उमाशंकर जोशी कवि परिचय , छोटा मेरा खेत बगुलों के पंख
उमाशंकर जोशी कवि परिचय
जन्म - 1911,
मृत्यु - 1988
जीवन परिचय -
उमाशंकर जोशी का जन्म गुजरात के साबरकांठा जिले के एक गाँव में 21 जुलाई 1911 को हुआ था।
शिक्षा –
इनकी औपचारिक शिक्षा खंडों में पूरी हुई। 1930 में असहयोग
आंदोलन में भाग लेने के लिए - विद्यालय छोड़ दिया था। बाद में 1936 में मुम्बई
विश्वविद्यालय से एम.ए. किया।
व्यक्तित्व-
उमाशंकर जोशी को राज्य सभा का सदस्य नामजद किया गया था। आप प्रतिभावान कवि एवं थे।
रचनाएँ-
विश्वशांति, गंगोत्री, निच, गुलेचेलांद प्राचीना आतिथ्य और बसंत वर्ष महाप्रस्थान, अभिज्ञा, सापनाभरा आदि।
भाषा-शैली —
गुजराती कविता और साहित्य को नई भंगिमा और नया स्वर देने
वाले हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा को उन्होंने कविता में स्थान दिया। गुजराती
कविता को प्रकृति से जोड़ा आम जिंदगी के अनुभव से परिचित कराया और नयी शैली दी।
साहित्य की दूसरी विधाओं में भी इसका योगदान बहुमूल्य था, खासकर साहित्य
आलोचना में।
साहित्य में स्थान—
इन्हें 1967 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनके द्वारा
रचित एक समालोचना कविनी बद्धा के लिए इन्हें 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया
गया। डी. लिट् की उपाधि से भी सम्मानित किया
छोटा मेरा खेत पाठ का संक्षिप्त परिचय
- इस कविता में कवि ने स्वयं को कृषक कहा है। काव्य रचना को किसान के कर्म से समानता की है। किसान के खेत की तरह मेरा छोटा खेत 'कागज का एक चौकोर पन्ना है। मेरे कागज के खेत में अंतद्वंद्र की आँधी से आने वाले विचारों, भावनाओं के बीज बोया जाता है।
- उन भावनाओं और विचारों में मैं अपनी कल्पना शक्ति का जोर देता हूँ जो किसान के खेतों के उर्वरक की भाँति कार्य करती है। अब मेरे विचारों के बीज गलने लगते हैं और शब्दों के अंकुर प्रस्फुटित होते हैं अर्थात् काव्य लेखन आरंभ हो जाता है। किसान के कर्म के अनुसार फसलें पुष्पित पल्लवित होकर (वृद्धि करके) लहलहाती फसल बनती है। उसी प्रकार मेरी काव्य कृति पूरी हो जाती है, फसलों में फल लगने लगते हैं जो जीवन के लिए पौष्टिक रसों से युक्त होते हैं। अब उन्हें कटाई कर लोगों के लिए अनाज निकालने का कार्य होता है उसी प्रकार कवि की काव्य कृति अब जनमानस के पठन-पाठन के लिए प्रदान कर दी जाती है। इसमें जीवन को अलौकिक आनंद देने वाला नीरसता से भरे लोगों को रस प्रदान करने वाला जीवन सँवारने वाली कविताएँ अमृत से भरी होती हैं जिनका कभी अंत नहीं होता है। क्षणभर में आए विचारों की कटाई, अर्थात् लोगों को रसानुभूति अनंत काल तक रहती है। चाहे जितना इसका रसास्वादन करते जाए। अक्षय पात्र की तरह है कवि की कागज की चौकोर खेत ।
बगुलों के पंख पाठ का संक्षिप्त परिचय
- प्रकृति की संध्या बेला का सौंदर्य चित्रण किया गया है, कवि की आँखों में आकाश में पंक्तिबद्ध उड़ने वाले बगुलों के पंख समा गए हैं। शाम को काले-काले बादलों के बीच उड़ने वाले सफेद बगुले तैरते हुए से प्रतीत होते हैं। यह मनोरम दृश्य कवि को अपनी माया में धीरे से बाँध लेते हैं, कवि स्वयं के इस माया बंधन से बचने के लिए गुहार लगाता है कि कोई मुझे बचा लो ये नयनाभिराम दृश्य मेरी आँखों को चुरा कर ले जा रहे हैं।