तुलसीदास जन्म प्रमुख रचनाएँ काव्यगत विशेषताएँ , तुलसीदास का जीवन परिचय
तुलसीदास जन्म प्रमुख रचनाएँ काव्यगत विशेषताएँ , तुलसीदास का जीवन परिचय
तुलसीदास के परम शिष्य, बाबा बेणी माधवदास द्वारा रचित 'गोसाई चरित' के अनुसार इनका जन्म श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन, सम्वत् 1554 में हुआ लेकिन अनेक कारणों से विद्वान इस तिथि से सहमत नहीं है। डा० माताप्रसाद गुप्त के अनुसार विद्वान इनका जन्म सम्वत् 1589 ई० मानते है। अधिकाश विद्वान इनका जन्म स्थान (उत्तर प्रदेश) बांदा जिले के राजापुर गाँव को मानते हैं अन्य विद्वान सोरों नामक स्थान को इनका जन्म स्थान मानते है ये सरयूयारी ब्राह्ममण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दूबे और माता का नाम हुलसी था। इनका विवाह दीनबन्धु की पुत्री रत्नावली से हुआ ।
तुलसीदास की प्रमुख रचनाएं
तुलसीदास के नाम से 36 रचनाएं जुड़ी हुई है। इनमें से बारह रचनाएं ही प्रामाणिक है। दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्णगीतावली, विनय पत्रिका, राचरितमानस, इत्यादि महत्त्वपूर्ण रचनाएं समाहित हुई है।
तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं
1. विषय की व्यापकताः
तुलसीदास ने अपने युग का गहन एवं गंभीर अध्ययन किया है। उन्होंने अपने युग के जीवन के लगभग सभी पक्षों पर लेखनी चलाई है। उनके काव्य में धर्म, दर्शन, संस्कृति, भक्ति, कला आदि का सुन्दर समन्वय हुआ है। विभिन्न भावों और सभी रसों को उनकी रचनाओं में स्थान मिला है।
2. श्रीराम का स्वरूपः
महाकवि तुलसीदास ने अपने काव्य में श्रीराम को विष्णु का अवतार मानते हुए उसके सगुण एवं निर्गुण दोनों रूपों का उल्लेख किया है। श्री राम को धर्म का रक्षक और अधर्म का विनाश करने वाला माना है। उन्होंने श्रीराम के चरित्र में शील, सौन्दर्य एवं शक्ति का समन्वय प्रस्तुत किया है।
3. समन्वय की भावनाः
तुलसीदास के काव्य में समन्वय की भावना का अद्भुत चित्रण हुआ है। तत्कालीन समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक आदि सभी समस्याओं का किसी-न-किसी रूप में उल्लेख हुआ है।
4. दार्शनिक भावनाः
तुलसीदास का सम्पूर्ण काव्य दार्शनिक पष्ठभूमि पर आधारित है । तुलसीदास ने दर्शन के नीरस सिद्धान्त को भावपूर्ण एवं कोमल भाषा में बड़ी सफलता पूर्वक उद्घाटित किया है। तुलसीदास ने विविध दार्शनिक मतों को ग्रहण करते हुए भी उनमें तारतम्य बैठाकर उनका अद्भुत समन्वय किया है। उनकी दार्शनिक विचारधारा मौलिकतापूर्ण है।
5. प्रकृति-चित्रणः
तुलसीदास ने प्रकृति का अत्यन्त मनोरम चित्रण किया है। तुलसी काव्य में प्रकृति के विभिन्न रूपों का चित्रण किया गया है। उनके काव्य में वन, नदी, पर्वत, पक्षी आदि का विस्तत वर्णन मिलता है।
6. प्रबन्ध योजनाः
तुलसी की प्रबन्ध-योजना अद्वितीय है। उनकी लगभग सभी रचनाओं में कथा - सूत्र पाया जाता है। रामचरितमानस की प्रबन्ध - पटुता सर्वश्रेष्ठ है। सारी कथा मार्मिक प्रसंगों से भरी पड़ी है।
7. कला-पक्षः
तुलसी के काव्य का कला-पक्ष काफी समुन्नत एवं विकसित है। उन्होंने अपने समय की प्रसिद्ध अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में काव्य रचना की। 'रामचरितमानस' में अवधी तथा विनय पत्रिका में ब्रज भाषा का सफल प्रयोग हुआ है।
तुलसीदास की मृत्यु :
तुलसीदास सम्वत् 1680 को श्रावण शुक्ला की सप्तमी को अपना नश्वर शरीर त्याग कर प्रभु शरण में चले गये ।