सामान्य प्रायिकता वक्र : एक परिचय |Normal Probability Curve : An Introduction

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सामान्य प्रायिकता वक्र : एक परिचय (Normal Probability Curve : An Introduction)

सामान्य प्रायिकता वक्र : एक परिचय |Normal Probability Curve : An Introduction

 


सामान्य प्रायिकता वक्र : एक परिचय (Normal Probability Curve : An Introduction)

सामान्य प्रायिकता वक्र एक सैद्धान्तिक आदर्श तथा गणितीय वक्र है। इसे सामान्य वक्र या एन०पी०सी० के नाम से भी जाना जाता है। इस वक्र को लन्दन में शरण पाये एक फ्रांसीसी शरणार्थी अब्राहम डी मोइवर (Abraham De Movire) ने सन् 1733 में खोजा था लेकिन इसका व्यावहारिक उपयोग फ्रांसीसी गणितज्ञ पीयरे साइमन (Pierre Simon ) जो मारकूस डी लाप्लास (Marquis De Laplace) भी कहलाता था तथा जर्मन खगोलविज्ञ कार्ल फ्रेडरिच (Carl Freidrich Gauss) ने उन्नीसवीं शताब्दी में प्रारम्भ किया । गाँस आदि के कार्यों की स्थिति के फलस्वरूप इस वक्र को गौसियन वक्र भी कहा जाने लगा । उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य भाग में सामान्य प्रायिकता वक्र के व्यावहारिक उपयोग का विस्तार बेल्जियम के एडोल्फी क्यूटलेट ( Adolphe Quetlet) ने किया।

 

गणितीय दृष्टि से सामान्य प्रायिकता वक्र एक ऐसा द्विपदीय वक्र है जिसमें घातांक का मान अनन्त तथा के मान समान होते हैं । प्रायिकता सिद्धान्तों पर आधारित होने के कारण ही इसे सामान्य प्रायिकता वक्र कहा गया। डी मोइवर द्वारा खोजे जाने के कारण इसे डी मोइवर वक्र भी कहा जाता है। सामान्य प्रायिकता वक्र का आधुनिक सांख्यिकी में विशेष महत्व है। इस वक्र को विशेषताओं के आधार पर इसे आदर्श मानकर कई सांख्यिकी विधियों का विकास हुआ । वास्तव में सामान्य प्रायिकता वक्र अनुमानात्मक सांख्यिकी ( Inferential Statistics) का आधार है। यदि इसे हटा दिया जाय तो सम्पूर्ण अनुमात्मक सांख्यिकी सिमट जायेगी। यद्यपि व्यवहार में सामान्य प्रायिकता वक्र की प्राप्ति संभव नहीं है क्योंकि कोई चर पूर्ण रूप से सामान्य प्रायिकता वक्र के रूप में वितरित नहीं होता बावजूद इसके अवलोकित वक्रो की प्रवृत्ति सामान्य प्रायिकता वक्र के आकार को प्राप्त करने की होती है। जैसे-जैसे बढ़ता जाता है वैसे-वैसे अवलोकित आवृत्ति वक्र का आकार सामान्य प्रायिकता वक्र के अनुरूप होता जाता है। इसी प्रवृत्ति के कारण के बढ़ते जाने पर व्यावहारिक समस्याओं के अध्ययन में विभिन्न चरों को सामान्य प्रायिकता वक्र के अनुरूप वितरित माना जा सकता है। फलतः सामान्य वक्र की विशेषताओं से इस प्रकार की समस्याओं को हल किया जा सकता है।

 

सामान्य प्रायिकता वक्र की विशेषतायें : (Characteristics of NPC)

 

सामान्य प्रायिकता वक्र की विशेषतायें निम्न है-

 

(i) सामान्य प्रायिकता वक्र (NPC) घंटाकार (Bell Shaped). पूर्ण सममित (Symmetrical), एकल बहुलांकी (Unimodal), सामान्य वक्रता वाला (Mesokurtic) वक्र है। ज्यादातर आवृत्तियाँ वक्र के शीर्ष अर्थात् केन्द्र में स्थित होती हैं।

 

सामान्य प्रायिकता वक्र की विशेषतायें निम्न है-


(iv) एन०पी०सी० कोटि अक्ष के सापेक्ष सममित होता है जिसके कारण इसका विषमता गुणांक का मान शून्य होता है अर्थात् Sk =0 

(v) यह वक्र न तो बहुत चपटा या न ही बहुत नुकीला होता है। यह वक्र औसत ऊचाई वाला वक्र होता है तथा इसके लिए वक्रता गुणांक (Coefficient of Kurtosisका मान 0.263 होता है। 

(vi) सामान्य प्रायिकता वक्र दोनों दिशाओं में अनन्त ( Infinity) की ओर अग्रसर होता है। इसके दोनों किनारे आधार रेखा के निकट तो आते रहते हैं परन्तु वे आधार रेखा को कभी भी स्पर्श नहीं करते है।

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