प्रगतिवादी के कवि ( रचनाकार) कृतित्व साहित्यिक विशेषताएं
प्रगतिवादी के प्रमुख रचनाकार
केदारनाथ अग्रवाल व्यक्तित्व कृतित्व साहित्यिक विशेषताएं
व्यक्तित्व
- केदारनाथ अग्रवाल का जन्म 9 जुलाई सन् 1911 ई. में कमासिन जनपद बांदा में हुआ। बी.ए. एल.एल.बी. उत्तीर्ण कर बांदा में ही वकालत करते थे।
कृतित्व
- संकलन- "फूल नहीं रंग बोलते हैं" संकलन में 'मांझी न बजाओ वंशी' तथा 'वसंती हवा' आदि कविताएं संग्रहीत हैं।
साहित्यिक विशेषताएं-
- अग्रवाल प्रगतिवादी वर्ग के सशक्त कवि हैं। इनकी कविताओं में उद्बोधन अधिक है। अग्रवाल की कविताओं में मानव एवं प्रकृति के सौंदर्य का अति सहज, वेगवान तथा उन्मुक्त रूप प्रस्तुत किया गया है। मांझी न बजाओ वंशी' तथा 'वसंती हवा' आदि कविताओं में प्रगतिकालीन सहज सौंदर्य का स्वरूप अवलोकनीय है
“आज नदी बिलकुल उदास थी
सोयी थी अपने पानी में,
उसके दर्पण पर
बादल का वस्त्र पड़ा था
रामविलास शर्मा व्यक्तित्व कृतित्व साहित्यिक विशेषताएं
व्यक्तित्व-
- डॉ. राम विलास शर्मा का जन्म सन् 1912 ई. में झांसी में हुआ था। अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. करके पी.एच.डी. की। बलवंत राजपूत कॉलेज आगरा में अंग्रेजी के प्राध्यापक रहे। उसके पश्चात् केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा में कार्य किया। प्रगतिशील लेखक संघ के मंत्री तथा 'हम' के संपादक भी रहे हैं। प्रख्यात प्रगतिवादी समीक्षक हैं।
साहित्यिक विशेषताएं-
- राम विलास शर्मा की कविताओं में सादगी, वेग तथा सहजता की प्रधानता रही है। प्रचार एवं नारे बाजी से अपने को मुक्त नहीं कर पाए। स्थूल व्यंग्यों का इनकी कविताओं में आधिक्य है। अतिवादिताओं से मुक्त होकर तथा सामाजिक संवेदना को आत्मसात कर उसे सरल वेगवान भाषा में अभिव्यक्ति प्रदान की है।
नागार्जुन व्यक्तित्व कृतित्व साहित्यिक विशेषताएं
व्यक्तित्व-
- नागार्जुन का जन्म सन् 1910 ई. में तरौना जनपद दरभंगा में हुआ था। स्कूल शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके। घर पर ही हिंदी संस्कृत का अच्छा स्वाध्याय किया इनका स्वभाव घुमक्कड़ी था। स्वतंत्र लेखन कार्य किया। इनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था। उपनाम 'यात्री' था इसी नाम से मैथिली में कविताएं लिखते थे। कवि के साथ-साथ हिंदी के प्रमुख उपन्यासकार भी थे।
कृतित्व-
- 'बादल को घिरते देखा', 'पाषाणी', 'चंदना', 'रवीन्द्र के प्रति 'सिंदूर तिलकित भाल', 'तुम्हारी दंतुरित मुसकान आदि इनकी उत्तम प्रगतिवादी कविताएं
हैं।'
साहित्यिक विशेषताएं-
नागार्जुन की कविताएं मुख्यतः तीन प्रकार की हैं
(i) कुछ कविताएं गंभीर संवेदनात्मक और कलात्मक हैं जिनमें कवि ने मानव मन की रागात्मक एवं सौंदर्यमयी छवियों को अंकित किया है तथा मानवीय संभावनाओं के प्रति आस्था की अभिव्यक्ति हुई है।
(ii) सामाजिक कुरूपता, राजनीतिक अव्यवस्था तथा धार्मिक अंधविश्वास पर करारा व्यंग्य किया है। शिक्षा पद्धति पर किया गया व्यंग्य अवलोकनीय है -
“घुन खाए राहतीरों पर की बारहखड़ी विधाता बांचे,
फटी भीत है, छत चूती है, आले पर विस्तुझ्या नाचे,
बरसा कर बेबस बच्चों पर मिनट मिनट पर पांच तमाचे,
इसी तरह से दुखरन मास्टर, गढ़ता है आदम के सांचे।"
-'युगधारा'
(iii) इस कोटि की रचनाएं उद्बोधनात्मक हैं, किन्तु काव्य-तत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं हैं।।
शिवमंगल सिंह 'सुमन' व्यक्तित्व कृतित्व साहित्यिक विशेषताएं
व्यक्तित्व-
- शिव मंगल सिंह सुमन का जन्म 14 अगस्त सन् 1915 ई. को झामपुर मध्य प्रदेश में हुआ था। हिंदी साहित्य में एम.ए. परीक्षा उत्तीर्ण कर पी.एच.डी. एवं डी.लिट किया। सन् 1942 ई. में विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर में प्राध्यापक नियुक्त हुए। तब से शिक्षा संबंधी विभिन्न कार्य करते रहे। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति रहे। सन् 1956-61 ई. तक भारतीय दूतावास काठमांडु नेपाल में सूचना तथा सांस्कृतिक सहचारी के रूप में कार्य किया।
साहित्यिक विशेषताएं-
डॉ. शिव मंगल सिंह 'सुमन' की कविताएं दो प्रकार की हैं
(i) गीत अथवा छोटी-छोटी कविताएं हैं।
(ii)
कविताएं
लंबी-लंबी तथा उपदेशात्मक हैं।
- उनकी छोटी-छोटी कविताएं और गीत कला और प्रभाव के दष्टिकोण से अलग प्रतीत होते हैं। लंबी कविताएं आयाम बड़ा होने से स्थान तो अधिक घेरती हैं उनका प्रभाव भी समन्वित न होकर बिखराव का हो जाता है। लंबी कविताएं ध्वन्यात्मक एवं चित्रात्मक न होकर इतिवन्तात्मक हैं।
त्रिलोचन व्यक्तित्व कृतित्व साहित्यिक विशेषताएं
व्यक्तित्व
- त्रिलोचन का जन्म 20 अगस्त, 1917 ई. को कटघरा पट्टी जनपद सुलतानपुर में हुआ। शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके पश्चात् बी.ए. की परीक्षा पास की। हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग' तथा 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा, काशी' के कोश निर्माण कार्य से सम्बद्ध रहे। वाराणसी के जनवार्ता सम्पादकीय विभाग में भी कार्य किया हंस का संपादन किया। वास्तविक नाम वासुदेव सिंह था।
साहित्यिक विशेषताएं-
- इनकी कविताओं में अत्यधिक सादगी विद्यमान है। प्रत्येक कविता में धरती की सोंधी गंध भरी है। सतसैया के दोहों के समान इनकी कविताएं- "देखन में छोटी लगें, भाव करें गंभीर अर्थात इनकी कविताओं का आकार छोटा है किंतु प्रभाव में तीव्रता है।
मुक्तिबोध-
- विश्वासों एवं संवेदनाओं में जनवादी हैं।
साहित्यिक विशेषताएं-
- इनकी कविताएं प्रगतिशील हैं। किन्तु इन्हें नई कविता के अंतर्गत रखना औचित्य पूर्ण होगा। इन कवियों के अतिरिक्त अज्ञेय, भारत भूषण अग्रवाल, भवानी प्रसाद मिश्र, नरेश मेहता, शमशेर बहादुर सिंह तथा धर्मवीर भारती भी किसी न किसी रूप में प्रगतिवादी हैं किन्तु मूलतः इन्हें प्रगतिवाद में स्थान नहीं दिया जा सकता है।