मौलाना अबुल कलाम प्रश्न उत्तर । Abul Kalam Azad Question Answer

Admin
0

 मौलाना अबुल कलाम प्रश्न उत्तर 
 Abul Kalam Azad  Question Answer

मौलाना अबुल कलाम प्रश्न उत्तर । Abul Kalam Azad  Question Answer



 मौलाना अबुल कलाम प्रश्न उत्तर ( Abul Kalam Azad  Question Answer) 


  • मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस ।। नवम्बर को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवसघोषित किया गया है।
  • वर्ष 1992 में मरणोपरान्त मौलाना को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवन पर टिप्पणी लिखिए ?

  • मौलाना अबुल कलाम आजाद अफगान उलेमाओं के खानदान से ताल्लुक रखते थे जो बाबर के समय हेरात से भारत आए थे। उनकी माँ अरबी मूल की थी और उनके पिता मोहम्मद खैरुद्दीन एक फारसी (ईरानीनृजातीय रूप से) थे। 
  • मोहम्मद खैरुद्दीन और उनके परिवार ने भारतीय स्वतंत्रता के पहले आन्दोलन के समय 1857 में कलकत्ता छोड़ कर मक्का चले गए। मोहम्मद खैरुद्दीन 1890 में भारत लौट गए। 
  • मौहम्मद खैरुद्दीन को कलकत्ता में एक मुस्लिम विद्वान के रूप में ख्याति मिली। जब आजाद मात्र 11 साल के थे तब उनकी माता का देहांत हो गया। उनकी आरंभिक शिक्षा इस्लामी तौर-तरीकों से हुई। घर पर या मस्जिद में उन्हें उनके पिता तथा बाद में अन्य विद्वानों ने पढ़ाया।
  • इस्लामी शिक्षा के अलावा उन्हें दर्शनशास्त्रइतिहास तथा गणित की शिक्षा भी अन्य गुरुओं से मिली। आजाद ने उर्दूफारसीहिन्दीअरबी तथा अंग्रेजी भाषाओं में महारत हासिल की। सोलह साल में उन्हें वो सभी शिक्षा मिल गई थी जो आमतौर पर 25 साल में मिला करती थी।

 

 मौलाना अबुल कलाम आजाद क्रांतिकारी गतिविधियों पर टिप्पणी लिखिए ?

  • आजाद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ थे। उन्होंने अंग्रेजी सरकार को आम आदमी के शोषण के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने अपने समय के मुस्लिम नेताओं की भी  आलोचना की जो उनके अनुसार देश के हित के समक्ष साम्प्रदायिक हित को तरजीह दे रहे थे। अन्य मुस्लिम नेताओं से अलग उन्होंने 1905 में बंगाल के विभाजन का विरोध किया और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की अलगाववादी विचारधारा को खारिज कर दिया। उन्होंने ईरानइराकमिस्र तथा सीरिया की यात्राएँ की आजाद ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना आरंभ किया और उन्हें श्री अरबिन्दो और श्यामसुन्दर चक्रवर्ती जैसे क्रांतिकारियों से समर्थन मिला।

 

  • आजाद की शिक्षा उन्हें एक दफातर (किरानी) बना सकती थीपर राजनीति के प्रति उनके झुकाव ने उन्हें पत्रकार बना दिया। उन्होंने 1912 में एक उर्दू पत्रिका 'अल हिलालका सूत्रपात किया। उनका उद्देश्य मुसलमान युवकों को क्रांतिकारी आन्दोलनों के प्रति उत्साहित करना और हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल देना था। 
  • उन्होंने तत्कालीन नेताओं को यह दिखाकर अचंभित कर दिया कि वे मुस्लिम होते हुए भी क्रांतिकारी गतिविधियों का समर्थन कर रहे हैं जो उस समय आम बात नहीं थी। उन्होंने कांग्रेसी नेताओं का विश्वास बंगालबिहार तथा बंबई में क्रांतिकारी गतिविधियों के गुप्त आयोजनों द्वारा जीता। उन्हें 1920 में राँची में जेल की सजा भुगतनी पड़ी।

 

असहयोग आन्दोलन और मौलाना अबुल कलाम के कार्यों का वर्णन ?

 

  • जेल से निकलने के बाद वे जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोधी नेताओं में से एक थे। इसके अलावा वे खिलाफत आन्दोलन के भी प्रमुख नेता थे। खिलाफत आंदोलन तुर्की के उस्मानी साम्राज्य की प्रथम विश्वयुद्ध में हार पर उन पर लगाए हर्जाने का विरोध करता था। उस समय ऑटोमन (उस्मानी तुर्क) मक्का पर काबिज थे और इस्लाम के खलीफा वही थे। इसके कारण विश्वभर के मुस्लिमों में रोष था और भारत में यह खिलाफत आन्दोलन के रूप में उभरा जिसमें उस्मानों को हराने वाले मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेनफ्रांसइटली) के साम्राज्य का विरोध हुआ था । 

  • गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। राजनीति में आने की भूमिका आजाद ने राजनीति में उस समय प्रवेश किया जब ब्रिटिश शासन 1905 में धार्मिक आधार पर बंगाल का विभाजन कर दिया था। 
  • मुस्लिम मध्यम वर्ग ने इस विभाजन को समर्थन दिया किन्तु आजाद इस विभाजन के विरोध में थे। आजाद ने स्वतन्त्रता आन्दोलनों में सक्रिय भाग लिया। वे गुप्त सभाओं और क्रांतिकारी संगठन में शामिल हो गए। तत्पश्चात आजाद अरबिंद घोष और 'श्यामसुंदर चक्रवर्तीके संपर्क आए और वे अखण्ड भारत के निर्माण में लग गये। 
  • वे जोशीले भाषण देतेउत्तेजना भरे लेख लिखते और पढ़े-लिखे मुसलमानों के साथ सम्पर्क बढ़ा रहे थे। बंगाल के क्रांतिकारी श्यामसुन्दर चक्रवर्ती से उन्होंने क्रान्ति लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया था और उसकी ही सहायता से सन् 1905 में महान क्रांतिकारी अरविन्द घोष से उनकी मुलाकात हुई थी। 
  • मुसलमानों के कुछ गुप्त मंडलों की भी उन्होंने स्थापना की थी। मौलाना को लगा कि कुछ ऐसे कारण हैंजिनको लेकर सन् 1857 की आजादी की लड़ाई के बाद मुसलमान बहुत सी बातों में अपने दूसरे देशवासियों से पीछे रह गए हैं। बहुत से मुसलमान ऐसा सोच रहे थे कि भारत में हमेशा अंग्रेजों का ही राज बना रहेगा और इसलिए उनको अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन अपने लेखों द्वारा मौलाना ने उन्हें समझाया कि विदेशी सरकार की गुलामी से छुटकारा पाना सिर्फ राष्ट्रीय ध्येय ही नहीं है बल्कि यह उनका धार्मिक कर्त्तव्य भी है।

 

मौलाना अबुल कलाम आजाद की रचनाओं के नाम लिखिए ? 

  • उर्दूफारसी और अरबी की किताबों की उन्होंने रचना की : 
  • इंडिया विन्स फ्रीडम अर्थात भारत की आजादी की जीत, 
  • उनकी राजनीतिक आत्मकथा, 
  • उर्दू से अंग्रेजी में अनुवाद के अलावा 1977 में साहित्य अकदमी द्वारा छः संस्करणों में प्रकाशित कुरान का अरबी से उर्दू में अनुवाद उनके शानदार लेखन को दर्शाता है। 
  • इसके बाद तर्जमन-ए-कुरान के कई संस्करण निकाले हैं। 
  • उनकी अन्य पुस्तकों में गुबार-ए-खातिरहिज्र-ओ-वसलखतबात-अल आज़ादहमारी आजादी और तजकरा शामिल हैं। 
  • उन्होंने अंजुमने-तारीकी-ए-हिन्द को भी एक नया जीवन दिया। 

भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री के रूप मेंमौलाना अबुल कलाम आजाद  ?

  • वे स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे और उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर उन्होंने निःशुल्क शिक्षाभारतीय शिक्षा पद्धतिउच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अत्यधिक लगन के साथ कार्य किया। 
  • मौलाना आजाद को ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानअर्थात 'आई.आई.टी.' | और विश्वविद्यालय अनुदान आयोगकी स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की। 
  • उन्होंने संगीत नाटक अकादमी (1953),  साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) की स्थापना की।
  • 1950 से पहले उनके द्वारा 'भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषदकी स्थापना की 
  •  केन्द्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने पर सरकार से केन्द्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षाकन्याओं की शिक्षाव्यावसायिक प्रशिक्षणकृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की।
  • 1956 में उन्होंने अनुदानों के वितरण और भारतीय विश्वविद्यालयों में मानकों के अनुरक्षण के लिए संसद के एक अधिनियम के द्वारा 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्थापना की।

 

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कब मनाया जाता है ? 

  • मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस ।। नवम्बर को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवसघोषित किया गया है।

 

मौलाना अबुल कलाम आजाद की मृत्यु 

  • 22 फरवरी सन् 1958 को हमारे राष्ट्रीय नेता का निधन हो गया। भिन्न-भिन्न-धार्मिक नेतालेखकपत्रकारकविव्याख्याताराजनीति और प्रशासन में काम करने वाले भारत के इस महान सपूत को अपने-अपने ढंग से याद करते रहेंगे। इन सबसे बढ़कर मौलाना आजाद धार्मिक वृत्ति के व्यक्ति होते हुए भी सही अर्थों में भारत की धर्मनिरपेक्ष सभ्यता के प्रतिनिधि थे।

  • वर्ष 1992 में मरणोपरान्त मौलाना को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। एक इंसान के रूप में मौलाना महान थे। उन्होंने हमेशा सादगी का जीवन पसंद किया। उनमें कठिनाइयों से जूझने के लिए अपार साहस और एक संत जैसी मानवता थी। उनकी मृत्यु के समय उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी और न ही कोई खाता था। 
  • उनकी निजी अलमारी में कुछ सूती अचकनएक दर्जन खाददी के पायजामेदो जोड़ी सैंडलएक पुराना ड्रेसिंग गाउन और एक उपयोग किया हुआ भुर मिला किंतु वहाँ अनेक दुर्लभ पुस्तकें थी जो अब राष्ट्र की सम्पत्ति हैं। 
  • मौलाना आजाद जैसे व्यक्तित्व कभी-कभी ही जन्म लेते हैं। अपने संपूर्ण जीव में वे भारत और इसकी सम्मिलित सांस्कृतिक एकता के लिए प्रयासरत रहे।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top