 'एक ही विस्तृत साम्राज्य की जुड़वां राजधानियां' कहा था। 

➽  सिंधु घाटी की सभ्यता 2500 ई.पू. में अपनी पूर्ण विकसित अवस्था में थी। रेडिया कार्बन तिथि के अनुसार, सिंधु सभ्यता 2300 ई.पू. से 1700 ई.पू. के बीच अपने मूल अस्तित्व में विद्यमान थी। 

➽  मार्टिमर ह्वीलर एवं जॉन मार्शल के अनुसार इस सभ्यता की उत्पत्ति मेसोपोटामिया की सभ्यता से हुई थी। 

➽  सिंधु सभ्यता का क्षेत्र त्रिभुजाकार था। इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण में लंबाई 1400 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम में 1600 किलोमीटर थी । 

➽  सिंधु सभ्यता उत्तर में मांडा (जम्मू), दक्षिण में नर्मदा का मुहाना, पूर्व में आलमगीरपुर तथा पश्चिम में मकरान समुद्र तट (बलूचिस्तान) और सुत्कागेंडोर तक फैली थी। 

➽  इस सभ्यता की खुदाई से भिन्न-भिन्न जातियों के अस्थिपंजर प्राप्त होते हैं। इनमें भूमध्यसागरीय, प्रोटो-ऑस्ट्रेलायड, मंगोलियन तथा अल्पाइन चार जातियों के लोग थे। 

➽  सिंधु सभ्यता के अब तक लगभग 1000 स्थानों की खोज की जा चुकी है। इनमें से 6 को नगर माना गया है। ये हैं-हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, बणवाली एवं धौलावीरा । इनमें से धौलावीरा सबसे बड़ा था। 

➽  जल निकासी व्यवस्था इस सभ्यता की ऐसी विशेषता थी, जो किसी अन्य सभ्यता में नहीं थी।

➽  हड़प्पा, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मांटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित था। 

➽  हड़प्पां से कई चीजों के अवशेष या प्रमाण मिले हैं, जैसे- सिंधु सभ्यता की सबसे अधिक अभिलेखयुक्त मुहरें (कुल 891), पीतल की इक्का गाड़ी, स्त्री के गर्भ से निकलता पौधा, शवाधान के गड्ढों में ईंट लगाने के प्रमाण, कांसे का दर्पण, सुरमा लगाने की सलाई, कर्मचारियों के आवास, 16 भट्ठियां, 6-6 अन्नागारों के दो समूह, लाल पत्थर से बनी पुरुष के निर्वस्त्र धड़ की आकृति, आर.37 कब्रिस्तान, मातृदेवी की मूर्ति, लकड़ी का ताबूत, फसल रखने का खलिहान, तांबा गलाने का पात्र इत्यादि।

 

➽  मोहनजोदड़ो, सिंध के लरकाना जिले में स्थित था। 

➽  मोहनजोदड़ो का अर्थ है- मृतकों का टीला। यहां से कई चीजों के प्रमाण मिले हैं, जैसे- विशाल स्नानागार (जॉन मार्शल ने इसकी खोज की थी तथा इसे कालेजिस्ट बिल्डिंग का नाम दिया था), नाव के चित्र वाली मुद्रा, बौद्ध स्तूप, लिंग पूजा के प्रमाण, वृषभ की मृणमूर्ति, अन्नागार (ह्वीलर के अनुसार सबसे बड़ी इमारत), सीटदार शौचालय, 1398 मुहरें, पुरोहित का धड़, मिश्रित पशु की मूर्ति, नर्तकी की कांसे की मूर्ति, घोड़े के दांत, सभागार (महाकक्ष) आदि।

 

➽  लोथल, गुजरात के अहमदाबाद जिले में स्थित एक बंदरगाह नगर था। यहां से कई चीजों के प्रमाण मिले हैं, जैसे- गोदीबाड़ा (बंदरगाह), अन्नागार, स्नानगृह एवं नालियों की अच्छी व्यवस्था, पूरा हाथी दांत, घोड़े की मिट्टी की मूर्तियां, युगल शवाधान (दोहरे कंकाल), नालियों में सोख्ता गड्ढे, औद्योगिक क्षेत्र, सेलखड़ी की मुहरें, सीप, मनका बनाने के कारखाने,अग्नि पूजा के संकेत, नगर तीन भागों में विभक्त, आटा पीसने की चक्की के दो पाट आदि।

 

➽  धौलावीरा, सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर था। नगर तीन भागों में विभक्त था (मध्य नगर या मध्यमा केवल यहीं पाया गया है) ।

 

➽  कालीबंगा, राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्घर नदी के किनारे स्थित था। यहां से मिली प्रमुख चीजें हैं- कांच एवं - मिट्टी की चूड़ियां, कच्ची-ईंटों के बने सात अग्निकुंड, जुते हुए खेत के साक्ष्य, तांबा गलाने की तकनीक, प्राचीरयुक्त नगर, नक्काशीदार ईंटों का प्रयोग, तीन प्रकार की शवाधान प्रथायें, ऊंट की अस्थियां, कुंए, खिलौना नाव आदि। 

➽  बालाकोट, अरब सागर के तट पर करांची के निकट एक बंदरगाह नगर था। यहां से प्राक सैंधव एवं विकसित सैंधव दोनों सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं। 

➽  सुरकोटदा, गुजरात के कच्छ में था। यहां नगर दुर्ग एवं विशाल आवासीय बस्ती थी। यहां से घोड़े की अस्थियां प्राप्त की गयी हैं। पत्थर से ढंकी हुई कब्र भी यहां मिली है। 

  चन्हूदड़ो, पाकिस्तान के सिंध में स्थित था। यहां से लिखने की चौकियां एवं मसीपत्र ( दवात), सील या मुद्राओं के निर्माण के कारखाने, मनका बनाने के कारखानें, ईंटों से बनी भट्ठियां आदि पाये गये हैं। 

➽  बणवाली, हरियाणा के हिसार जिले में घाघरा के किनारे स्थित था। यहां से मिट्टी का हल पाया गया है। 

➽  रोपड़ में मानव कब्र के नीचे कुत्ते का शवाधान पाया गया है। 

➽  समाज का प्रमुख आधार परिवार था एवं समाज मातृसत्तात्मक था। समाज में चार वर्ग थे - (i) विद्वान वर्ग, (ii) व्यापारी वर्ग, (iii) योद्धा वर्ग एवं (iv) शिल्पकार एवं श्रमिक वर्ग। 

➽  माप-तौल के लिए घनाकार बांटों का प्रयोग किया जाता था। 

➽  पासा इस काल का प्रमुख खेल था। वे दशमलव पद्धति से परिचित थे। 

➽  हड़प्पा सभ्यता मुख्यतया कांस्ययुगीन थी लेकिन तांबे के प्रयोग से भी वे परिचित थे। कांसा, टिन एवं तांबे को मिलाकर बनाया जाता था। 

➽  सिंधु सभ्यता की आर्थिक स्थिति का प्रमुख आधार व्यापार एवं वाणिज्य था। खेती एवं पशुपालन भी किया जाता था। 

➽  वस्त्र निर्माण इस काल का प्रमुख उद्योग था। 

➽  लोथल और रंगपुर से प्राप्त घोड़े की मिट्टी की मूर्तियों से यह अनुमान लगाया गया है कि वे लोग घोडे से परिचित थे। 

➽  सिंधु सभ्यता में व्यापार काफी विकसित था। आंतरिक एवं बाह्य दोनों स्तरों पर व्यापार किया जाता था। 

➽  हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो प्रमुख व्यापारिक केंद्र थे । व्यापार मुख्यत: जल मार्ग से ही होता था, पर स्थल मार्ग का भी उपयोग होता था। 

➽  मैसूर में सोना, राजस्थान, मद्रास तथा बलूचिस्तान में तांबा, अजमेर में सीसा तथा कश्मीर एवं काठियावाड़ में बहुमूल्य पत्थरों के उत्पादक केंद्र थे। अफगानिस्तान, सोवियत, तुर्कमेनिया, मेसोपोटामिया, ईरान आदि देशों से कच्चे माल का आयात किया जाता था। 

➽  मेसोपोटामियाई अभिलेख में प्रयोग किया गया 'मेलुहा' नामक स्थान का संबंध सिन्धु क्षेत्र से स्थापित किया गया है। कला एवं स्थापत्य की दृष्टि से सिंधु सभ्यता काफी विकसित थी। 

➽ हड़प्पा सभ्यता में मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकलाउत्कीर्णन कला, मृद्भाण्ड कला आदि काफी विकसित अवस्था में थी। मिट्टी की मूर्तियों में कूबड़दार बैल विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 

➽  सिंधु सभ्यता में मुहर- निर्माण कला का भी विकास हुआ। इन मुहरों में सबसे अधिक सेलखड़ी की मुहरें हैं। लाल या गुलाबी मृद्भाण्ड का उपयोग ज्यादा होता था। कुछ मृद्भाण्ड लाल एवं काले भी हैं। 

➽  इस सभ्यता के लोग मातृदेवी के उपासक थे। नगरों की खुदाई में कोई भी मंदिर, समाधि आदि के स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं। 

➽  वृक्षों में पीपल सबसे पवित्र था। 

➽  प्रथम ज्ञात नगरपालिका सिंधु सभ्यताकालीन है। 

➽  कुछ विद्वान मानते हैं कि सिंधु सभ्यता में शासन कार्य पुरोहित किया करते थे, जबकि कुछ के अनुसार शासन व्यापारियों द्वारा किया जाता था। 

➽  बाट एक श्रृंखला में क्रमश: बढ़ते जाते थे। वे 1, 2, 4, 8 64 तक दोगुने होते जाते थे। 

➽  इस सभ्यता के अब तक लगभग 400 अक्षरों की खोज की जा चुकी है, लेकिन उन्हें पढ़ा नहीं जा सका है। सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी। 

➽  कालीबंगा से एक और लोथल से तीन युगल शवाधान के प्रमाण मिले हैं। 

➽  सिंधु सभ्यता के नगरों का पश्चिम एवं मध्य एशिया के देशों के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध था। ईरान, मिस्र, उत्तरी-पूर्वी अफगानिस्तान, मध्य एशिया, बहरीन द्वीप, मेसोपोटामिया, क्रीट आदि देशों के साथ व्यापार किया जाता था। 

➽  सिंधु सभ्यता के पतन के लिये कई कारण बताये जाते हैं लेकिन जलवायु में परिवर्तन इसका प्रमुख कारण रहा होगा।


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