भाषा और बोली में क्या अंतर है ? | Difference between language and dialect

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भाषा और बोली में  क्या अंतर है ?

भाषा और बोली में  क्या अंतर है ? | Difference between language and dialect


भाषा और बोली में  क्या अंतर है ?

भाषा और बोली में शुद्ध भाषा वैज्ञानिक स्तर पर भेद बतलाना कठिन है। इनमें अंतर तात्विक न होकर व्यावहारिक है। इसे अनेक विद्वानों ने स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया है। यों सामान्यतः कुछ बातें कही जा सकती हैं:

 

(क) भाषा का क्षेत्र अपेक्षाकृत बड़ा होता है तथा बोली का छोटा। 

(ख) एक भाषा की एक या अधिक बोलियाँ हो सकती हैं। इसके विपरीत भाषा बोली के अंतर्गत नहीं आतीअर्थात्किसी बोली में एक या अधिक भाषाएँ नहीं हो सकती। 

(ग) बोली किसी भाषा से ही उत्पन्न होती है। इस प्रकार भाषा बोली में माँ-बेटी का संबंध है। 

(घ) बोधगम्यता के आधार पर भी इस संबंध में कुछ उपादेय बातें कही जा सकती हैं। यदि दो व्यक्ति जिनका बोलना ध्वनिरूप आदि की दृष्टि से एक नहीं हैकिंतु वे एक-दूसरे की बातें काफी समझ लेते हैं तो उनकी बोलियाँ किसी एक भाषा की बोलियाँ हैंअर्थात् पारस्परिक बोधगम्यता किसी एक भाषा की कसौटी है। इसके विपरीतविभिन्न भाषाओं के बीच या तो यह बोधगम्यता बिल्कुल नहीं (अंग्रेजी-हिंदी) होतीया कम (पंजाबी - हिंदी) होती है। यों यह बोधगम्यता का आधार भी बहुत तात्विक नहीं है। उदाहरण के लिएहरियाणवी भाषी पंजाबी भाषी को काफी समझ लेता हैकिंतु अवधी भाषी उस सीमा तक नहीं समझ पातायद्यपि हरियाणवी एवं अवधी हिंदी भाषा की बोलियाँ हैंऔर पंजाबी एक स्वतंत्र भाषा है। 

(ङ) भाषा प्राय: साहित्यशिक्षा तथा शासन के कार्यों में भी व्यवहृत होती हैकिंतु बोली लोक-साहित्य और बोलचाल में ही । यद्यपि इसके अपवाद भी कम नहीं मिलतेविशेषत साहित्य में। उदाहरण के लिएआधुनिक काल से पूर्व के हिंदी का सारा साहित्य ब्रजअवधीराजस्थानीमैथिली आदि तथाकथित बोलियों में ही लिखा गया है। 

(च) भाषा का मानक रूप होता हैकिंतु बोली का नहीं। 

(छ) भाषा बोली की तुलना में अधिक प्रतिष्ठित होती हैअतः औपचारिक परिस्थितियों में प्रायः इसी का प्रयोग होता है। 

(ज) बोली बोलने वाले भी अपने क्षेत्र के लोगों से तो बोली का प्रयोग करते हैंकिंतु अपने क्षेत्र के बाहर के लोगों से भाषा का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार भाषा और बोली का अंतर भाषा वैज्ञानिक न होकर समाज भाषा वैज्ञानिक है।

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