गुणात्मक अनुसन्धान के उद्देश्य एवं प्रसंग
(Objective and Theme of Qualitative Research)
गुणात्मक अनुसन्धान के उद्देश्य एवं प्रसंग
गुणात्मक अनुसन्धान के उद्देश्यों को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझा जा सकता है-
1. अभिवृत्ति, पूर्वाग्रह, पसंद, संगठनात्मक वातावरण आदि जैसे विस्तृत अर्थ
2. ऐसे सन्दर्भों (Context) को समझना जिसमें कुछ व्यवहार अभिव्यक्त होते हैं या कुछ घटनायें घटित होती है।
3. एक प्रत्याशित घटना की पहचान करना ।
4. किसी प्रक्रिया का समझना ।
5. निमित्तीय (causal) व्याख्या विकसित करना ।
6. विशिष्ट प्रकार के व्यवहार या विशिष्ट घटना को बढ़ाने वाले जिम्मेदार कारकों को जानने के लिये गहन अध्ययन करना ।
7. किसी घटना या व्यवहार के लिये जिम्मेदार विभिन्न कारकों के मध्य के अर्न्तसम्बन्धों का अध्ययन करना ।
गुणात्मक अनुसन्धान के इन उद्देश्यों को फ्रायड द्वारा विकसित मनोविश्लेषण के सिद्धान्त तथा पियाजे द्वारा विकसित संज्ञात्मक विकास सिद्धान्त द्वारा समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने गुणात्मक अनुसन्धान का प्रयोग किया था ।
गुणात्मक अनुसन्धान की विशेताओं तथा उद्देश्यों के आधार पर गुणात्मक अनुसन्धान के प्रसंगो ( Themes ) को निर्धारित किया जा सकता है।
गुणात्मक अनुसन्धान के प्रसंग ( Theme of the Qulitative Research )
गुणात्मक अनुसन्धान के प्रसंगों को पैटन (Patton) ने दस प्रसंगों के रूप में इंगित किया है। पैटन द्वारा बताये गये प्रसंग निम्नवत है-
1. नैसर्गिक अध्ययन (Naturalistic Inquiry )
अर्थात पूर्व निर्धारित नियमों के आधार पर प्राप्त निष्कर्षों के बिना, बिना किसी नियन्त्रण या बाधा के बिना किसी हस्तक्षेप के, वास्तविक सांसारिक परिस्थितियों में अनसुलझी प्रकृतिजन्य परिस्थितियों में अध्ययन |
2. आगमनात्मक विश्लेषण (Inductive Analysis)
अर्थात सैद्धान्तिक आधार पर परिकल्पनाओं के निर्माण एवं जॉच के स्थान पर खोज के लिये प्राप्त विस्तृत तथा विशिष्ट प्रदत्तों के महत्वपूर्ण वर्गों, विभागों तथा अर्न्तसम्बन्धों को समझना ।
3. समग्र परिप्रेक्ष्य (Holistic Perspective)
अर्थात किसी घटना के अंशों या विवृत चरों के रेखीय या कार्यकारण सम्बन्धों के स्थान पर अध्ययन विषय की सम्पूर्ण घटना (Whole phenomenon) को जटिल व्यवस्था के रूप में अध्ययन ।
4. गुणात्मक प्रदत्त (Qualitiative Data)
अर्थात मानव के व्यैक्तिक लेखों, अनुभवों, प्रत्यक्ष भाषणों, व्याख्याओं आदि का विस्तृत एवं गहन अध्ययन ।
5. व्यक्तिगत सम्पर्क एवं अर्न्तदृष्टि (Personal contact and Insight)
अर्थात शोधार्थी, व्यक्तियों या घटनाओं के प्रत्यक्ष सम्पर्क में रहकर व्यैक्तिक अनुभव एवं अर्न्तदृष्टि के आधार पर व्यक्तियों के व्यवहारों या घटना के प्रति समझ विकसित करता है।
6. अभिकल्पगत नम्यता (Design Flexibility)
अर्थात शोधार्थी के लिए शोध अभिकल्प का चुनाव करने में नम्यता रहती है। वह परिस्थिति के अनुसार अभिकल्पों का निर्माण एवं उनमें परिवर्तन कर सकता है।
7. तदनुभूतिजन्य तटस्थता (Empathic Neutrality )
विषय वस्तु की आवश्यकतानुरूप शोधार्थी अपने व्यक्तिक अनुभव एवं अर्न्तदृष्टि का प्रयोग अध्ययन में करता है परन्तु वह व्यैक्तिक पूर्वाग्रहों या पूर्व निर्धारित धारणाओं को उससे अलग रखते हुए घटना का वस्तुनिष्ठ अध्ययन करता है।
8. सन्दर्भगत सूक्ष्म ग्राहिता (Context Sensivity)
अर्थात् शोधार्थी स्थान एवं समय की दृष्टि से घटना या परिस्थितियों के सामाजिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के प्रति सन्वेदनशील होता है।
9. विशिष्ट व्यष्टि अभिमुखीकरण (Unique case Orientation )
अर्थात् शोधार्थी व्यक्तिगत अध्ययन से शोध की तुलना कर प्रत्येक व्यष्टि को विशिष्ट तथा अद्वितीय मानता है।
10. गतिशील व्यवस्थायें (Dynamic System )
अर्थात शोधार्थी प्रक्रिया के प्रति सावधान रहता है तथा सम्पूर्ण संस्कृति या एक व्यक्ति पर केन्द्रित रहते हुए परिवर्तनों को स्थिर मानकर कार्य करता है।