दक्खिनी हिंदी के कवि एवं काव्य | Dakkini Hindi Kavi evam kavya

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दक्खिनी हिंदी के कवि एवं काव्य

दक्खिनी हिंदी के कवि एवं काव्य | Dakkini Hindi Kavi evam kavya


 

दक्खिनी हिंदी के कवि एवं काव्य

राहुल सांकृत्यायन ने 'दक्खिनी हिंदी काव्य धाराकी रचना की है जिसमें उन्होंने दक्खिनी हिंदी के लगभग पांच सौ वर्षों कोतीन कालों - आदिकालमध्यकाल तथा आधुनिक काल से विभाजित किया है।

 

दक्खिनी हिंदी का आदिकाल 

आदिकाल का समय सन् 1400 1500 ई. तक माना है। इस काल के प्रमुख कवियों में बंदानेवाजशाहमीरांजीअशरफफीरोजबुरहानुदीन जाममएकनाथशाह अली तथ वजही का उललेख किया है।

 

ख़्वाज़ा बंदानेवाज 

  • इनका वास्तविक नाम सैयद मुहम्मद हुसैनी था। दूसरा नाम 'गेसू दराजथा 'बंदानेवाजका शाब्दिक अर्थ भक्तों पर दया करने वाला होता है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी राम को बंदानेवाजकहा 'गेसूदराजका अर्थ लंबे बालों वाला होता है। 'गेसूका अर्थ बाल है। रीति कालीन कवियों ने समस्यापूर्ति में इस शब्द का प्रयोग किया है -

 

लाम के मानिंद हैं गेसू मेरे घनश्याम के 

काफिर है वह जो बंदा नहीं इस लाम का ।।

 

इनको दक्खिनी में विशेष ख्याति मिली। वे दक्षिणी भारत के ख्वाजा मुईउद्दीन चिश्ती (अजमेर) हैं।

 

सैयद मुहम्मद हुसैनी (सन् 1318-1420 ई.)

 

  • सैयद मुहम्मद हुसैनी का जन्म दिल्ली में हुआ था पिता का नाम युसुफ राजा हुसैनी था जो निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। बाद में सैयद मुहम्मद हुसैनी भी निजामुद्दीन के शिष्य हो गए। इनके पिता सूफी संत एवं अच्छे कवि थे। सन् 1326 ई. में सैयद मुहम्मद हुसैनी ने दक्षिण की प्रथम यात्रा की मुहम्मद तुगलक के दिल्ली से दौलताबाद राजधानी बदलने के कारण इनके पिता को भी दौलताबाद जाना पड़ा। जहां कुछ दिनों बाद उनका इंतकाल हो गया। उस समय सैयद मुहम्मद हुसैनी दस वर्ष के थे। चौदह वर्ष की अवस्था में उन्हें किसी कारण से दक्षिण से उत्तर आना पड़ा। 
  • इनकी पत्नी रिजा खातून दिल्ली की थी। दो पुत्र एवं तीन पुत्रियां हुई। सन् 1400 ई. में पुनः हसनाबाद आ गए। 

रचनाएं 

  • फारसी के विद्वान थे। नागरी लिपि के ज्ञाता थे। दक्खिनी भाषा को फारसी लिपि में लिखा। फासरी में भी रचनाएं की दक्खिनी की कृतियों में 'चक्की नामा' (पद्य), 'मेराजनामा' (गद्य) तथा 'सेः पारा' (गद्य) प्रमुख हैं। जिनमें गुरु की महत्ताबाह्याडंबर की निंदापैगंबर की श्रेष्ठता तथा आत्मशुद्धि का प्रतिपादन किया है।

 

शाह मीरां जी

 

  • शाह मीरां का जन्म मक्का में हुआ था धर्म प्रचारार्थ भारत आए। कुछ दिन उत्तर में रहकर बीजापुर चले गए। बयाबानी के शिष्य थे। इनका निधन सन् 1497 ई. में हो गया। इन्हें 'शंशुल उश्शाकभी कहते थे जिसका अर्थ 'प्रेमियोंका सूर्य या 'भक्त सूर्यहोता है।

 

रचनाएं- 

  • 'खुशनामा' (पद्य), 'खुशनब्ज' (पद्य), 'शहादतुल-हकीकत' (पद्य), 'शाह मर्गबुल-कुतुब' (गद्य) तथा 'सबरस' (गद्य) हैं।

 

बुरहानुद्दीन जानम 

  • शाह मीरां जी के पुत्र बुरहानुद्दीन जानम (सन् 1544 1584 ई.) श्रेष्ठ विद्वान एवं सूफी संत थे। इन्होंने अपनी भाषा को 'हिंदीकहा। 

  • रचनाएं- 'इरशाद नामातथा 'कल्मतु हकायक' 1582.

 

वजही 

  • दक्खिनी को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने का श्रेय वजही को है। डॉ. जोर ने वजही के विषय में लिखा है "वजही कई बातों के लिहाज से दक्खिन का एक अद्वितीय साहित्यकार है। उसका विषय स्वयं उसकी मानसिक उपज है। उसको इस बात का अभिमान था कि उसने और कवियों की तरह दूसरों के विषय उधार नहीं लिया। दूसरी भाषाओं से अनुवाद करना या दूसरे के विषय को उधार लेना उसकी दष्टि में चोरी और दगाबाजी जैसा अपराध था. वजही वह सौभाग्यशाली कवि है जिसकी रचना के गद्य और पद्य दोनों नमूने इस समय मौजूद हैं। ये दोनों उसकी साहित्यिक शक्ति के सबसे अच्छे सबूत हैं। गद्य 'सबरसके गुणों से साहित्य प्रेमी अपरिचित नहीं हैं और उसके पद्य कुतुब मुश्तरी के अध्ययन से कहा जा सकता है कि वह गोलकुंडा का बहुत बड़ा शायर है...वह वस्तुतः दक्खिन का एक आला करजे का कवि था। उसने बहुत अच्छा मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है। उसमें बनावटी और रूढ़िगस्त विचारों का कोई स्थान नहीं है। उनसे मालूम होता है कि सर्वप्रथम उर्दू (दक्खिनी) कवियों ने हिंदी कविता का अनुकरण आरंभ किया था। यदि वह इस पर कायम रहते तो शायद उनकी कवि आज किसी दूसरे ही रंग में होती।" 

  • रचनाएं- 'कुतुब मुश्तरीतथा 'सबरस

 

दक्खिनी हिंदी मध्यकाल के कवि एवं काव्य

 

  • इस काल का समय सन् 1500-1660 ई. तक माना गया है। इस काल के कवियों में मुहम्मद कुलीअब्दुलअमीनगौवासीतुकाराममीरां हुसैनीअफजलमुकीमीकुतबीअब्दुल्ला कुतुबसनअतीखुशनूररुस्तमी तथा निशाती प्रमुख हैं।

 

मुहम्मद कुली 

  • मुहम्मद कुली ( सन् 1564 1612 ई.) सन् 1580 ई. में गद्दी पर बैठा। कुली साहित्य कला प्रेमी शासक था। उसने लगभग एक लाख शेरों की रचना की। उसने परमार्थप्रेमसंस्कृति तथा सौंदर्य आदि पर शेर लिखे।

 

गौवासी 

  • गौवासी दक्खिनी हिंदी के प्रतिनिधि कवियों में प्रमुख थे। ये अब्दुल्ला कुतुबशाह के राजकवि थे।

 

रचनाएं-

  •  'सैफुल्मलूक-व-बदी उज्ज मालतथा 'तूतीनामा' 'सैफुल्मलूक व वदी उज्जमालकथा काव्य है जिसकी कथा अलिफ लैला की कहानी पर आधारित है। इसमें ईश्वर स्तुतिसंस्कृतिसौंदर्यप्रेमप्रकृतिविरह तथा युद्ध आदि सुंदर वर्णन किया गया है। तूतीनामा की रचना सन् 1639 ई. में सैफुल्मलूक से चौदह वर्ष बाद हुई है। जिसमें आश्रयदाता की भूरिभूरि प्रशंसा की गई है।

 

सनअती 

  • रचनाएंसन् 1645 ई. में किस्सा बेनजीरकथाकाव्य की रचना हुई। जिसमे 1615 शेर हैं। आदिलशाह की प्रशंशा की है।

 

खुशनूद 

  • रचना इनकी अनूदित रचना 'हश्त बहिश्तहै अमीर खुशरो की रचना 'हश्त बहिश्तहै सुल्तान मुहम्मद आदिल से प्रेरित होकर इसका अनुवाद किया।

 

दक्खिनी हिंदी आधुनिक काल के कवि एवं काव्य

 

इस काल का समय सन् 1660 1840 ई. तक है। इस काल के कवियों में नस्रतीमीरांजी खुदानुमातबईगुलाम अलीइश्रतीजईफीमुहम्मद अमीनवज्दीवली दकनीवली वेल्लोरीहाशिम अलीकयासीबाकर अगाहतथा तुराब दखनी आदि प्रमुख हैं-

 

नत्रती 

  • दक्खिनी हिंदी कवियों में नस्रती का महत्वपूर्ण स्थान था। ये औरंगजेब के समकालीन थे। बीजापुर के रहने वाले थे। नत्रती का परिवार सेना से सम्बद्ध था। प्रसिद्ध सूफी संत गेसूदराज का अनुयायी था।

 

रचनाए-

  •  'गुल्शने इश्क'- इसमें मनोहर और मधुमालती के प्रेम का वर्णन किया गया है। प्रेम की प्रधानता के कारण उसका नाम प्रेट वाटिका है।

 

  • 'अलीनामा'-चरित काव्य है जो सुल्तान अली आदिल से सम्बद्ध है। इस कथा काव्य में औरंगजेब शिवा जी और मालाबार के राजा के साथ महत्वपूर्ण युद्धों का सुंदर वर्णन है।

 

तबई 

  • तबई (सन् 1672 – 1687 ई.) कुतुबशाह का दरबारी कवि था। दक्षिण का अंतिम महाकवि था। 

रचना- 

  • 'बहरामो गुलदामइसमें 1340 शेर हैं। तबई ने इसका सजन 40 दिनों में किया।

 

वली दकनी 

  • इनका नाम वली मुहममद था। वली मुहम्मद (सन् 16821730 ई.) के साथ पुरानी दक्खिनी धारा की परिसमाप्ति थी। उसके बाद उर्दू काव्य धारा का युग प्रारंभ हुआ। ये संधिकाल के महाकवि थे।

 

बाकर आगाह 

  • आगाह (सन् 1745 – 1805 ई.) का जन्म वेल्लोर में हुआ था। अरबीफारसी तथा उर्दू के ज्ञाता थे। 

रचनाएं

  • अकायद नामा तोहफतुन्निसाहश्त बहिश्त (आ. भाग)रिया जुल्जनामहबूबुल्कुलूबहाशिया मन दर्पणतोहफये-अहबाबमेराज नामाहिदायत नामागुल्जारे इश्करूप सिंगारदीवान आगाहरौजत-ल् रियाज-स्- सैनखम्सा मुत्बहराफिर्क हाय इस्लाम इस्लामफरायद-दर-अक्रायद,

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