कैमरे में बंद अपाहिज प्रश्न उत्तर (MP Board 12th Hindi Question Answer)
कैमरे में बंद अपाहिज प्रश्न उत्तर
1. कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई है आपकी समझ में इसका क्या औचित्य है ?
उत्तर-
1. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता वास्तव में दूरदर्शन कार्यक्रम या मंच पर दिखाए जाने वाले नाटक को छंदबद्ध काव्य में रचना की गई है जिसमें प्रसारण या मंचन के दौरान कैमरामैन, अपाहिज एवं संचालक कर्मियों से कही जाने वाली बातें जो नेपथ्य पर हो रही थीं, उसे कोष्ठक में रखा गया है जिससे कविता को पड़ते समय पाठक उस दृश्यांकन का दर्शक को ही तरह रसास्वादन कर सके। जैसे- कैमरा दिखाओ इसे बहु-बड़ा, कैमरा बस करो, नहीं हुआ, रहने दो-कैमरामैन से कहा गया।
2. हम इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा - यह प्रश्न नहीं पूछा जाएगा- दर्शकों को संबोधित करके।
3. यह अवसर खो देंगे ? परदे पर वक्त की कीमत हैं। अपाहिज से कहा गया।
प्रश्न 2. कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है-विचार कीजिए।
उत्तर - कैमरे में बंद अपाहिज ' करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है। यह निःसंदेह सत्य है कि पत्रकारिता जगत ने समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के लिए हर वर्ग विशेष के लोगों को दूरदर्शन के परदे पर स्थान देने के उद्देश्य से अपाहिज के साक्षात्कार का कार्यक्रम आयोजित करके करुणा दिखाई, किन्तु साक्षात्कार में पूछे गए प्रश्नों का स्तर निकृष्टता, ओछापन, बेतुका अमानवीयता, संवेदनहीनता को प्रदर्शित कर रहा था। "आप क्या अपाहिज हैं ? आपका अपाहिजपन आपको दुःख देता होगा आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है ?" ऐसे प्रश्न अपाहिज की पीड़ा को कुरेदने वाले एवं संवेदनहीन हैं साथ ही 'आप अवसर खो देंगे।' 'परदे पर वक्त की कीमत है' जैसे वक्तव्य दूरदर्शन की महत्ता और अपाहिज पर एहसान करने जैसे लगते हैं। जो एक बनावटीपन है जहाँ करुणा के मुखौटे में क्रूरता को जन्म देता है।
प्रश्न 3. 'हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएंगे' पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है ?
अथवा
इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाह रहा है ?
उत्तर-
'हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएंगे' पंक्ति के माध्यम से कवि ने मीडिया बालों/(दूरदर्शन कर्मियों) कार्यक्रम के पर व्यंग्य किया है। अपने मुँह मियाँ मिट्टू बनने की कहावत को चरितार्थ करने लगे हैं। दूरदर्शन वाले स्वयं को समर्थ शक्तिवान बताकर आम जनता के प्रशंसक बन गए हैं। उनकी कृपा से ही लोगों को परदे पर स्थान मिल सकता है अन्यथा नहीं। उनके अनुसार अपाहिज व्यक्ति की तुलना में वे अधिक समर्थ और बलवान हैं, अतः दुर्बल (अपाहिज ) की कमजोरियों को उजागर कर, उस पर कार्यक्रम बनाकर दर्शक दीर्घा के समक्ष उसे लज्जित करने जैसे प्रश्नों को पूछकर कुरेदकर अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता की ओर ध्यान देना किसी तमाशे से कम नहीं है।
प्रश्न 4. यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्त्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा ?
उत्तर-
यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का रोचक कार्यक्रम आयोजित करने और उसके लोकप्रिय होने का उद्देश्य पूर्ण होगा। उसे लोगों को वाह-वाही और सहानुभूतियाँ मिलेंगी। कार्यक्रम लोकप्रिय होने से प्रसिद्धि और मुंह मांगी कीमत मिलेगी क्योंकि जिस रस को आधार मानकर कार्यक्रम बनाया जाता है वही रसास्वादन दर्शक, श्रोता या पाठक को पूरी तरह होता है तभी कार्यक्रम की सार्थकता पूर्ण होती है। यहाँ भी वही हुआ अपाहिज की पीड़ा से दुःखी होकर न केवल अपाहिज बल्कि दर्शकों को भी रुलाने का पूर्ण प्रयास था। करुण रस पर आधारित कार्यक्रम में करुणा का प्रवाह होना आवश्यक था।
प्रश्न 5. 'परदे पर वक्त की कीमत है' कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में है ? '
उत्तर
परदे पर वक्त की कीमत है' कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति दूरदर्शन वालों के व्यावसायिक नजरिया को रखा है क्योंकि किसी भी कार्यक्रम के प्रसारण में मिनट के हिसाब से और लोकप्रियता की संभावना के आधार पर कीमत रहती है। दूरदर्शन वालों को किसी के दुःख-दर्द, शौहरत, हित-अहित, प्रसिद्धि-बदनामी आदि से सरोकार (मतलब नहीं होता है उन्हें तो सिर्फ कार्यक्रम की रोचकता, लोकप्रियता और उसे बनाने में लगाए धन से लाभ की वसूली हो जाने से मतलब होता है। अतः ऐनकेन प्रकारेन अपने कार्यक्रम को प्रसिद्धि दिलाना चाहते हैं।
कैमरे में बंद अपाहिज महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो, तो किन शब्दों में करवाएंगे ?
उत्तर- ये मेरा मित्र गोपीनाथ है यह बारहवीं का गणित संकाय का छात्र है। यह इतना मेहनती और सौभाग्यशाली है कि ये पोलियोग्रस्त पैर के बावजूद तैराकी में छत्तीसगढ़ चैम्पियन है। भविष्य में यह अंतर्राष्ट्रीय अयन बनने के लिए प्रयत्नशील है। इसे देखकर मुझे भी कुछ नया करने की प्रेरणा मिल रही है और इसी के मार्गदर्शन पर मैं भी आजकल तैराकी सीखने जा रहा हूँ। ऐसा मित्र पाकर मैं स्वयं को खुशनसीब समझता हूँ।
प्रश्न 2. सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा ? अपने विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर- सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम की आड़ में किसी अपाहिज के साथ इस प्रकार के संवेदनहीन प्रश्नों को सुनकर मुझे उस कार्यक्रम के आयोजक बुद्धिजीवी की युद्धि पर आश्चर्य होगा कि अपने व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लोग किस हद तक स्वयं को गिरा सकते हैं। ऐसे कार्यक्रम पर रोक लगाने हेतु दूरदर्शन संचार विभाग को शिकायत करने की उत्प्रेरित हो जाऊँगा।
प्रश्न 3. यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी. वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर-
दिनांक 04/03/2023
प्रति,
निर्देशक
दूरदर्शन कार्यालय भोपाल
नई दिल्ली विषय- 'वेदना' कार्यक्रम के प्रति प्रतिक्रिया हेतु।
महोदय
मैं अ ब स आपके लोकप्रिय चैनल क ख ग का नियमित दर्शक हूँ यूँ तो आपके चैनल में दिखाए जाने वाले कार्यक्रम सराहनीय होते किन्तु विगत सप्ताह दिनांक. . को एक निःशक्त दिव्यांग का साक्षात्कार दिखाया गया, जिसमें साक्षात्कारकर्ता द्वारा दिव्यांग को अपंगता को केन्द्रित कर अनेक बेतुके और दर्दनाक प्रश्न पूछे गए जो मानवीय संवेदनाओं की पराकाष्ठा को पार कर गया। उस व्यक्ति विशेष (अपाहिज ) के अपंग शरीर को दिखा-दिखाकर उसकी पीड़ा को व्यक्त करने का दबाव डाला गया जो आप जैसे बुद्धिजीवियों के लिए अशोभनीय कृत्य है। ऐसे कार्यक्रम को देखकर मैं अति आहत हुआ हूँ। क्योंकि मैं स्वयं एक दिव्यांग हूँ। आशा करता हूँ कि भविष्य में हृदय को ठेस पहुँचाने जैसे कार्यक्रमों को प्रसारित करने से आप स्वयं को रोकेंगे और दर्शकों की भावनाओं का ध्यान रखेंगे।
सधन्यवाद !
प्रार्थी
अ ब स
कैमरे में बंद अपाहिज अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'कैमरे में बंद अपाहिज' नामक कविता का संदेश / उद्देश्य / कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर—'कैमरे में बंद अपाहिज' नामक कविता में मीडिया व्यापार पर कटाक्ष किया गया है। दूरदर्शन के चैनल सामाजिक कार्यक्रमों के नाम पर दुःख-दर्द को बेचने का काम करते हैं। उन्हें न तो अपाहिजों के दुःख- दर्द की होती है, न उनके मान-सम्मान की। उनका काम होता है, कार्यक्रम को रोचक बनाना। अपाहिजों के आँसू निकलवाकर और दर्शकों को लाकर पैसा कमाना। इसके लिए उन्हें बेहूदे सवाल पूछने पढ़े तो वे पूछते हैं, उनके दर्द को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना पड़े तो दिखाते हैं। कवि यह कहना चाहता है कि मीडियाकर्मियों को अपाहिजों पर मानसिक अत्याचार नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 2. दूरदर्शन वाले कैमरे के सामने किसी दुर्बल को क्यों लाते हैं ?
उत्तर - दूरदर्शन वाले जानते हैं कि मनुष्य करुणावान प्राणी है। लोग किसी को दुःख में देखकर उसके बारे में जानना चाहते हैं। दूसरों का दुख मनुष्य को इतना बाँधता है कि अपना ध्यान हटा ही नहीं पाता है। मनुष्य की इसी भावना का दोहन करने के लिए, उससे पैसे कमाने के लिए दूरदर्शन वाले जानबूझकर किसी दुर्बल को परदे पर ले आते हैं। वे चाहते हैं कि लोग उनकी दयनीय दशा पर द्रवित होकर आँसू बहाए और उनका कार्यक्रम चल निकले, उनकी खूब कमाई हो।
प्रश्न 3. अपाहिज से पूछे जाने वाले अधिकतम प्रश्न बेहुदे हैं क्यों?
उत्तर- अपाहिज से पूछे जाने वाले प्रश्न बिल्कुल बेहूदे हैं। जैसे-
1. क्या आप अपाहिज हैं ? 2. तो आप क्यों अपाहिज है ?
इन दोनों प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं बनता। सबके सामने स्वयं को अपाहिज स्वीकार करना अपमान के सिवा और क्या है ? किसी से यह पूछना कि यह अपाहिज क्यों है, एक क्रूर मजाक है। अगला प्रश्न आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा। जानबूझकर सोए हुए दर्द को जगाना है। यह भाव पर नमक छिड़कना है। फिर यह पूछना कि अपाहिज होकर उसे कैसा लगता है ? उसके मौन रहने पर उसकी नकल करना, भद्दे इशारे करना, भौंही मिमिक्री है। वास्तव में इन प्रश्नों के उत्तर स्वयं अपाहिज से पूछे हो नहीं जाने चाहिए।
प्रश्न 4. अपाहिज अपने दुःख को छिपाने में भला मानता है या दिखाने में ?
उत्तर- अपाहिज अकारण और अप्रासंगिक प्रश्न सुनकर प्रश्नकर्त्ता की नीयत को नहीं समझ पाता। यह उसका आग्रह देखकर संदेह से भर जाता है। वह स्वयं इतने दुःख में नहीं है, जितना कि प्रश्नकर्त्ता समझता है। प्रश्नकर्त्ता के प्रश्न भी इतने बेहूदे हैं कि वह उन पर मौन ही रह सकता है। जहाँ तक उसके दुःखों का प्रश्न है, से कोई ताता ताता दुःख नहीं है कि उन्हें रो-रोकर बताए उसने अपनी नियति को, अपनी स्थिति को स्वीकार करके सुख से जीना सीख लिया है। वह अपनी अपाहिजी को याद भी नहीं करना चाहता है। इन सब कारणों से यह अपने दुःख के बारे में कुछ नहीं बताना चाहता है। वह प्रदर्शन की सामग्री कदापि नहीं बनाना चाहता है।
प्रश्न 5. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता के व्यंग्य पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- इस कविता में कवि ने मीडिया की ताकत के बारे में बताया है। मीडिया अपने कार्यक्रम के प्रचार व धन कमाने के लिए किसी की करुणा को भी बेच सकता है। वह ऐसे कार्यक्रमों का निर्माण समाज-सेवा के नाम पर करता है, परंतु उसे इस कार्य व्यापार में न तो अपाहिजों से सहानुभूति होती है और न ही उनके मान- सम्मान की चिंता वह सिर्फ अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना जानता है। कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए वह ऊटपटांग प्रश्न पूछता है और पीड़ित की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर बताता है।
प्रश्न 6. 'कैमरे में बंद अपाहिज' शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर- 'कैमरे में बंद अपाहिज ' शीर्षक यह ध्वनि देता है जैसे कैमरा उनके लिए कोई कैद हो, यातना हे या पीड़ा हो। कवि का लक्ष्य टी. वी. संचालकों की हृदयहीनता को दिखाना है। ये पीड़ित अपाहिजों की पीड़ा को कैमरों में कैद करके दर्शकों को उनका तमाशा दिखाते हैं और बदले में मनमाना धन वसूल करते हैं। अपाहिज की यही पीड़ा दिखाना कविता का उद्देश्य है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यह शीर्षक एकदम सटीक, सार्थक और सही है।
प्रश्न 7. ' कैमरे में बंद अपाहिज' कविता को आप करुणा की कविता मानते हैं या क्रूरता की ? तर्कसम्मत उत्तर दीजिए।
उत्तर - यह कविता मीडियाकर्मियों की क्रूरता का प्रदर्शन करती है। उनके लिए अपाहियों के प्रति करुणा दिखाना भी एक प्रकार का खेल है। वे करुणा को बड़े क्रूर ढंग से दिखाकर धन अर्जित करते हैं। यह कविता इसी क्रूरता पर कटाक्ष करती है।
प्रश्न 8. 'कैमरे में बंद अपाहिज' करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर- 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता करुणा के व्यापारियों पर तीखा व्यंग्य है। मीडियाकर्मी अपने चैनल को लोकप्रिय बनाने के लिए जान-बूझकर लोगों के जख्म को कुरेदते हैं। ये अपाहिजों की मजबूरी को उनकी दीनता और दुःख को जान-बूझकर उभारते हैं ताकि लोग उन्हें देखने के लिए चैनल से चिपके रहें। वास्तव मैं किसी अपाहिज के भूले हुए दर्द से अपना धंधा चलाना अत्यंत घिनौना और क्रूर कर्म है।
प्रश्न. "कैमरे में बंद अपाहिज कविता के प्रतिपादय के विषय में अपनी प्रतिक्रिय कीजिए।
उत्तर—'कैमरे में बंद अपाहिज ' कविता में शारीरिक अक्षमता की पीड़ा झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा क जिस अमानवीय ढंग से दर्शकों तक पहुँचाया जाता है वह कार्यक्रम के निर्माता और प्रस्तोता की संवेदनहीनता पराकाष्य है। वे पीड़ित व्यक्ति को भावनाओं को ठेस पहुँचाते हुए उसे बेचने का प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं। यहाँ भी उनकी पैसा कमाने की सोच दिखती है, जो उनको मानवता के ऊपर हावी हो चुकी है।
प्रश्न 10. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता को क्या संवेदनहीन कहा जा सकता है ? तर्क के आधार पर अपने मत की पुष्टि कीजिए।
उत्तर- इस कविता को संवेदनहीन नहीं कहा जा सकता है। यह कविता तो पाठकों के मन में और मीडियाकर्मियों के मन में संवेदना जगाना चाहती हैं कि वे संवेदनहीन न बनें। मीडियाकर्मियों का कथित कर्म संवेदनहीन है, कविता नहीं।
प्रश्न 11. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता में शारीरिक चुनौती झेलते अन्यथा सक्षम लोगों के प्रति कवि के रवैये पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - कवि शारीरिक पीड़ा से ग्रस्त किंतु वैसे सक्षम लोगों के प्रति सम्मान का भाव रखता है। कवि दिखाना चाहता है कि मीडिया वाले कैसे अपंग लोगों की अपंगता का मजाक उड़ाते हैं। यह अनुचित है।
प्रश्न 12. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता कुछ लोगों की संवेदनहीनता प्रकट करती है, कैसे?
उत्तर- 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता कुछ लोगों की संवेदनहीनता प्रकट करती है क्योंकि ऐसे लोग धन कमाने एवं अपने कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए दूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं और किसी को करुणा बेचकर अपनी आप बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे लोग अपाहिजों से सहानुभूति नहीं रखते बल्कि वे अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उल्टे-सीधे प्रश्न भी पूछते हैं।
प्रश्न 13. "इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का" रघुवीर सहाय की इस कविता की पंक्ति किसके लिए कहा गया है ?
उत्तर- "इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का " यह दर्शकों के लिए कहा गया है। कार्यक्रम को प्रस्तुत करने वाला अपाहिज व्यक्ति से साक्षात्कार लेते हुए बीच-बीच में दर्शकों से भी कुछ कहता है। कार्यक्रम से दर्शकों को जोड़े रखने के लिए ऐसा किया जाता है।