मुद्राराक्षस के पात्रों का चरित्र चित्रण | मुद्राराक्षस के नायक चाणक्य की चारित्रिक विशेषताएँ | Mudrarakshasa Character Details in Hindi

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मुद्राराक्षस के पात्रों का चरित्र चित्रण 

 (Mudrarakshasa Character Details in Hindi)

मुद्राराक्षस के पात्रों का चरित्र चित्रण   (Mudrarakshasa Character Details in Hindi)



मुद्राराक्षस के पात्रों का चरित्र चित्रण  (Mudrarakshasa Character Details in Hindi)

चाणक्य- 

मुद्राराक्षस के नायक चाणक्य हैं। यह श्रोत्रिय ब्राह्मण हैं तथा अत्यन्त ही सादा जीवन व्यतीत करते हैं। वह पुरानी झोपड़ी में रहते हैं। ये चन्द्रगुप्त मौर्य के मन्त्री हैं तथा अपनी कुशलता राजनीतिज्ञता के बल पर इन्होंने राक्षस को वश में किया है। सम्पूर्ण नाटक का सूक्ष्मावलोकन करने पर चाणक्य की निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताएँ प्रकट होती हैं

मुद्राराक्षस के नायक चाणक्य की चारित्रिक विशेषताएँ 

1. दृढ़प्रतिज्ञ-चाणक्य अत्यन्त दृढ़निश्चयी हैं। ये एक बार जो मन में ठान लेते हैं वह कार्य करके ही दम लेते हैं। नन्द साम्राज्य को नष्ट करके मौर्य साम्राज्य को स्थापित करने के लिये वे यह प्रतिज्ञा करते हैं कि मैं अपनी शिखा तभी बाघूँगाजब मौर्य साम्राज्य स्थापित हो जाएगा ।''अपनी यह प्रतिज्ञा अन्ततः पूर्ण करते हैं। अमात्य राक्षस जैसा व्यक्ति भी चाणक्य के सामने हताश हो जाता है । राक्षस को चन्द्रगुप्त का मंत्री बनाकर ही चाणक्य दम लेते हैं ।

 

2. महान तेजस्वी तथा प्रचण्ड क्रोधी- चाणक्य बड़े ही तेजस्वी और महान् पुरुष नन्द जैसे व्यक्ति जो कि ऐश्वर्य में कुबेर के समान थे तथा शक्ति में इन्द्र के समान थेवह भी चाणक्य के तेज के सामने नहीं टिक पाये। वह प्रचण्ड क्रोधी थे। उनका या चन्द्रगुप्त का अनिष्ट करना अत्यन्त क्रुद्ध सिंह के मुख से जबरदस्ती तोड़कर दांत निकालने के समान भयंकर है चाणक्य ने यह घोषणा की है कि मेरे क्रोध के सामने कोई व्यक्ति टिक नहीं सकता। मेरी शक्ति से मुकाबला करने वाला व्यक्ति आग में गिरने वाले पतिंगे की तरह विनष्ट हो जाएगा । 


सद्यः परात्मपरिणामविवेकमूढः 

कः शालभेन विधिना लभतां विनाशम् ।।-1/10

 

चाणक्य की शिखा नन्दकुल को डसने वाली नागिन है 


नन्दकुल कालभुजग.... .. शिखा मे 1-1 / 9

 

3. अत्यन्त बुद्धिमान्-नन्द का विनाश तथा शूद्रापुत्र चन्दगुप्त को राजा बनाना - यह चाणक्य की ही बुद्धि का परिणाम है। अपनी बुद्धि के प्रयोग से बनाये गये जाल में वे राक्षस को इस तरह फंसते हैं कि राक्षस को बहार निकलने का एक ही रास्ता दिखाई देता है। वह है के मन्त्रिपद का स्वीकार चाणक्य ने अपनी चतुरता के बल से ही राक्षस के नाम से एक लेख लिखवाया तथा उस पर राक्षस की ही मुहर लगवायी । यह लेख भी राक्षस के प्रियमित्र चन्दनदास के द्वारा चाणक्य ने लिखवाया। भागुरायण को मलयकेतु का मित्र बनवाकर उसके द्वारा राक्षस तथा मलयकेतु के बीच कलह करावाया। यह सब चाणक्य की बुद्धिमत्ता का ही परिणाम है।

 

4. कार्यपुट- चाणक्य अत्यन्त कार्यकुशल हैं। किसे क्या काम नहीं सौंपना चाहियेकौन दण्डनीय है तथा कौन पुरस्कारणीय हैइस बात में चाणक्य अत्यन्त निपुण हैं।

 

5. स्वाभिमानी - चाणक्य अत्यन्त स्वाभिमानी है। वह कोई भी बड़ा से बड़ा कार्य अकेले करने हैं में समर्थ हैं उनकी चुनौती है कि जिस कार्य को सैकड़ों सेनाएँ भी एक साथ नहीं कर सकतींउसे कार्य को चाणक्य अपनी बुद्धि के बल पर कर सकते

 

एका केवलमेव साधनविधौ सेनाशतेभ्योऽधिका 

नन्दोन्मूलनदृष्टवीर्यमहिमा बुद्धिस्तु मा गान्म-1/25 


6. कुशल राजनीतिज्ञ - सम्पूर्ण नाटक में चाणक्य की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता प्रकट होती है उसकी कुशलता राजनीतिज्ञता वे बड़े ही कूटनीतिज्ञ थे। गुप्तचरों का जाल बिछाकर राक्षस के क्रियाकलापों को वे सदा जानते रहते थे। चाणक्य की राजनीति का वर्णन भागुरायण करता है - 

अहो चित्राकार नियतिरिव नीतिर्नयविदः।-5/3

 

चाणक्य की अनेक गुप्त बातें स्वयं चन्द्रगुप्त भी नहीं जान पाता था। उनके द्वारा एक ही कार्य में प्रयुक्त गुप्तचर भी परस्पर एक-दूसरे को नहीं जानते थे । विषकन्या द्वारा पर्वतक की हत्या तथा राक्षस पर हत्या का आरोप लगवानामलयकेतु तथा राक्षस में विरोध उत्पन्न करना इत्यादि चाणक्य की कूटनीतिज्ञता के उदाहरण हैं।

 

7. गुणग्राही-चाणक्य गुणग्राही है। अमात्यराक्षस के सद्गुणों के कारण ही राक्षस उसे चन्द्रगुप्त का मन्त्री बनाना चाहते थे । चाणक्य का विरोधी राक्षस जैसा व्यक्ति भी उसकी प्रशंसा करता है। इस प्रकार मुद्राराक्षस के अनुशीलन से भारत के महान सम्राट् चन्द्रगुप्त मौर्य के मन्त्री महान् राजनीतिज्ञ चाणक्य की उपुर्यक्त विशेषताएँ स्पष्ट होती है।


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