महाकवि कालिदास के काव्य की विशेषता समीक्षा
महाकवि कालिदास के काव्य की विशेषता समीक्षा
- महाकवि कालिदास की कविता देववाणी का श्रृंगार है। माधुर्य का निवेश, प्रसाद की स्निग्धता, पदों की सरस शय्या, अर्थ का सौष्ठव, अलंकारों का मंजुल प्रयोग कमनीय काव्य के समस्त लक्षण कालिदास की कविता में अपना अस्तित्व धारण किये हुए हैं।
- कालिदास भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि कवि हैं, जिनके पात्र भारतीयता की भव्य मूर्ति हैं। जीवन की विविध परिस्थितियों के मार्मिक रूप को ग्रहण करने की क्षमता जिस कवि में विशेष रूप से होगी, जनता का वही सच्चा रूप उनके काव्यों में झाँकता है तथा उनके नाटकों में अपना अभिनय दिखाता है। कालिदास की कविता का प्रधान गुण है।
- वर्ण्य-विषय तथा वर्णन-प्रकार में मंजुल सामन्जस्य । कालिदास चुने हुए थोड़े शब्दों में जिन भावों की अभिव्यक्ति कर रहे हैं उन्हें दूसरा कवि विस्तार से लिखकर भी प्रकट नहीं कर सकता। वह जिसे छू देते हैं वह सोना बन जाता है।
- औचित्य के तो वे प्रवीण मर्मज्ञ हैं। जिन भावों का जिन शब्दों के द्वारा प्रकटन कलात्मक तथा रूचिर होगा, वे उन भावों को उन्ही शब्दों में प्रकट कर अपनी भावुकता का परिचय देते हैं।
- कालिदास के काव्यों में हृदय –पक्ष का प्राधान्य है। कवि मानव हृदय की परिवर्तनशील वृत्तियों को समझने तथा उन्हें अभिव्यक्त करने में अद्भुत चातुर्य रखता है। संसार का अनुभव उसे गहरा तथा जर्मन महाकवि गेटे ने एक स्वर से कालिदास के भावों की उदारता तथा महनीयता की प्रशंसा की है।
- कालिदास प्रतिभासम्पन्न स्वतन्त्र कवि हैं, जिन्होंने अपने काव्यों की शैली का रूप निरूपण स्वयं किया । रसमयी पद्धति अथवा 'सुकुमार मार्ग' के कवि ने अपने भावों की तीव्रता तथा उदात्तता के संचार के लिए अलंकारों का भी प्रयोग बड़े ही औचित्य से किया । 'उपमा कालिदासस्य' का भारतीय आभाणक वस्तुत: यथार्थ प्रतीत होता है। उनकी उपमायें लोक तथा प्रकृति के मार्मिक स्थलों से संगृहीत की गयी हैं तथा विषय को उज्जवल करने और काव्यसुषमा की वृद्धि में नितान्त समर्थ हैं। अन्तर्जगत् तथा बहिर्जगत् से चुने जाने के कारण इन उपमाओं में एक विलक्षण