संस्कृति का सामान्य अर्थ |संस्कृति का मानव शास्त्रीय समाजशास्त्रीय अर्थ | Culture Meaning Details in Hindi

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 संस्कृति का सामान्य अर्थ,  संस्कृति का मानव शास्त्रीय  समाजशास्त्रीय अर्थ

संस्कृति का सामान्य अर्थ |संस्कृति का मानव शास्त्रीय  समाजशास्त्रीय अर्थ | Culture Meaning Details in Hindi


संस्कृति का सामान्य अर्थ


  • संस्कृति शब्द अनेक अर्थो में प्रयुक्त होता है। संस्कृति शब्द की व्युत्पति संस्कृति की सम्+कृ धातु से हुई है जिसका अर्थ है पूरा किया हुआ या परिष्कृत किया गया। संस्कार शब्द का अर्थ भी इसी प्रकार का है । अर्थात विभिन्न कार्यो को पूरा करना संस्कार कहलाता है । इस प्रकार संस्कृति भी विभिन्न संस्कारों द्वारा सामूहिक जीवन के उद्देश्यों की प्राप्ति कराती है जिनके करने से मानव सामाजिक प्राणी बनता है । 

  • साहित्यकारों ने संस्कृति को सामाजिक शिष्टता एवं बौद्धिक श्रेष्ठता के अर्थ में प्रयुक्त किया है। समाजशास्त्रियों ने संस्कृति को नैतिक,आध्यात्मिक और बौद्विक उपलब्धियों के लिये प्रयोग किया है । इस प्रकार संस्कृति अनेक अर्थो में विद्वानों द्वारा प्रयुक्त की गई है। वास्तव में यह व्यक्ति के समग्र जीवन से सम्बंधित होती है, जो विभिन्न संस्कारों द्वारा संस्कारित होती है और मानव को संस्कारित व सामाजिक प्राणी बनाती है। यह एक अवधारणात्मक तथ्य है जो ऐतिहासिक विकास में किसी भूमि पर बसने वाले जन समूह की विशिष्टता को व्यावर्तित कर, उसे अन्य भूमि के जन से पृथक करती है। इसलिए उसको किसी भूमि पर लम्बे समय से निवास कर रहे जन समूह के चिति के रूप में समझा जा सकता है अर्थात समष्टिगत अनुभव को जो ऐतिहासिक विशिष्टता से युक्त होता है, संस्कृति कहा जा सकता है।

1 संस्कृति का मानव शास्त्रीय अर्थ


मानवशास्त्रियों ने संस्कृति का विभिन्न अर्थो में प्रयोग किया है 

(1) टायलर के अनुसार संस्कृति का अर्थ

  • संस्कृति वह जटिल समग्रता है, जिसमें ज्ञान, विज्ञान, कला, आचार, कानून, प्रथा एवं इसी प्रकार की अन्य क्षमताएं व आदतें सम्मिलित हैं जिन्हें मनुष्य समाज का सदस्य होने के कारण प्राप्त करता है।

  • टायलर की परिभाषा के आधार पर स्पष्ट है कि मनुष्य अपने सामाजिक जीवन में जो कुछ सीखता है समाज से प्राप्त करता है, वह संस्कृति है या संस्कृति एक सामाजिक विरासत है, समाज द्वारा मानव को दिया हुआ उपहार है।


(2) मैलिनोवस्की के अनुसार” संस्कृति का  अर्थ

  • संस्कृति व्युत्पन्न आवश्यकताओं की एक व्यवस्था और उद्देश्य क्रियाओं की एक संगठित व्यवस्था है।" इस परिभाषा के अनुसार संस्कृति में व्यक्ति की शारीरिक मानसिक और अन्य सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले तरीकों को लिया गया है।

3) हॉवेल के अनुसार संस्कृति का अर्थ


  • "संस्कृति सम्बन्धित सीखे हुए व्यवहार प्रतिमानों का सम्पूर्ण योग है जो किसी समाज के सदस्यों की विशेषताओं को बताता है और इसीलए प्राणिशास्त्रीय विरासत का परिणाम नहीं होता । हॉवेल ने इस परिभाषा में संस्कृति को सामाजिक आविष्कारों का परिणाम बताया है, वंशानुक्रमण द्वारा इसका निर्धारण नहीं होता।

(4) राल्फ पिडिंगटन के मतानुसार”संस्कृति का  अर्थ

  • संस्कृति उन भौतिक एवं बौद्धिक साधनों अथवा उपकरणों का सम्पूर्ण योग हैं जिनके द्वारा व्यक्ति अपनी प्राणीशास्त्रीय तथा सामाजिक आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करता है और अपने पर्यावरण से अनुकूलन करता हैपिडिंगटन ने अपनी परिभाषा में संस्कृति में दो पक्षों को सम्मिलित किया है- (1) भौतिक वस्तुएं-जिनमें भवन, बर्तन, वस्त्र, औजार, आदि आते है, और (2) अभौतिक बाते जिनमें ज्ञान, मूल्य, विश्वास आदि समाहित है। संस्कृति के दोनों ही पक्ष एक-दूसरे के पूरक है।

(5) हरकोविट्स के शब्दों में, संस्कृति का  अर्थ

  • " संस्कृति पर्यावरण का मानव निर्मित भाग है।इस परिभाषा में यह दृष्टव्य हे कि हमारे चारो ओर की जितनी वस्तुएं मनुष्य द्वारा निर्मित है।" वे सभी संस्कृति के अन्तर्गत आती है। इन्होने दो प्रकार का पर्यावरण बताया है। (1) प्राकृतिक पर्यावरण और (2) सामाजिक पर्यावरण-संस्कृति में सामाजिक पर्यावरण को लिया गया है- आभूषण, औजार, मकान, परम्परा, विश्वास, कला, धर्म, भाषा आदि सभी मानवकृत होने के कारण संस्कृति का अंग है।


(6) गोल्डन वाइजर के अनुसार संस्कृति का अर्थ

  •  संस्कृति के अन्तर्गत हमारे दृष्टिकोण, विश्वास, विचार, निर्णय, मूल्य व हमारी संस्थाएं- राजनैतिक व वैधानिक, विज्ञान, दर्शन, तथा, अन्य बहुत-सी वस्तुओं को समाहित किया है।


( 7 ) लोवी के अनुसार संस्कृति का अर्थ

  • 'सम्पूर्ण सामाजिक परम्परा ही संस्कृति है।” 

8) लिंटन के मत में संस्कृति का अर्थ

  • संस्कृति ज्ञान, धारणाएं एवं प्राकृतिक व्यवहार के प्रतिमानों का कुल " योग है जिसके सभी भागीदार होते है तथा जो हस्तान्तरित की जाती है।"

"

(9) दुबे के अनुसार संस्कृति का  अर्थ

  • सिखे हुए व्यवहार प्रकारकी उस समग्रता को जो किसी को समुह वैशिष्ट्य प्रदान करती है, संस्कृति की संज्ञा दी जा सकती है।" इस प्रकार मानवशास्त्रियो के मत में संस्कृति विचार करने, अनुभव करने एवं जीवन व्यतीत करने की एक सम्पूर्ण विधि है।


2 संस्कृति का समाजशास्त्रीय अर्थ


अनेक समाजशास्त्रियों ने संस्कृति को अनेक रूपो में परिभाषित किया है, जो इस प्रकार है

(1) मैकाइवर एवं पेज के अनुसार संस्कृति का अर्थ 

  • संस्कृति हमारे दैनिक व्यवहार में कला साहित्य, धर्म, मंनोरजंन, और आनन्द में पाये जाने वाले रहन सहन और विचार के तरीको में हमारी प्रकृति की अभिव्यक्ति है।इनके मत में संस्कृति व्यक्तित्व से पूर्णतया सम्बंधित है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से यह सम्बधित हैं। ,

(2) गिलिन एवं गिलिन के अनुसार संस्कृति का अर्थ 

  • संस्कृति प्रत्येक समूह तथा प्रत्येक समाज में आन्तरिक एवं बाह्य व्यवहार के ऐसे प्रतिमानों का समूह होता है जो न्यूनाधिक रूप से सदस्यों में सामान्य होते हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होते है तथा बच्चों को सिखाये जाते है और जिनमें निरन्तर परिवर्तन की सम्भावना बनी रहती हैं। इन सामान्य प्रतिमानों को संस्कृति कहा जाता है।‘‘ इस परिभाषा में संस्कृति में समाज के आन्तरिक एवं बाह्य सभी व्यवहार आ जाते है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होते हैं।

(3) रॉबर्ट वीरस्टीड के अनुसार संस्कृति का अर्थ 

  • संस्कृति वह सम्पूर्ण जटिलता है जिसमें वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जिन पर हम विचार करते हैं, कार्य करते हैं और समाज के सदस्य होने के नाते अपने पास रखते हैं।‘‘ इस प्रकार इनके मत में संस्कृति जीवन जीने, विचार करने का तरीका है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होता है।

(4) लेंडिस के मत मेंसंस्कृति का अर्थ 

  • संस्कृति वह संसार है जिसमें एक व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक निवास करता है, चलता-फिरता है और अपने अस्तित्व को बनाए रखता है।" 

(5) टालकॉट पारसन्स के अनुसार संस्कृति का अर्थ 

  • संस्कृति को ऐसे पर्यावरण के रूप में परिभाषित किया है जो मानव क्रियाओं के निर्माण में मौलिक है। अर्थात इनके मत में संस्कृति मानव के वैयक्तित्व एवं क्रियाओं का निर्धारण करती है। 

(6) फेयर चाइल्ड के अनुसार संस्कृति का अर्थ 

  • प्रतीकों द्वारा सामाजिक रूप से प्राप्त और संचारित सभी व्यवहार प्रतिमानों का सामूहिक नाम संस्कृति है ।


( 7 ) ब्रूम एवं सेल्जनिक के अनुसार संस्कृति का अर्थ 

  • संस्कृति को सामाजिक विरासत मानते है । इस प्रकार सभी समाजशास्त्री संस्कृति को समाज की धरोहर के रूप में मानते हैं। संस्कृति की मानवशास्त्रिय एवं समाजशास्त्रीय परिभाषाओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि संस्कृति में विश्वास,विचार,प्रथाए, कानून, आदर्श, कला, निपुणता आदि सभी समाहित है; साथ ही भवन , यंत्र, चित्रकला आदि भी इसी के अन्तर्गत आते है। निष्कर्षतः संस्कृति भौतिक एवं अभौतिक तत्वों की वह सम्पूर्णता है जिसे समाज का सदस्य होने के कारण हम प्राप्त करते है। इसमें सम्पूर्ण जीवन के तरीके, मानवकृत, सामाजिक, पर्यावरण भी आता है । इस प्रकार संसार में जो कुछ मनुष्य ने अपनी बुद्धि व अनुभव से बनाया है, संस्कृति का ही अंग है। हाथ के अंगूठे की विशेष बनावट भी इसमें सहायक होती हैं जिसके कारण व्यक्ति अनेक आश्चर्यजनक कार्य कर सकता है- बड़े-बड़े यन्त्र, कल-कारखाने, भवन निर्माण व कलाकृति आदि का निर्माण तथा लेखन क्षमता आदि इन्ही के कारण सम्भव हो सकी हैं। यदि यह क्षमता व्यक्ति में न होती, तो वह कोई भी रचनात्मक कार्य करने में अक्षम रहता। संस्कृति अनोखे रूप में एक मानव-संघटन है अर्थात मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो संस्कृति का निर्माता है। संस्कृति मानव की श्रेष्ठ धरोहर है जिसके कारण मानव अनवरत प्रगति के पथ पर अग्रसर होता जा रहा है। यदि मानव संस्कृति विहीन हो जाये तो वह पशुवत हो जायेगा क्योंकि पशु संस्कृति के अधिकारी नहीं होते।

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