नाटक उद्भव और विकास अर्थ एवं व्याख्या
नाटक उद्भव और विकास अर्थ एवं व्याख्या
- नाटक का उद्भव और विकास विवेचन विश्लेषण से पूर्व नाटक शब्द की व्याख्या एवं अर्थ तथा व्युत्पत्ति से अवगत हो लेना आवश्यक प्रतीत होता है।
- नाट से पूर्व नट् धातु है जिससे नट व्युत्पन्न हुआ है।
- 'नट्' - सं. नट् (नृत्य) + अच् अभिनय में वह व्यक्ति जो किसी का रूप धारण करके उसकी चेष्टाओं का अभिनय करता है।
नाटक व्युत्पत्ति अर्थ एवं व्याख्या -
- नाटक शब्द की व्युत्पत्ति सं. नट् (नाचना) + घञ से हुई है जिसका अर्थ नच्च, नाच, नत, नत्य, नकल या स्वांग होता है। नाटक से पूर्व नट् से नाट शब्द व्युत्पन्न हुआ है। इसलिए नाटक से नाट की व्यत्पत्ति देखी।
- नाटक- सं. नट् + ण्वुल् अक प्रत्यय से नाटक की व्युत्पत्ति हुई है जिसका अर्थ नाट्य या अभिनय करने वाला या नटों या अभिनेताओं के द्वारा मंचन अभिनय इसका अंग्रेजी पर्याय ड्रामा है।
- नाटक शब्द की व्युत्पत्ति विवेचन से इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि नाटक शब्द तक पहुंचने से पूर्व – नच्च नाच – नत् – नत्य, नट नाट-नाट्य नाटक शब्द प्रमुख है।
- नच्च ( अंग प्रत्यंग को हिलाना) से क्षतिपूरक दीर्घीकरण से नाच ( वाद्य यंत्र सहित स्वर, लय, ताल पर नाचना क्रिया की संज्ञा). नत् में सांस्कृतिक भाव आ जाता है। नत् से (नत्य) बन जाता है। नट से नाट नकल स्वांग का भाव आ जाता है। जिससे नाट्य शब्द बना है। नाट्य से नाटक की व्युत्पित्ति हुई है।
- अंग प्रत्यंग हिलाना, अंग प्रत्यंग वाद्य यंत्र के साथ, भावाभिव्यक्ति तथा अभिनय के साथ कथा की अभिव्यक्ति नाटक कहलाती है।
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