मुद्राराक्षस में चन्दनदास का चरित्र (Mudrarakshasa Me Chandan Das Ka charitra)
मुद्राराक्षस में चन्दनदास का चरित्र
मुद्राराक्षस में चन्दनदास का चरित्र अत्यन्त प्रभावशाली, प्रशंसनीय तथा परोपकार से परिपूर्ण है। यह मणिकारों का राजा है। कुसुमपुर का यह जाना माना धनिक है। यह अमात्य राक्षस का मित्र है ।
मुद्राराक्षस को देखने पर चन्दनदास के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. राक्षस का परम मित्र तथा स्नेही-
- चन्दनदास अमात्यराक्षस का परम मित्र है। अमात्यराक्षस पर संकट आने पर वह अपने परिवारजनों को चन्दनदास के ही घर में सुरक्षित रख देता है । चन्दनदास भी राक्षस के परिवारजनों को अपने घर से किसी सुरक्षित जगह पर भेज देता है।
2. निर्भय -
- चन्दनदास अत्यन्त निर्भय है । वह चाणक्य के द्वारा कठोर दण्ड देने के भय से भी भयभीत नहीं होता और स्पष्ट उत्तर दे देता है कि यदि राक्षस के परिवारजन मेरे घर में होते, तो भी मैं उन्हें समर्पित नहीं करता फिर जब राक्षस परिवारजन मेरे यहाँ नहीं हैं तो मैं उन्हें कहाँ से दूँगा ?
3. अत्यन्त त्यागी-
चन्दनदास मित्र के परिवारजनों की रक्षा के लिये अपने प्राण देने के लिये भी तैयार हो जाता है। चाणक्य स्वयं उसकी प्रशंसा करते हुए कहता है कि-
सुलभेश्वर्थलाभेषु परसंवेदने जनः ।
क इदं दुष्कर कुर्यादिदानीं शिविना बिना II - ( 1/23)
अमात्यराक्षस भी उसकी तुलना राजा शिवि के साथ करता है। चन्दनदास अपना आदर्श अपनी पत्नी को बताता है- “आर्ये! अयं मित्रकार्येण में विनाशो न पुनः पुरुषदोषेण तदलं विशादेन।” इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि चन्दनदास बलिदान की मूर्ति है। मित्र के कार्य के लिये वह सूली पर चढ़ने से भी डरता। इसीलिये अन्त में चाणक्य उसे व्यापारिक संघ का प्रधान बना देता है।