सिल्वर वैडिंग कहानी अभ्यास के प्रश्नोत्तर
सिल्वर वैडिंग कहानी अभ्यास के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. यशोधर बाबू की
पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। क्यों ?
उत्तर- यशोधर
बाबू और उनकी पत्नी दोनों ही मूलतः आधुनिक विचारधारा के नहीं थे। किन्तु
परिस्थितियों ने उनकी सोच में बदलाव ला दिया। यशोधर बाबू के माता-पिता का देहांत
हो जाने पर उनका पालन-पोषण बुआ द्वारा किया गया। नौकरी की तलाश में शहर आए यशोधर
बाबू को आर्थिक मदद कर नौकरी में लगवाने वाले किशन दा उनके आदर्श बन गए। जो भारतीय
संस्कृति और संस्कारों को मानने वाले सिद्धांतवादी थे। अत: किशन दा के संरक्षण और
सानिध्य के कारण यशोधर बाबू स्वयं को जमाने के अनुरूप और बच्चों के आधुनिक सोच में
नहीं ढाल पाए वहीं दूसरी ओर उनकी पत्नी संयुक्त परिवार में जिम्मेदारियों के बोझ
तले दबे रहने के कारण अपनी इच्छाओं का दमन करती रही किन्तु बच्चों के आग्रह पर वह
स्वयं को आधुनिकता के लिबास में ढालने और अपनी अतृप्त इच्छाओं को पूरी करने का
अवसर प्राप्त कर वह समय के साथ स्वयं को बदल लेना सही मानती हैं इसलिए वह सफल हो
जाती हैं।
प्रश्न 2. पाठ में जो हुआ होगा' वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते / सकती हैं?
उत्तर- पाठ में जो हुआ होगा' कई अर्थ छवियाँ हो सकती हैं, यूँ तो पाठ में 'जो हुआ होगा' की पुनरावृत्ति चार-पाँच बार हुई है। जहाँ हर वाक्यांश में अर्थ बदल जाते हैं।
(1) पहली बार अपने बिरादरी के व्यक्ति से मृत्यु का कारण पूछा तब जो हुआ होगा अर्थात् पता नहीं।
(2) दूसरी बार यशोधर बाबू की सोच में जिन लोगों के बाल-बच्चे नहीं होते, घर परिवार नहीं होता उनकी रिटायर के बाद 'जो हुआ होगा' से मौत हो जाती है अर्थात् अपनों के अभाव में देखभाल न हो पाने के
(3) तीसरी बार संध्या
पूजा में ध्यान किए हुए यशोधर बाबू को किशन दा दिखाई पड़ने पर उनसे जो हुआ होगा से
कैसे मर गए ? पूछते हैं तब
गृहस्थ हो, ब्रह्मचारी हो, अमीर हो, गरीब हो 'जो हुआ होगा' से ही मरते है
अर्थात् व्यक्ति अकेले जन्म लेता है और अकेले जाना पड़ता है यही जन्म-मृत्यु का
नियम है।
(4) अंतिम बार
ड्रेसिंग गाउन पहने यशोधर बाबू के अंगों में किशन दा उत्तर आते हैं उस समय बेटा
भूषण द्वारा ड्रेसिंग गाउन पहन कर दूध लाने की बात यशोधर जी को चुभ जाती है तब
उन्हें किशन दा की मौत जो हुआ होगा से हुई है बात याद आती है अर्थात् अपनो के होते
हुए भी साथ न होने का अहसास उन्हें दुखी कर देता है। इस प्रकार पता नहीं क्या हुआ
होगा ? अपनों का अभाव, जन्म-मृत्यु का
नियम और अपनो के होते हुए भी परायों जैसा व्यवहार हो व्यक्ति की मृत्यु के लिए
पर्याप्त कारण बन जाते हैं,
ऐसी छवियाँ सामने
आती हैं।
प्रश्न 3. 'सम हाउ इंप्रापर' वाक्यांश का
प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम' की तरह करते हैं।
इस वाक्य का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है ?
उत्तर- पूरी कहानी में सम हाउ इंप्रापर शब्द की पुनरावृत्ति कई बार हुई है। सम हाउ इंद्रापर का अर्थ है "कुछ न कुछ सही नहीं है।" अर्थात् कुछ गलत है। यशोधर बाबू जैसे संस्कारी, सिद्धांतवादी, परंपराओं की मानने वाले व्यक्ति को आधुनिक विचारधारा और पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित नई पीढ़ी के लोगों का रहन- सहन, व्यवहार, भौतिक सुख-सुविधाओं की वस्तुएँ उचित नहीं लगती थी। अतः वे 'सम हाउ इंप्रापर' शब्द कहकर उस परिस्थिति विशेष में असहजता को व्यक्त करते थे। वे उस विशेष परिस्थिति में स्वयं को बदलकर सामंजस्य बिठा पाने में असमर्थ होते थे। जो उनके व्यक्तित्व के लिए मैं मुर्गी की एक टोंग या लकीर के फकीर होने जैसे कहावत उचित लगते हैं। सिल्वर वैंडिंग पार्टी पर साधारण पुत्र के असाधारण वेतन पर केक काटने की परंपरा पर, घर में गैस, फ्रिज़ आने पर, बेटी के पतलून व सँडो ड्रेस पहनने पर पत्नी के बिना बाँकी ब्लाउज व होठों पर लाली लगाने पर आदि कई जगहों पर कहे गए 'सम हाउ इंप्रापर' शब्द यशोधर बाबू डा पीढ़ी अंतराल के परिवर्तन को नकारने वाले एवं स्वयं को वक्त के साथ संशोधित व संबधिंत न कर पाने के व्यक्तित्व को व्यक्त करते हैं। जो कि "परिवर्तन सृष्टि का नियम है" के अनुरूप आवश्यक है।
प्रश्न 4. यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशन दा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे ?
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें क्योंकि उत्तर विद्यार्थियों के अनुभव के आधार पर होना उचित है।
प्रश्न 5. वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं ?
उत्तर- वर्तमान
समय में परिवार की संरचना व स्वरूप इस कहानी की मूल संवेदना है नई पीढ़ी और पुरानी
पीढ़ी के विचारों, सिद्धांतों, मान्यताओं और
व्यवहार में काफी अंतर आ गया है। घर के बड़े बुजुर्ग शोध बाबू की तरह सिद्धांतवादी
होते हैं पुरानी मान्यताओं और परंपराओं की लीक पर चलने वाले होने के कारण के नई
पीढ़ी के साथ ताल-मेल नहीं बिठा पाते परिणामस्वरूप पारिवारिक सदस्यों के बीच
असंतोष व अशांति का माहौल बन जाता है। इसके पीछे संयुक्त परिवार का विघटन भी कारक
है। वर्तमान समय में सिद्धांतों के साथ व्यावहारिक होना भी वक्त की माँग है। तभी
व्यक्ति परिवारों को एकजुट कर खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता है अन्यथा यशोधर बाबू की
तरह स्वयं को परिवार से अलग रखकर दुखी रहेगा। वहीं उनको पत्नी अपने सिद्धांतों को
छोड़ व्यावहारिक होने का प्रयास कर अपने बच्चों के साथ सुखी व प्रसन्नचित महसूस
करती हैं, बदली हुई
परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को बदल लेना ही समझदारी व सुखकारी है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे/ कहेंगी और क्यों ? (क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य, (ख) पीढ़ी का अंतराल, (ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव ।
उत्तर- सिल्वर बैंडिंग कहानी की मूल संवेदना 'पीढ़ी का अंतराल' को कहना उचित होगा कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है जिसके तहत हर पीढ़ी के बाद अगली पीढ़ी में आचार-व्यवहार, खान-पान, रहन- सहन और सोच-विचार में परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देता है जो नवीन अनुसंधानों, शिक्षा, विकास और अनुकरण के कारण होता है। यही कारण है कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी समाज में परिवर्तन होता जाता है। अनुसंधान विका शिक्षा से नई पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करती है। फलस्वरूप उसके भारतीय संस्कार व मानवीय मूल्य हाशिए पर चले जाते हैं। व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। सिद्धांतों, मानवीय मूल्यों और व्यवहारों का आपस में टकराव होता है। संघर्ष आरंभ हो जाता है। जिसने इन परिवर्तनों के साथ परिवर्तित होना सीख लिया वह सुखी व खुशहाल होता है अन्यथा यशोधर की तरह दुखी होकर अकेलेपन का शिकार हो जाता है।
इस प्रकार इस कहानी की मूल संवेदना, पीढ़ी अंतराल के साथ अन्य दोनों कारण भी आपस में संबंधित हैं।
प्रश्न 7. अपने घर और विद्यालय के आसपास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुजुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे ?
उत्तर - हमारे घर
व विद्यालय के आस-पास अनेक बदलाव दिखाई पड़ते हैं जो सुविधाजनक तो हैं पर
बुजुर्गों को पसंद नहीं जैसे मोटर गाड़ियाँ टीवी, फ्रिज, एयर कंडिशनर, मोबाइल, शौचालय, इंटरनेट, गैस- पुलर सोलर कुकर कुकर, माइक्रोवेव आदि चीजें सुविधा जनक हैं किन्तु
बुजुर्गों की दृष्टि में हर चीज में को न कोई खामी है, कोई स्वास्थ्य की
दृष्टि से तो कोई व्यवहार की दृष्टि से तो कोई छूआ-छूत की दृष्टि से मोटर गाड़ियाँ
की तेज रफ्तार खतरनाक है,
टीवी, मोबाइल, इंटरनेट अश्लीलता
का संचारक, कुकर, गैस चूल्हा, फ्रिज़ के भोजन
सुपाच्य नहीं होते, शौचालयों का घर
के अंदर होना छूआ-छूत का कारण होता है। ए.सी., माइक्रोवेव स्वास्थ्यवर्धक नहीं हैं। इन सब कारणों से वे इन
वस्तुओं व बदलाव को अपनी संस्कृति व सभ्यता के खिलाफ मानकर पंसद नहीं करते हैं।
प्रश्न 8. यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है ? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभव और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए-
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उचित है।
उत्तर- सिल्वर
वैडिंग कहानी के अध्ययन से उपरोक्त तीनों कथन कहीं न कहीं उचित लगते हैं-
(क) पुराने क्वार्टर को न छोड़ना और पत्नी बच्चों के आधुनिक पहनावा को स्वीकार न करना उनकी पुरानी सोच को व्यक्त करता है अतः वे सहानुभूति के पात्र नहीं है।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है क्योंकि आधुनिक सुख-सुविधा की वस्तुएँ उन्हें अच्छी लगती हैं उन चीजों की खरीदी और आयोजन के पहले उनसे सलाह मशवरा न करना वे अपना तिरस्कार या अपमान समझते हैं। अतः उनके प्रति सहानुभूति उचित है।
(ग) मंदिर जाना, अपनों की मदद करना, बुजुर्गों के कार्य में हाथ बँटाना एक आदर्श व्यक्तित्व के परिचायक हैं जिसे नई पीढ़ी को अपनाना चाहिए। तीनों कारणों को उचित ठहराने की वजह है कि समाज व परिवार व्यवहार से चलता है जहाँ हर उम्र दराज व भाँति-भाँति के सोच-विचार के लोग होते हैं कोई तुरंत बदलाव पसंद करता है कोई बदलती परिस्थितियों को स्वीकार करने के पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करता है अतः उसे बदलने में वक्त लग जाता है।
सिल्वर वैडिंग कहानी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'सिल्वर वैंडिंग' कहानी के आधार पर
यशोधर बाबू का चरित्र चित्रण सोदाहरण लिखिए।
अथवा
'सिल्वर वैडिंग' कहानी के आधार पर
'यशोधर बाबू' के व्यक्तित्व की
कोई चार प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- 1. - यशोधर बाबू परंपरावादी हैं। उन्हें पुराने रीति-रिवाज अच्छे लगते हैं। वे संयुक्त परिवार के समर्थक हैं, उन्हें पत्नी व बेटी का सँवरना अच्छा नहीं लगता। घर की भौतिक चीजों से उन्हें चिढ़ है।
2. पाश्चात्य संस्कृति के विरोधी- यशोधर बाबू सिल्वर वैंडिंग मनाना, पतलून, सँडो ड्रेस, बिना बाँह की ब्लाउज, केक काटना आदि को पाश्चात्य संस्कृति की देन मानते हैं। अतः वे उसे न अपनाकर विरोध प्रकट करते हैं।
3. धार्मिक प्रवचन सुनना, संध्या पूजन करना, मंदिर जाना, धार्मिक किताबें पढ़ना उनके जीवन का अहम् हिस्सा है। जो किशन दा से विरासत में प्राप्त है।
4. परमार्थी - नाते-रिश्तेदारों की जरूरत के वक्त मदद करना निराश्रय को आश्रय देना यह भी किशन दा से सीखा था। उन्हें भी शहर में किशन दा ने ही आश्रय दिया था। यही वजह है कि उनके अंदर दूसरों की मदद करने की प्रवृति है।
5. आदर्शवादी - बड़े-बुजुगों का सम्मान करना, अपने निर्णयों में बुजुर्गों व बड़ों की सलाह लेना, दफ्तर की हो या घर की जिम्मेदारी बखूबी निभाना, सरकारी वक्त का पालन करना, उनके आदर्श व्यक्तित्व को करते हैं।
प्रश्न 2. 'सिल्वर वैडिंग' के आधार पर उन जीवन मूल्यों पर विचार कीजिए, जो यशोधर बाबू को किशन दा से उत्तराधिकार में मिले थे। आप उनमें से किन्हें अपनाना चाहेंगे?
उत्तर-
1. आदर्शवादी - बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करना, अपने निर्णयों में बुजुगों व बड़ों की सलाह लेना, दफ्तर की हो या घर की जिम्मेदारी बखूबी निभाना सरकारी वक्त का पालन करना उनके आदर्श व्यक्तित्व को प्रमाणित करते हैं।
2. परमार्थी -
नाते-रिश्तेदारों की जरूरत के समय मदद करना, निराश्रय को आश्रय देना, यह भी किशन दा से सीखा था। उन्हें भी शहर में किशन दा ने ही
आश्रय दिया था। यही वजह है कि उनके अंदर दूसरों की मदद करने की प्रवृत्ति है।
3. धार्मिक — प्रवचन सुनना, संध्या पूजन करना, मंदिर जाना, धार्मिक किताबें पढ़ना उनके जीवन का अहं हिस्सा है। जो किशन दा से में प्राप्त है।
4. परिश्रमशीलता - किशन दा के परिश्रमी स्वभाव को देखकर यशोधर बाबू ने यह निश्चय कर लिया था कि उन्हीं की तरह वे भी मेहनत करके आगे बढ़ेंगे।
प्रश्न 3. यशोधर बाबू आत्मीय और पारिवारिक जीवन-शैली के हैं। आप इस बारे में क्या सोचते हैं ?
उत्तर- यशोधर
बाबू को सहज पारिवारिक जीवन की तलाश रहती है जिसमें वे अपनेपन से रह सकें। इसके
लिए वे केवल अपने परिवारजनो को ही नहीं, बल्कि अन्य रिश्तेदारों को भी सम्मिलित करना चाहते हैं। वे
अपनी बहन को निरंतर पैसे भेजते हैं। अपने जीजा के बीमार होने पर अहमदाबाद जाकर
उनसे मिलना चाहते हैं। वे अपने बच्चों से भी यही अपेक्षा करते हैं कि वे अन्य
रिश्तेदारों का आदर-सम्मान करें, उनके साथ संबंध गरीब रिश्तेदारों को अपनाने में उन्हें
विशेष सुख मिलता है। जब उनकी पत्नी और बच्चे गरीब रिश्तेदारों की उपेक्षा करते हैं
तथा रिश्तेदारी निभाने को मूर्खतापूर्ण कहते हैं तो उन्हें बहुत दुःख पहुँचता है।
यशोधर बाबू चाहते हैं कि उनके सभी बच्चे उन्हें अपना बड़ा बुजुर्ग माने थे उनसे हर
बात में सलाह से अपनी कमाई उनके हाथों में रखे। इस प्रकार वे एक आत्मीय परिवार के
मुखिया के रूप में जिएँ। मेरा विचार है कि वे मुखिया है तो मुखिया जैसा मान-सम्मान
चाहेंगे ही। उनका चाहना ठीक है। परंतु उन्हें बच्चों के साथ मित्रता का व्यवहार
करना चाहिए तभी उनके बच्चे उनको सम्मान देंगे।
प्रश्न 4. बाबू ऐसा क्यों
सोचते हैं कि वे भी किशन दा की तरह घर-गृहस्थी का बवाल न पालते तो अच्छा था ?
उत्तर- यशोधर
बाबू परंपरा को मानने तथा बनाए रखने वाले इंसान थे। उन्हें पुराने रीति-रिवाजों से
लगाव था। वे संयुक्त परिवार के समर्थक थे। उनकी पुरानी सोच बच्चों को अच्छी नहीं
लगती है। बच्चों का आचरण और व्यवहार देखकर उन्हें दुःख होता है। उनकी पत्नी भी
बच्चों का ही पक्ष लेती है और ज्यादा समय बच्चों के साथ बिताती है। इसके अलावा
यशोधर बाबू को घर के कई काम करने होते हैं। घर में अपनी ऐसी स्थिति देखकर वे सोचते
हैं कि किशन दा की तरह घर-गृहस्थी का बवाल न पालते तो अच्छा था।
प्रश्न 5. 'सिल्वर वैडिंग के आधार पर सेक्शन ऑफिसर वाई. डी. पंत और उनके सहयोगी कर्मचारियों के परस्पर संबंध पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- सेक्शन
ऑफिसर वाई. डी. पंत का व्यवहार ऑफिस में शुष्क था। वे किशन दा की परंपराओं का कर
रहे थे। ये सहयोगी कर्मचारियों से घुलना-मिलना पसंद नहीं करते थे। उनके साथ बैठकर
चाय- पानी पीना व गप्प मारना उनके अनुसार समय की बर्बादी थी। ये उनके साथ जलपान के
लिए भी नहीं रुकते। वे समय से अधिक दफ्तर में रुकते थे। इससे भी उनके सहयोगी उनसे
नाराज थे।
प्रश्न 6, "यशोधर बाबू दो विभिन्न काल खंडों में जी रहे हैं" पक्ष या विपक्ष में उदाहरण सहित तर्क दीजिये ।
उत्तर- यशोधर
बाबू दो विभिन्न काल खंडों में नहीं जी रहे बल्कि वे वर्तमान कालखंड को नकारकर
भूतकाल में जीने की कोशिश कर रहे हैं। समय बदल चुका है किंतु यशोधर बाबू नहीं
बदले। उनकी पत्नी जमाने की नई चाल को अपना चुकी है किन्तु यशोधर बाबू अभी पुरानी
परंपराओं का चोला अपनाए हुए हैं। उनके बच्चे आधुनिक खान-पान और पार्टी कल्चर को
अपना चुके हैं किन्तु वे अभी भी रामलीला व कीर्तन की दुनिया में जीना चाहते हैं।
अतः वे वर्तमान में भूतकाल की माला रट रहे हैं। उनका यही द्वंद्व है। इसीलिए उनका
जीवन असंगत हो गया है। वे दाल-भात में मूसल चंद बन गए हैं।
प्रश्न 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के पात्र किशन दा के उन जीवन-मूल्यों की चर्चा कीजिए जो यशोधर बाबू की सोच में आजीवन बने रहे।
उत्तर- 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के पात्र किशन दा के अनेक जीवन मूल्य ऐसे थे जो यशोधर बाबू में आजीवन बने रहे। उनमें से कुछ जीवन मूल्य निम्नलिखित हैं-
1. सरलता- यशोधर बाबू सरलता की मूर्ति हैं। वे छल कपट या दूसरों को धोखा देना जैसे कुत्सित विचारों से दूर हैं।
2. आत्मीयता- यशोधर बाबू अपने पारिवारिक सदस्यों के अलावा अन्य लोगों से भी आत्मीय संबंध रखते हैं और यह संबंध बनाए रखते हैं।
3. सादगी यशोधर बाबू अत्यंत सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। वे सुविधा के साधनों के फेर में नहीं पढ़े। वे साइकिल से ऑफिस जाते हैं और फटा पुलोवर पहनकर दूध लाते हैं।
4. भारतीय संस्कृति से लगाव परोधर बाबू को भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव है। उनके बच्चों को पाश्चात्य सभ्यता से लगाव है फिर भी वे पुरानी परंपरा और भारतीय संस्कृति के पक्षधर हैं।
प्रश्न 8. यशोधर बाबू के बच्चों का कौन-सा पक्ष आपत्तिजनक है ?
उत्तर- यशोधर
बाबू के बच्चे परिश्रमी व प्रतिभाशाली तो हैं किन्तु उनका व्यवहार आपत्तिजनक है।
उनके मन में अपने पिता, रिश्तेदारों, धर्म और समाज के
प्रति नकारात्मक भाव है। वे अपने पिता की कदम-कदम पर उपेक्षा करते हैं। वे उनका
अपमान करने का कोई अवसर नहीं चूकते। वे पिता को यह नहीं बताते कि आज वे उनकी
सिल्वर वैडिंग मनाने जा रहे हैं। परंतु आशा यह करते हैं कि वे उनके साथ बढ़-चढ़कर
सहयोग करेंगे। भूषण बड़ी नौकरी पाकर भी पिता को कुछ नहीं देता बल्कि वह उनके सामने
अपने पैसों को धौंस जमाता है। वह पिता को चिढ़ाकर कहता है कि वे कोई अच्छा-सा नौकर
रख लें जिसकी तनख्वाह वह दे देगा। इसी प्रकार सिल्वर वैडिंग पर उपहार में गाठन
देकर कहता है कि आगे से फटा हुआ पुलोवर पहनकर दूध लेने न जाया करे। बच्चों का यह
कटाक्ष बहुत आपत्तिजनक है। लड़की खुद ढंग के कपड़े नहीं पहनती और पिता को उपदेश
देते हुए झिड़की देने लगती है।
बच्चों के मन में
अपने संबंधियों के प्रति कोई अनुराग नहीं है। वे अपनी बुआ को पैसे भेजने के बारे
में साफ इंकार कर देते हैं। धर्म और समाज की गतिविधियों में भाग लेने पर वे
नाक-भौं सिकोड़ते हैं। वास्तव में उन्हें केवल पर, पैसा और प्रतिष्ठा चाहिए। मानवीय संबंधों की
गरिमा और संस्कारों में उनकी कोई रुचि नहीं है। उनके इस व्यवहार से मन में विक्षोभ
ही उत्पन्न होता है।
प्रश्न 9. 'सिल्वर वैडिंग' के आधार पर उन जीवन मूल्यों की सोदाहरण समीक्षा कीजिए जो समय के साथ बदल रहे हैं।
'उत्तर- 'सिल्वर वैडिंग' पाठ में यशोधर बाबू और उनके बच्चों के आचार-विचार, सोच, रहन-सहन आदि देखकर ज्ञात होता है कि नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच अनेक जीवन मूल्यों में बदलाव आ गया है। उनमें से कुछ जीवन मूल्य निम्नलिखित हैं-
1. सामूहिकता- - यशोधर बाबू अपनी उन्नति के लिए जितना चिंतित रहते थे, उतना ही अपने परिवार, साथियों और सहकर्मियों की उन्नति के बारे में भी, पर नई पीढ़ी अकेली उन्नति करना चाहती है।
2. पूर्वजों का आदर-
पुरानी पीढ़ी अपने बड़ों तथा पूर्वजों का बहुत आदार करती थी पर समय के बदलाव के
साथ ही इस जीवन मूल्य में घोर गिरावट आई है। आज बुजुर्ग अपने ही घर में उपेक्षा के
शिकार हो रहे हैं।
3. परंपराओं से लगाव - पुरानी पीढ़ी अपनी संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज से लगाव रखती थी पर समय के साथ इसमें बदलाव आ गया है और परंपराएँ दकियानूसी लगने लगी हैं।
4. त्याग की भावना - पुरानी पीढ़ी के लोगों में त्याग की भावना मजबूत थी। वे दूसरों को सुखी देखने के लिए अपना सुख त्याग देते थे। पर बदलते समय में यह भावना विलुप्त होती जा रही है और स्वार्थ प्रवृत्ति प्रबल होती जा रही है। यह मनुष्यता के लिए हितकारी नहीं है।