महात्मा गाँधी का जीवन परिचय | महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay Mahatma Gandhi in Hindi

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महात्मा गाँधी पर निबंध (Essay Mahatma Gandhi in Hindi)

महात्मा गाँधी का जीवन परिचय | महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay Mahatma Gandhi in Hindi


महात्मा गाँधी पर निबंध  (Essay Mahatma Gandhi in Hindi)

 

  • महात्मा गाँधी हमारे राष्ट्रपिता हैं। आधुनिक भारत की संरचना के हर ताने-बानें में उनके जीवन-दर्शन की अमिट छाप आज भी दृष्टिगोचर है। इतना ही नहीं, गाँधी जी की विचार धारा ने पूरे विश्व पर अपना प्रभाव डाला है। तभी तो उनके बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइन्सटाइन ने कहा था कि "हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़मांस से बना ऐसा कोई इन्सान भी धरती पर कभी आया था ।" विश्वपटल पर महात्मा गाँधी सिर्फ एक नाम नहीं, अपितु शान्ति और अहिंसा के उत्कृष्ट प्रतीक हैं। उनके जन्मदिन को आज अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

  • गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था गाँधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनके पिता काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत के दीवान थे। मात्र तेरह वर्ष की आयु में इनका विवाह कस्तूरबा से कर दिया गया।

 

  • गाँधीजी के बचपन की कई घटनाएं हैं जिनका वर्णन उन्होंने गुजराती में लिखी अपनी आत्मकथा "मेरे सत्य के प्रति प्रयोग" में किया है। इससे पता चलता है कि कैसे गाँधीजी के बचपन के अनुभव उनके विराट व्यक्तित्व का हिस्सा बने। उनकी माता पुतलीबाई बहुत धर्मनिष्ठ महिला थीं। सत्य के प्रति आग्रह एवं निष्ठा उन्होंने अपनी माँ से ही सीखा। गाँधीजी की बाल्यावस्था में दो कहानियों ने उन पर गहरा प्रभाव छोड़ा एक थी श्रवणकुमार की पितृभक्ति और दूसरी सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र की कथा । बालक गाँधी में एक और विलक्षण गुण देखने को मिलता है, वह है आत्ममन्थन तथा आत्मनिरीक्षण की प्रवृत्ति क्या सही है क्या गलत, क्या सत्य है क्या असत्य इसका निर्णय उनके लिये सर्वोपरि था। उनके बचपन की एक सर्वविदित घटना है जब मिस्टर गाइल्स उनके स्कूल का निरीक्षण करने आये हुये थे। गाँधीजी ने उस दिन की परीक्षा में किसी शब्द की वर्तनी अशुद्ध लिखी थी । अध्यापक ने इशारा किया कि वह पास बैठे विद्यार्थी की कॉपी से नकल कर लें परन्तु गाँधीजी ने नकल नहीं की, क्योंकि वह मानते थे कि यह गलत है। इसके बाद भी उन्होंने उन अध्यापक के प्रति सम्मान का भाव रक्खा क्योंकि उन्हें सिखाया गया था कि बड़ों का सदैव आदर करना चाहिये ।

 

  • ऐसा नहीं है कि गाँधीजी ने बचपन में या उसके बाद गलतियाँ नहीं की। उन्होंने घरवालों से छिपकर मांसाहार किया, सिगरेट पीने की कोशिश की, और पैसे भी चुराये परन्तु हर गलती के बाद उन्होंने गहन चिन्तन किया और पश्चाताप भी किया एक बार बालक गाँधी ने अपनी सारी गलतियाँ स्वीकार करते हुये उन्हें एक कागज पर लिखकर अपने पिता को पकड़ा दिया, और दन्ड की प्रतीक्षा करने लगे। इसे पढ़ने के बाद पुत्र की ईमानदारी पर पिता जी की आंखों में आंसू आ गये। अपनी कमियों को ईमानदारी से देखना और अपनी गलतियों से सबक लेना महानता का परिचायक होता है, यही हमें गाँधी जी से सीखने को मिलता है।

महात्मा गाँधी प्रारम्भिक शिक्षा 

  • प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर से प्राप्त करने के बाद गाँधी जी कानून की पढ़ाई करने के लिये इंग्लैण्ड चले गये । वर्ष 1893 में इंग्लैण्ड से वापस आने के बाद उन्होंने एक भारतीय फर्म से एक वर्ष के करार पर नटाल (दक्षिण अफ्रीका) में वकालत का कार्य स्वीकार किया । यहाँ उन्हें अंग्रेजों के रंगभेद एवं नस्लीय भेदभाव पूर्ण शासन का कटु अनुभव हुआ, जिसने उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया। दक्षिण अफ्रीका में एक बार ट्रेन में यात्रा के दौरान प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर जाने से इन्कार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। एक बार घोड़ागाड़ी के चालक से उन्हें पिटना पड़ा, क्योंकि यूरोपीय यात्री को अपनी जगह देकर पायदान पर यात्रा करने से उन्होंने मना कर दिया। नटाल में भारतीय व्यापारियों और श्रमिकों के लिये ऐसे अपमान उनके दैनिक जीवन का हिस्सा थे. 

 

  • दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के मूलभूत नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष करते हुये वे कई बार जेल भी गये। रंगभेद की नीति के विरोध में उन्होंने लोगों को संगठित करके ब्रिट्रिश शासन के विरुद्ध बिना हिंसा का सहारा लिये सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ किया। जब डरबन के न्यायालय में एक यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने उन्हें पगड़ी उतारने के लिये कहा तो उन्होंने इन्कार कर दिया और न्यायालय से बाहर चले गये। १६०६ में दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसवाल प्रान्त की सरकार ने भारतीयों के पंजीकरण के लिये विशेष रूप से एक अपमानजनक अध्यादेश जारी किया। गाँधी जी के नेतृत्व में समस्त भारतीयों ने इसका जमकर विरोध किया, और इस आन्दोलन से सत्याग्रह का जन्म हुआ सत्याग्रह का अर्थ है बिना हिंसा किये सत्य के पथ पर चलकर शान्ति से अपनी बात मनवाना. 

 

  • गाँधी जी अफ्रीका में 21 साल रहने के बाद 1914 में भारत वापस आये। इस समय तक वे एक महान क्रान्तिकारी तथा अन्याय विरोधी नेता के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे । 1917 - 18 के दौरान उन्होंने बिहार के चम्पारण नामक स्थान के खेतों में पहली बार सत्याग्रह का प्रयोग किया, क्योंकि अकाल के बाद वहाँ के किसान कर अदा करने की स्थिति में नहीं थे।

 

  • फरवरी 1919 में रॉलेट एक्ट पर, जिसके तहत बिना मुकदमा चलाये जेल भेजने का प्रावधान था, उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया और सत्याग्रह आन्दोलन करने की घोषणा कर दी। उन्होंने समस्त देशवासियों से आह्वान किया कि वे सभी ब्रिटिश स्कूल और कॉलेजों का बहिष्कार करें तथा सरकार के साथ असहयोग करके उसे पूरी तरह अपंग कर दें। गाँधी जी ने साबरमती में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की तथा 1919 में "सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया। 1930 में दाँडी यात्रा में नमक बना कर उन्होंने एक अन्यायपूर्ण कानून का सफलता पूर्वक उल्लंघन किया । स्वतन्त्रता संग्राम के इस दौर में गाँधीजी का तात्कालिक उद्देश्य था- भारत की स्वाधीनता, उसका स्वाभिमान जगानातथा इस उद्देश्य के लिये सामूहिक चेतना का निर्माण करना । ब्रिटिश सरकार की विभिन्न नीतियों के विरोध में उन्होंने दिसम्बर 1931 में एक बार पुनः सत्याग्रह प्रारम्भ किया द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1942 में अंग्रेज सरकार के विरोध में गाँधी जी ने 'करो या मरो' तथा 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का निर्णयात्मक आन्दोलन छेड़ दिया । इसका इतना अधिक देशव्यापी प्रभाव पड़ा कि सारे भारतवासी इस आन्दोलन में कूद पड़े ।

 

  • अन्ततः अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। 15 अगस्त 1947 को भारतवर्ष स्वतन्त्र हो गया। लेकिन राष्ट्र को इस स्वतन्त्रता की भारी कीमत चुकानी पड़ी। जाते जाते अंग्रेजों ने भारत का बंटवारा कर दिया, और इस बंटवारे के फलस्वरूप हिन्दू तथा मुसलमानों के बीच बलवा और व्यापक नरसंहार प्रारम्भ हो गया। सदैव से अहिंसा के पुजारी गाँधी जी का दिल टूट गया और वे उपवास पर बैठ गये । परन्तु अपनी पूरी कोशिश के बावजूद वह इस बंटवारे को नहीं रोक पाये ।

 

  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गाँधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी। दिल्ली में राजघाट में उसी जगह पर गांधीजी की समाधि स्थित है जहाँ उन्होंने 'हे राम' कहते हुये अपनी अन्तिम साँस ली थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2007 से गाँधी जयन्ती को 'विश्व अहिंसा दिवस' के नाम से मनाये जाने की घोषणा की।

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