महाभारत ग्रंथ परिचय|महाभारत के पर्व और उनका संबंध |महाभारत के उपाख्यान |Mahabharat General Knowledge in Hindi

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महाभारत ग्रंथ परिचय (Mahabharat General Knowledge in Hindi)

 

महाभारत ग्रंथ परिचय|महाभारत के पर्व और उनका संबंध |महाभारत के उपाख्यान |Mahabharat General Knowledge in Hindi

महाभारत ग्रंथ परिचय (Mahabharat General Knowledge in Hindi)

  • महाभारत के खण्डों को पर्व कहते हैं। ये संख्या में 18 अठारह हैं (1) आदि, (2) सभा, (3) वन, (4) विराट, (5) उद्योग, (6) भीष्म, (7) द्रोण, (8) कर्ण, (9) शल्य, (10) सौप्तिक, (11) स्त्री, (12) शान्ति, (13) अनुशासन, (14) अश्वमेघ, (15) आश्रमवासी, (16) मौसल, (17) महाप्रस्थानिक, (18) स्वर्गारोहण । 


महाभारत के पर्व और उनका संबंध 

  1. आदि पर्व में चन्द्रवंशका विस्तृत इतिहास तथा कौरव-पाण्डवों की उत्पत्ति का वर्णन है।
  2. सभा पर्व में द्यूतक्रीडा
  3. वन पर्व में पाण्डवों का वनवास
  4. विराटपर्व में पाण्डवों का अज्ञातवास
  5. उद्योग भीष्म का 
  6. युद्ध पर्व में श्रीकृष्ण का दूत बनकर कौरवों की सभा में जाना तथा शान्ति का उद्योग करना
  7. भीष्म पर्व में अर्जुन को गीता का उपदेश युद्ध का आरम्भऔर शरशय्या पर पड़ना
  8. द्रोण पर्व में अभिमन्यु वधद्रोणाचार्य का युद्ध और वधकर्ण का युद्ध और वध
  9. शल्य पर्व शल्य की अध्यक्षता में लड़ाई और अन्त में वध
  10. सौप्तिक पर्व में पाण्डवों के सोये हुए पुत्रों का रात में अश्वत्थामा द्वारा वध
  11. सत्रीपर्व में स्त्रियों का विलाप
  12. शान्तिपर्व में भीष्म पितामह का युधिष्ठिर को मोक्षधर्म तथा राजधर्म का उपदेश
  13. अनुशासन पर्व में धर्म तथा नीति की कथाएँ
  14. अश्वमेघ पर्व में युधिष्ठिर का अश्वमेघ यज्ञ करना
  15. आश्रमवासी पर्व में धृतराष्ट्रगान्धारी आदि का वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करना
  16. मौसल पर्व में यादवों का मूसल के द्वारा नाश
  17. महाप्रस्थानिक पर्व में पाण्डवों की हिमालय-यात्रा तथा 
  18. स्वर्गारोहण पर्व में पाण्डवों का स्वर्ग में जाना वर्णित है।

 

महाभारत के उपाख्यान

इनके अतिरिक्त महाभारत में अनेक रोचक तथा शिक्षाप्रद उपाख्यान भी हैजिनमें निम्नलिखित आख्यान विशेष प्रसिद्ध हैं-


 

(1) शकुन्लोपाख्यान - 

  • यह उपाख्यान महाभारत के आदिपर्व में है (आ0 71), जिसमें दुष्यन्त और शकुन्तला की मनोहर कथा है महाकवि कालिदास के 'शकुन्तलां नाटक का आधार यही आख्यान है।

 

(2) मत्स्योपाख्यान- 

  • यह वनपर्व में है। इसमें मत्स्यावतार की कथा हैजिसमें प्रलय उपस्थित होने पर मत्स्य के द्वारा मनु के बचाये जाने का विवरण है । यह कथा शतपथ ब्राह्मणमें भी उपलब्ध होती है तथा भारत से भिन्न् देशों के इतिहास में भी इसका उल्लेख मिलता है।

 

(3) रामोपाख्यान 

  • यह भी कथा वनपर्व के 18 अध्यायों में वर्णित है (अ0 274-291)

 

(4) शिवि उपाख्यान - 

  • यह सुप्रसिद्ध कथानक वन पर्व में ही है जिसमें उशीनर के राजा शिवि ने अपना प्राण देकर शरण में आये कपोत की रक्षा बाज से की थी (अ0 130) यह कथा जातकों में भी आती है।

 

(5) सावित्री उपाख्यान

  •  भारतीय ललनाओं के लिए आदर्शरूप सावित्री की कथा वनपर्व में मिलती है। महाराज द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान् तथा सावित्री का उपाख्यान पातिव्रत्य धर्म की पराकाष्ठा है। ऐसी सुन्दर कथा शायद ही किसी अन्य साहित्य में प्राप्त हो (अ0 239)

 

(6) नलोपाख्यान- 

  • राजा नल और दमयन्ती की कमनीय कथा इसी पर्व में मिलती है। (अ0 52-79)। श्रीहर्ष के 'नैषधचरितमहाकाव्य का यही आधार है। 

विषय सूची 

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