भक्तिन अभ्यास के प्रश्नोत्तर (Bhaktin MP Board 12th Hindi Question Answer)
भक्तिन अभ्यास के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी ? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा ?
उत्तर-
भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। लक्ष्मी अर्थात् धन की देवी किंतु ऐश्वर्य और समृद्धि सूचक नाम के अनुरूप उनका जीवन नहीं था।
अर्थात् वह बेहद गरीब थी इसलिए वह लोगों के नाम बड़े दर्शन छोटे' जैसी कहावतों के उपहास से बचने के लिए अपना नाम छुपाती थी। लक्ष्मी नाम उसे उसके माता-पिता द्वारा दिया गया था। भक्तिन को भक्तिन नाम महादेवी वर्मा ने दिया क्योंकि भक्तिन ने गले में कंठो की माला पहन रखी थी । अतः लेखिका ने उसे लक्ष्मी के बदले भक्तिन कहना उचित समझा।
प्रश्न 2. दो कन्या - रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं ?
उत्तर- जी, हाँ हम इससे पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि पाठ में भक्तिन ही एक ऐसी पात्र है जो तीन बेटियों को जन्म देती है जबकि उसकी जिठानियाँ और सास सभी ने पुत्रों को जन्म दिया था। घर के काम-काज हो या खान-पान या फिर आराम, मान, सम्मान सभी क्षेत्र में भक्तिन और उसकी पुत्रियों को हो अभाव, तिरस्कार व उपेक्षा का सामना करना पड़ा जो उसकी सास और जिठानियों द्वारा दिया गया था, न कि उसके पति द्वारा वह पति की प्यारी थी ऐसी उपेक्षा का कारण भारतीय समाज की स्त्रियों की दकियानूसी सोच है। ऐसी घटनाएँ हो प्रमाणित करती हैं कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है।
प्रश्न 3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे ?
उत्तर -
भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा पति थोपा जाना निश्चित रूप से विवाह के संदर्भ में स्त्री मानवाधिकार की स्वतंत्रता को कुचलने का ही दुष्परिणाम है। पुरुष प्रधान भारतीय समाज में हर तरह के फैसला करने व निर्णय लेने का अधिकार केवल पुरुष को ही मिलता आ रहा है। एक ओर जहाँ भक्तिन की विधवा बेटी की इच्छा के विरुद्ध तीतरबाज युवक द्वारा की जाने वाली जबरदस्ती और अभद्रता वहीं दूसरी ओर अपने बचाव में भक्तिन की बेटी द्वारा उसे पीटने का प्रमाण मिलने के बाद भी पंचों ने फैसला अपनी इच्छा के अनुरूप देते हुए तोतरबाज को उसके पति के रूप में थोपा। यह स्त्री मानवाधिकार का हनन था। यह महाभारत काल से चली आ रही परंपरा है जहाँ द्रौपदी को उसकी इच्छा जाने बिना हो पाँच पतियों की पत्नी बनने का आदेश दिया गया। मीरा की शादी बचपन में कर दी गई। बाल विवाह प्राचीन परंपरा रही है। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ - स्त्रियों की इच्छा को जाने बिना ही उन्हें युद्ध की जीत के साथ ही जबरदस्ती रानी या पटरानी बना लिया जाता था। जैसे महाभारत में अम्बा, अम्बे, अम्बालिका।
प्रश्न 4. " भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं" लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर- "भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं" ऐसा लेखिका ने इसलिए कहा क्योंकि लेखिका ने स्वयं अनुभव किया कि अनेक अच्छाइयों, समर्पित सेवाभाव, सादगी और सरलता के बावजूद वह कई मामलों में चतुराई और वाकचातुर्य का परिचय देती थी वह लेखिका को नैतिकता के विरुद्ध लगता था।
जैसे - 1. लेखिका की जानकारी के बगैर उनके इधर-उधर पड़े हुए रुपये-पैसों को मटकी में रख लेना और लेखिका को न बताना। लेखिका की दृष्टि में चोरी थी। किन्तु वह उसे चोरी न मानकर, रुपये-पैसों को रख लेना संभालना मानती
2. कई बातों को सच्चाई जानने के लिए लेखिका द्वारा पूछे जाने पर वह बातों को घुमा-फिरा कर स्पष्ट देती थी। जिसे वह झूठ नहीं मानती थी, बल्कि शास्त्रार्थ की चुनौती दे डालती थी।
3. मालकिन को खुश करने के लिए बातों को सुविधानुसार सुलझा लेती थी।
3. सिर मुंडवाने (चूड़ाकर्म) के लिए लेखिका द्वारा मना किए जाने पर वह उसके लिए शास्त्र का प्रमाण देती थी ।
4. दूसरों को अपनी इच्छा अनुसार ढालने में पारंगत थी पर स्वयं में परिवर्तन करने के विरुद्ध थी।
प्रश्न 5. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया।
उत्तर—भक्तिन शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने में माहिर (निपुण/दक्ष) थी। वह प्रत्येक बृहस्पतिवार को अपना सिर मुंडवाती थी जो लेखिका को पसंद नहीं था। लेखिका स्त्रियों द्वारा सिर मुंडाये जाने को अच्छा नहीं मानती थी अतः वह भक्तिन को ऐसा करने से मना करती तो भक्तिन तुरंत शास्त्र का प्रमाण दे देती। 'तोरथ गए मुँडाए सिद्ध' यह उक्ति उसकी स्वयं की थी। ऐसे शास्त्र के बारे में लेखिका भी अनभिज्ञ थी।
प्रश्न 6. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई ? (म.प्र. 2022)
उत्तर- भक्तिन के आ जाने से लेखिका अधिक देहाती हो गई क्योंकि भक्तिन ने लेखिका को सी साधनों में जीवन को सरलता से जीने के लिए जाग्रत कर दिया जिसके तहत लेखिका को रात में मकई का दलिया, सवेरे मट्ठे से सौंधा लगने लगा। बाजरे के तिल लगे पुए, ज्वार के भुट्टे के हरे दानों की स्वादिष्ट खिच सफेद महुए की लपसी का आनंद लेने लगी।
भक्तिन महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. आलो आँधारि की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं ?
उत्तर- आलो आंधारि की नायिका एक घरेलू नौकरानी है। भक्तिन भी लेखिका के घर में नौकरी करत है। दोनों में यही समानता है। दूसरे, दोनों ही घर में पीड़ित हैं। परिवार वालों ने उन्हें पूर्णतः उपेक्षित कर दिया था। दोनों ने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन निर्वाह किया।
प्रश्न 2. भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अखबारों या टी.वी. समाचारों में आनेवाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।
उत्तर—भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरत- अंगेज बात नहीं है। अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार है। अखबारों या टी.वी. पर अक्सर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति-पत्नी भाई बहन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं। वे उन्हें सजा भी देती है। कई बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है। यह मध्यपु बर्वरता आज भी विद्यमान है।
प्रश्न 3. पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हजारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।
उत्तर- विद्यार्थी आपस में परिचर्चा करें।
प्रश्न 4. महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता बसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूंढ़कर पढ़ें जो 'मेरा परिवार' नाम से प्रकाशित है।
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं पढ़े
भक्तिन प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान छवि स्पष्ट कीजिए-
(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले।
(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी ।
(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण
उत्तर- (क) किसी पूर्व-प्रकाशित पुस्तक को पुनःप्रकाशित करना उसका नया संस्करण कहलाता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। भक्तिन ने एक कन्या के बाद पुनः दो और कन्याएँ पैदा की। 'संस्करण' से तात्पर्य यह है कि उसने एक ही लिंग को संतान को जन्म दिया।
(ख) टकसाल सिक्के ढालने वाली मशीन को कहते हैं। भारतीय समाज में को 'खरा सिक्का' तथा लड़कियों को 'खोटा सिक्का' कहा जाता है। समाज में लड़कियों का कोई महत्व नहीं होता। भक्तिन को खोटे सिक्कों की टकसाल की संज्ञा दी गई है क्योंकि उसने एक के बाद एक तीन लड़कियाँ उत्पन्न कीं जबकि समाज पुत्र जन्म देने वाली स्त्रियों को महत्व देता है।
(ग) भक्तिन अपने पिता की मृत्यु के कई दिन बाद पहुँची। उसे सिर्फ पिता की बीमारी के बारे में बताया गया था। जब वह अपने मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोग कानाफूसी करते हुए पाए गए कि बेचारी लछमिन अब आई है। आमतौर पर शोक की खबर प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कही जाती। कानाफूसी के जरिए अस्पष्ट शब्दों में एक ही बात बार-बार कही जाती है। इन्हें लेखिका ने अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ कहा है। पिता की मृत्यु हो जाने पर लोग उसे सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि से देख रहे थे तथा दौड़स बंधा रहे थे। ये बातें स्पष्ट तौर पर की जा थी, अतः उन्हें स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण कहा गया है।
प्रश्न 2. 'बहनोई ' शब्द 'बहन (स्त्री) + ओई' से बना है। इस शब्द में हिन्दी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, पर स्वीलिंग शब्द में कुछ पुल्लिंग प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुल्लिंग प्रत्यय 'ओई' हिन्दी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुल्लिंग प्रत्ययों की हिन्दी तथा और भाषाओं में खोज करें।
उत्तर- इसी प्रकार शब्द है- ननदोई ननद + ओई।
प्रश्न 3. पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढाल कर प्रस्तुत कीजिए।
क. ई कठन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल राँध लेइत है, साग-भाजी छँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
ख. हमारे मालकिन तौ रात-दिन कितवियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़े लागब तो घर- गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
(ग) ऊ विचरिअड तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हो, चली तनिक हाथ बटाय लेठ ।
(घ) तब ऊ कुच्छौ करिहैं धरिहँ ना बस गली-गली गाठत बजाउत फिरिहैं।
(ङ) तुम पर्चे का का बताईय पचास बरस से संग रहित है।
(च) हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा जब और राज करब, समुझे रही।
उत्तर- (क) यह कौन बड़ी बात है रोटी बनाना जानती हूँ। दाल रोध (बना) लेती हूँ। साग-भाजी छौंक सकती है और शेष क्या रहा।
(ख) हमारी स्वामिन तो दिन-रात पुस्तकों में ही व्यस्त रहती हैं। अब यदि मैं भी पढ़ने लगू तो घर- परिवार के कार्य कौन करेगा।
(ग) वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती है। और तुम लोग घूमते-फिरते हो। जाओ, थोड़ी उसको सहायता करो।
(घ) तब वह कुछ करता धरता नहीं है, बस गली-गली में गाता बजाता फिरता है।
(ङ) तुम लोगों को क्या बताऊँ-लगभग पचास वर्ष से साथ रहती हूँ।
(च) मैं कुतिया-बिल्ली नहीं हूँ। मेरा मन करेगा तो मैं दूसरे के घर जाऊँगी, अन्यथा तुम लोगों की छाती पर ही होला भूनूँगी और समझ लो राज करूंगी।
प्रश्न 4. भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही ये प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार है। वर्तमान हिन्दी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएं कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ है ? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक है ?
-अरे! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।
- घबरा मत! मेरी इनवींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूँगा।
- जानी टेंसन नई लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।
उत्तर- उपर्युक्त वाक्यों में कम्प्यूटर, खेल-जगत और मुंबइया फिल्मी संसार की शब्दावली का प्रयोग किया गया है। एक-एक उदाहरण लें।
वायरस', 'सिस्टम' और 'हैंग' तीनों शब्द कम्प्यूटर प्रणाली से संबंधित है। इनके अर्थ इस प्रकार हैं-
वायरस - दोष
सिस्टम-प्रणाली
हैंग-ठहराव, गतिरोध
अर्थ — इस वाक्य का अर्थ है-उससे सावधान रहना। वह पूरी तरह प्रदूषित है। वह जहाँ भी जाता है, पूरी कार्यप्रणाली में खलल डाल देता है।
'इनस्वींगर', 'फाउल', 'रेडकार्ड', 'पवेलियन' - चारों शब्द खेल-जगत से संबंधित हैं। इनके संकेतार्थ
इस प्रकार हैं-
इनस्वींगर-भीतर तक भेदने वाली कार्यवाही।
फाउल गलत काम।
रेडकार्ड-बाहर जाने का संकेत। पवेलियन वापस घर जाना।
अर्थ - घबरा मत। जब मैं अंदर तक मार करने वाली कार्रवाई करूँगा तो उसकी सारी अड़ंगेबाजी खत्म हो जाएगी। अगर उसने अधिक गड़बड़ की तो उसे कानूनी दाँव पेंच में फँसाकर बाहर निकाल फेकूंगा।
• 'जानी! (संबोधन)', 'टॅसन लेना', 'हैडमास्टर', 'स्कूल' ये शब्द मुंबई फिल्मी संसार के शब्द हैं। इनका अर्थ निम्न प्रकार है-
जानी- हल्का-फुल्का संबोधन।
टेंसन लेना - परवाह करना।
स्कूल में पढ़ना-काम करना।
हैड मास्टर होना- उस्ताद होना, बढ़-चढ़कर होना।
अर्थ - प्रिय मित्र ! चिंता मत करो। वह जो काम कर रहा है, उस काम में मैं उसका उस्ताद हूँ।
भक्तिन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'भक्तिन' पाठ के आधार पर भक्तिन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
अथवा
'भक्तिन' के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- 'भक्तिन' लेखिका की सेविका है। लेखिका ने उसके जीवन संघर्ष का वर्णन किया है। उसके चरित्र को निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
1. साधारण व्यक्तित्व - भक्तिन, अधेड़ उम्र की महिला है। उसका कद छोटा व शरीर दुबला-पतला है। उसके होंठ पतले हैं तथा आँखें छोटी हैं।
2. कर्मठ - भक्तिन कर्मठ महिला है। ससुराल में वह बहुत मेहनत करती है। यह घर, खेत, पशुओं आदि का सारा कार्य अकेले करती है। लेखिका के घर में भी वह उसके सारे कामकाज को पूरी कर्मठता से करती है। हलेखिका के हर कार्य में सहायता करती है।
3. संघर्षशील महिला - भक्तिन बेहद स्वाभिमानी है। पिता की मृत्यु की पर विमाता के कठोर व्यवहार से उसने मायके जाना छोड़ दिया। पति की मृत्यु के बाद उसने किसी का पल्ला नहीं थामा तथा स्वयं मेहनत करके घर बलाया। जमींदार द्वारा अपमानित किए जाने पर वह गाँव छोड़कर शहर आ गई।
4. सच्ची सेविका - भक्तिन में सच्चे सेवक के सभी गुण हैं। लेखिका ने उसे हनुमानजी की स्पर्धा करने बाली बताया है। वह छाया की तरह लेखिका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के लिए भी तैयार है। वह युद्ध, यात्रा आदि में हर उसके साथ रहना चाहती है।
15. धार्मिक प्रवृत्ति - भक्तिन धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। उसे शास्त्र का ज्ञान था अतः वो अपनी बातों का प्रमाण शास्त्र की घटनाओं से देती थी। वह धार्मिक नियमों का पालन करती थी। यही कारण था कि वह बृहस्पतिवार को अपना सिर मुंडवा लेती थी।
प्रश्न 2. भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था ?
उत्तर- लेखिका व के बीच बाहरी तौर पर सेवक स्वामी का संबंध था परंतु व्यवहार में यह लागू नहीं होता था। महादेवी उसकी कुछ आदतों से परेशानी थी, जिसकी वजह से यदा-कदा उसे घर चले जाने को कह देती थी। इस आदेश को वह हँसकर टाल देती थी। दूसरे, वह नौकरानी कम, जीवन की धूप-छाँव अधिक थी। वह लेखिका की छाया बनकर घूमती थी। वह आने-जाने वाले, अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब व आम की तरह पृथक् अस्तित्व रखती थी हर सुख-दुख में लेखिका के साथ रहती थी।
प्रश्न 3. महादेवी ने भक्तिन के जीवन को कितने परिच्छेदों में बाँटा ?
उत्तर- महादेवी ने भक्तिन जीवन को चार परिच्छेदों बाँटा जो निम्नलिखित
प्रथम-विवाह से पूर्व ।
द्वितीय-ससुराल में सधवा के रूप में।
तृतीय- विधवा के रूप में।
चतुर्थ - महादेवी की सेवा में।
प्रश्न 4. भारतीय ग्रामीण समाज में लड़के-लड़कियों में किए जाने वाले भेदभाव का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- भारतीय ग्रामीण समाज में लड़के-लड़कियों में भेदभाव किया जाता रहा है। लड़के को सोने का सिक्का माना जाता रहा है तथा लड़की को खोटा सिक्का यही कारण है कि भक्तिन के साथ ससुराल में बहुत बुरा व्यवहार किया गया। उससे घर-भर के कठिन काम करवाए गए। उसकी लड़कियाँ भी गोवर थापती नजर आती थीं। जबकि लड़कों को जन्म देने वाली उसकी सास तथा जेठानियाँ आराम से बैठकर बातें फोड़ती थीं। उनके काले-कलूटे बच्चे राव और मलाई खाते थे। भक्तिन और उसकी लड़कियों को काले गुड़ की डली के साथ चना बाजरा चबाने को मिलता था।
प्रश्न 5. 'भक्तिन' के आधार पर बताइए कि हमारा समाज विधवा के साथ कैसा व्यवहार करता है ?
अथवा, भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर- भक्तिन' पाठ को पढ़कर पता चलता है कि हमारा समाज विधवा को अपना शिकार मानता है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह अपना हो या पराया उसके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार नहीं करता। भक्तिन के बैठ और जेठीत उसको घर संपत्ति को लूटकर उसे पंगु बना देना चाहते हैं। उसकी लड़की के विधवा होने पर तो वे उसे नोचकर खाने के लिए हो तैयार हो जाते हैं। परिवार वालों के एक तीतरबाज युवक को विधवा पर धावा बोलने के लिए प्रेरित करना घृणित व्यवहार है। इसमें पुरुषों के साथ महिलाएँ भी सम्मलित हैं। यहाँ तक कि गाँवों की पंचायतें भी विधवाओं की लाज की रक्षा नहीं कर सकतीं। वे भी विधवाओं के लिए बेड़ियाँ तैयार करती हैं।
प्रश्न 6. भक्तिन प्रखर तर्कशाली थी- प्रमाणित कीजिए।
अथवा, 'भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी' - पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए।
उत्तर- भक्तिन तर्कपटु थी। वह जिस बात को मानती थी, उसे पूरी शक्ति से कहती थी। उसे कहा गया। कि वह घर में इधर-उधर रखे पैसों को मटकी में क्यों डालती है? यह चोरी है भक्तिन इसे चोरी नहीं मानती। वह इसे पैसे संभालना मानती है। इसके लिए वह तर्क करने को तैयार हो जाती है। वह अपने केश मुँडाने को लेकर भी शास्त्रों का हवाला देती है। इसी प्रकार पढ़ाई-लिखाई से बचने के लिए भी अचूक तर्क देती है- "हमारी मालकिन रात-दिन किताबों में गड़ी रहती है। अब मैं भी पढ़ने लगूँ तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा?" इस प्रकार भक्तिन अपने पक्ष में तर्क देना बखूबी जानती है।
प्रश्न 7. दो कन्याओं को जन्म देने के बाद भी भक्तिन पुत्र की इच्छा में अंधी अपनी जिठानियों को घृणा एवं उपेक्षा की पात्र बनी रही। इस प्रकार के उदाहरण भारतीय समाज में अभी भी देखने को मिलते हैं। इसका कारण और समाधान प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर—कारण—यह समस्या भारतीय समाज में आज भी व्याप्त है। लोग पुत्र को महत्व देते हैं और पुत्री को 'खोटा सिक्का' मानते हैं। कारण यह है कि पुत्र कमाक होता है। वह माता-पिता के संग रहता है और बुढ़ापे का सहारा होता है। सबसे बड़ी बात, समाज में पुरुष अधिक शक्तिशाली और स्वतंत्र है। इसकी तुलना में कन्याओं को दबाया जाता है। उन्हें अशिक्षित रखा जाता है।
समाधान- कन्याओं को पढ़ाना तथा उन्हें नौकरी या व्यवसाय में आने देना ऐसे उपाय जिनसे यह समस्या कुछ सीमा तक समाप्त हो सकती है। सबसे बड़ा उपाय यह है कि हम लड़का-लड़की को परमात्मा की संतान मानकर उनके साथ एक समान व्यवहार करें।
प्रश्न 8. 'भक्तिन' और 'महादेवी' के नामों में क्या विरोधाभास था ?
उत्तर- भक्तिन का असली नाम था 'लक्ष्मी'। परंतु वह वास्तव में बहुत गरीब थी। 'महादेवी' नाम में भी महानता और महिमा का भाव है, जबकि वे स्वयं को बिल्कुल सामान्य नारी मानती हैं। इस प्रकार दोनों के नाम में विरोधाभासी है।
प्रश्न 9. भक्तिन को यह नाम किसने दिया और क्यों ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर- भक्तिन को यह नाम महादेवी वर्मा ने दिया। जब भक्तिन ने उसे बताया कि उसका असली नाम लक्ष्मी है, उसमें लक्ष्मी जैसा कोई गुण नहीं है। अतः वह इस नाम से बचना चाहती है तब महादेवी ने उसके गले में कंठी माला देखकर उसे 'भक्तिन' कह दिया। यह नाम भक्तिन को पसंद आ गया।
प्रश्न 10. पुत्र की चाह में परिवार के लोग ही कन्या को जन्म देने वाली माँ के दुश्मन हो जाते हैं। इस प्रवृत्ति पर भक्तिन' पाठ के आधार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- भारत में पुत्र की चाह इतनी है कि पुत्रों को जन्म देने वाली माँ का सम्मान होता है और कन्याओं को जन्म देने वाली माँ का तिरस्कार किया जाता है। यहाँ तक कि घर-परिवार के लोग ही कन्याओं की जन्मदात्री माँ के दुश्मन बन जाते हैं। का जीवन प्रमाण है। भक्तिन की सास ने तीन पुत्र जने, इसलिए वह गौरवशाली सास बनकर शासन करने लगी। उसकी जेठानियों ने काले कलूटे पुत्रों को जन्म दिया तो उनका भी हुआ। उनके लड़कों को खूब दूध मलाई मिलती थी। भक्तिन ने तीन पुत्रियों को जन्म दिया। अतः उससे बर के सारे कठिन काम कराए जाते थे उसे तथा उसकी बच्चियों को रूखा-सूखा भोजन दिया जाता था।
प्रश्न 11. भक्तिन लाट साहब लड़ने तत्पर थी ? इससे उसके स्वभाव कौन-सी विशेषता उजागर होती ?
उत्तर- जब भक्तिन बताया कि महादेवी जेल जाना पड़ेगा तो वह भी उनके साथ चलने के तैयार हो गई। उसे बताया कि बड़े लाट साहब इसके इजाजत नहीं तो वह अपनी मालकिन हित में लाट साहब भी लड़ने तैयार हो गई। इससे भक्तिन असीम का परिचय मिलता है।
प्रश्न 12. भक्तिन अतीत परिवार समाज की किन समस्याओं जूझते पाठ आधार उत्तर दीजिए।
उत्तर- भक्तिन अतीत परिवार और समाज अनेक समस्याओं संघर्ष करते हुआ बीता था। पति की युवावस्था ही मृत्यु हो गई थी। भक्तिन का जेठ चाहता था कि वह किसी से विवाह ले, उसकी जायजाद वह अधिकार सके, परंतु वह नहीं मानी। उसकी अपने नजदीकी भक्तिन बेटी का विवाह देना चाहती जिससे की जायजाद उसका बना रहे। का जमींदार लगान वसूलने बहुत कठोर उसने एक बार भक्तिन को लगान अदा न पर दिनभर में खड़ा रखा। इस अपमान आहत भक्तिन शहर आकर महादेवी (लेखिका) की नौकरी ली।
13. 'लक्ष्मी' 'भक्तिन' की प्रक्रिया मर्मस्पर्शी अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर - लक्ष्मी का जीवन दुखों से भरा है। बचपन ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई और जवानी में ही विधवा हो गई। पति की मृत्यु के बाद उसके ससुराल वाले भी उसकी संपत्ति हड़पना चाहते थे, इसलिए दूसरी शादी के लिए जोर देने लगे, परंतु दूसरे विवाह के लिए उसने साफ-साफ कर दिया। बड़े दामाद को घर जमाई बनाकर रखा, परंतु वह भी शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। अपने घर में का अभाव रहने के कारण वह एक बार लगान नहीं चुका पाई, जिसके कारण उसे धूप खड़े रहने की सजा इसी अपमान कारण वह शहर चली गई और लेखिका यहाँ सेविका बन गई। उसकी वेशभूषा देखकर लेखिका उसका नाम भक्तिन रख दिया। इस प्रकार 'लक्ष्मी' 'भक्तिन' बनने की प्रक्रिया अत्यंत है।
14. " भक्तिन वाक्पटुता बहुत आगे थी", पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए।
उत्तर—“भक्तिन वाक्पटुता बहुत आगे थी" इसे पाठ में दिए गए इस उदाहरण के आधार पर किया जा सकता है कि वह जिस बात को मानती थी, उसे पूरी शक्ति से कहती थी। जब उससे पूछा गया वह घर में इधर-उधर पैसों को मटकी में क्यों डालती है, यह तो चोरी है, तो इसका प्रत्युत्तर देते हुए ने कहा कि यह तो पैसा सँभालकर है। इसके लिए यह तर्क करने को भी तैयार है।
प्रकार, वह अपने केश मुंडाने को लेकर भी शास्त्रों का हवाला देती है। वह पढ़ाई-लिखाई बचने लिए भी अचूक तर्क देती है कि "हमारी मालकिन किताबों में गड़ी रहती हैं। अब भी पढ़ने लगूँ घर-गृहस्थी देखेगा?" प्रकार कहा जा सकता है कि भक्तिन वाक्पटुता बहुत आगे थी। 15. भक्तिन किस प्रकार लेखिका की छाया बनकर उसके साथ रहती थी।
भक्तिन रात को भी लेखिका को अकेले नहीं छोड़ती थी। यदि लेखिका अपने सिराहने रखे रैक देखती रंग पूछती, यदि वह कलम उठाती तो भक्तिन स्याही उठा लाती यदि लेखिका कागज सरका देती, तो भक्तिन दूसरी फाइल टटोलती भक्तिन हमेशा ही लेखिका पहले जाती थी। बदरीनाथ केदारनाथ ऊँचे-नीचे रास्ते और तंग पहाड़ी रास्ते वह हठ करके लेखिका चलती, जबकि गाँव की धूल-भरी पगडंडी पर वह लेखिका के पीछे चलना नहीं भूलती। किसी समय कहीं भी जाने के लिए लेखिका भक्तिन को अपनी छाया के समान साथ ही पाती थी।