प्राचीन या पुरानी हिन्दी ,आदिकालीन हिन्दी, हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति
आरंभिक हिन्दी/आदिकालीन हिन्दी
➽ मध्यदेशीय भाषा-परंपरा की विशिष्ट उत्तराधिकारिणी होने के कारण हिन्दी का स्थान आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं में सर्वोपरि है ।
➽ प्राचीन हिन्दी से अभिप्राय है— अपभ्रंश अवहट्ट के बाद की भाषा ।
➽ हिन्दी का आदिकाल हिन्दी भाषा का
शिशु-काल है। यह वह काल था जब अपभ्रंश-अवहट्ट का प्रभाव हिन्दी भाषा पर मौजूद था
और हिन्दी की बोलियों के निश्चित व स्पष्ट स्वरूप विकसित नहीं हुए थे ।
हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति
➽ 'हिन्दी' शब्द की व्युत्पत्ति भारत के उत्तर-पश्चिम में प्रवहमान सिंधु नदी से संबंधित है। विदित है कि अधिकांश विदेशी यात्री और आक्रान्ता उत्तर-पश्चिम सिंहद्वार से ही भारत आए। भारत में आनेवाले इन विदेशियों ने जिस देश के दर्शन किए वह 'सिंधु' का देश था।
➽ ईरान (फारस) के साथ भारत के बहुत प्राचीन काल से ही संबंध थे और ईरानी 'सिंधु' को 'हिन्दु' कहते थे। { सिंधु हिन्दु सका ह में तथा हिन्दी ध का द में परिवर्तन}पहलवी भाषा प्रवृति के अनुसार ध्वनि परिवर्तन।
➽ 'हिन्दु' से 'हिन्दू' बना और फिर 'हिन्द' में फारसी भाषा के संबंध कारक प्रत्यय 'ई' लगने से हिन्दी बन गया।
➽ "हिन्दी' का अर्थ है- 'हिन्द का। इस प्रकार हिन्दी शब्द की उत्पत्ति हिन्द देश के निवासियों के अर्थ में हुई। आगे चलकर यह शब्द हिन्द की भाषा' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा । उपर्युक्त बातों से तीन बातें सामने आती हैं
(i) 'हिन्दी शब्द का विकास कई चरणों में हुआ
सिंधु - हिन्दु - हिन्द+ ई+ हिन्दी
'हिन्दी' शब्द मूलतः किस भाषा का है ?
➽ (ii) 'हिन्दी' शब्द मूलतः फारसी का है न कि हिन्दी भाषा का है यह ऐसे ही है जैसे बच्चा हमारे घर जनमे और उसका नामकरण हमारा पड़ोसी करे। हालांकि कुछ कट्टर हिन्दी प्रेमी 'हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति हिन्दी भाषा में ही दिखाने की कोशिश की है, जैसे- हिन (हनन करनेवाला) दु (दुष्ट) हिन्दु अर्थात् दुष्टों का हनन करनेवाला हिन्दु और उन लोगों की भाषा हिन्दी हीन (हीनों) + दु (दलन) हिन्दु अर्थात् हीनों का दलन करनेवाला हिन्दु और उनकी भाषा हिन्दी चूँकि इन व्युत्पत्तियों में प्रमाण कम, अनुमान अधिक है इसलिए सामान्यतः इन्हें स्वीकारा नहीं जाता।➽ (iii) 'हिन्दी' शब्द के दो अर्थ है-हिन्द देश के निवासी' (यथा- हिन्दी है हम, वतन है हिन्दोस्ता हमारा इकवाल) और 'हिन्द की भाषा ही, यह बात अलग है कि अब यह शब्द इन दो आरंभिक अर्थों से पृथक् हो गया है। इस देश के निवासियों को अब कोई हिन्दी नहीं कहता बल्कि भारतवासी, हिन्दुस्तानी आदि कहते हैं।
➽ दूसरे, इस देश की व्यापक भाषा के अर्थ में भी अब 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नहीं होता क्योंकि भारत में अनेक भाषाएँ हैं जो सब हिन्दी नहीं कहलाती। बेशक ये सभी हिन्द की भाषाएं हैं लेकिन केवल हिन्दी नहीं हैं। उन्हें हम पंजाबी, बांग्ला, असमिया, उड़िया, मराठी आदि नामों से पुकारते हैं इसलिए हिन्द की इन सब भाषाओं के लिए 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता।
➽ हिन्दी शब्द भाषा विशेष का वाचक नहीं है बल्कि यह भाषा-समूह का नाम है। हिन्दी जिस भाषा-समूह का नाम है उसमें आज के हिन्दी प्रदेश क्षेत्र की 5 उपभाषाएँ तथा 17 बोलियाँ शामिल हैं। बोलियों में ब्रजभाषा, अवधी एवं खड़ी बोली को आगे चलकर मध्यकाल में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ।
ब्रजभाषा :
➽ प्राचीन हिन्दी काल में ब्रजभाषा अपभ्रंश अवहट्ट से ही जीवन-रस लेती रही। अपभ्रंश अवहट्ट की रचनाओं में ब्रजभाषा के फूटते हुए अंकुर को देखा जा सकता है। ब्रजभाषा साहित्य का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ सुधीर अग्रवाल का 'प्रद्युम्न चरित' (1354 ई०) है।