प्रयत्न के आधार पर प्रयत्न के आधार पर ध्वनियों के वर्ग | Hindi Sound classfication

Admin
0

प्रयत्न के आधार पर प्रयत्न के आधार पर ध्वनियों के वर्ग

प्रयत्न के आधार पर प्रयत्न के आधार पर ध्वनियों के वर्ग | Hindi Sound classfication



प्रयत्न के आधार पर प्रयत्न के आधार पर ध्वनियों के निम्नलिखित वर्ग हैं - 

1. स्पर्श (Explosive) -

  •  इसे 'स्फोटया 'स्फोटकभी कहते हैं। इसके उच्चारण में दो अंग (जैसे दोनों ओंठ या नीचे का ओंठ और ऊपर के दाँतया जीभ की नोक और दाँतया जीभ का पिछला भाग और कोमल तालु) एक दूसरे का स्पर्श करके हवा को रोकते हैं और फिर एक दूसरे से हटकर हवा को जाने देते हैं। स्पर्श ध्वनि का उच्चारण कभी तो पूर्ण होता हैकभी अपूर्ण। हिन्दी की कवर्गटवर्गतवर्गपवर्ग की ध्वनियों के साथ ही फारसी का क ध्वनि स्पर्शीय है। 

2. संघर्षी - 

  • संघर्षी ध्वनि में स्पर्श की तरह हवा का न तो पूर्ण अवरोध होता है और न ही स्वरों की भाँति वह अबाध रूप से मुँह से निकल जाती है। अतः इसकी स्थिति स्वरों और स्पर्श के बीच की है अर्थात दो अंग एक दूसरे के इतने समीप आ जाते हैं कि हवा दोनों के बीच घर्षण करके निकलती है। इसलिए इसे संघर्षी कहा जाता है। हिन्दी की श्सूष् तथा फारसी की फ़व्रज़ख़ग़ संघर्षी ध्वनियाँ हैं।

 

3. स्पर्श संघर्षी (Aricate) -

  •  जिन ध्वनियों के उच्चारण का आरम्भ स्पर्श से हो किन्तु हवा कुछ देर घर्षण के साथ निकलेवे स्पर्श संघर्षी कहलाती है। च्छ्ज्झू स्पर्श संघर्षी ध्वनियाँ हैं।

 

4. नासिक्य (Nasal) - 

  • इन ध्वनियों के उच्चारण में मुख-विवर के दो अंगों (स्पर्श की तरह) के स्पर्श के साथ हवा नाक के रास्ते बाहर निकलती है। इन्हें 'अनुनासिकभी कहते हैं। हिन्दी में ङमें नासिक्य व्यंजन हैं।

 

5. पार्श्विक (Lateral) - 

  • इसमें मुख-विवर के मध्य में कहीं भी दो अंगों के सहारे हवा अवरुद्ध कर देते हैं। फलतः हवा दोनों पार्थों से निकलती है। इसे 'पार्श्व ध्वनिभी कहते हैं। ल पार्श्विक व्यंजन है।

 

6. लुंठित (Rolled) -

  •  इसमें जीभ की नोंक को बेलन की तरह कुछ लपेट कर तालु का स्पर्श कराते हुए ध्वनि का उच्चारण होता है। इसे 'लोड़ितभी कहते हैं। र् लुंठित व्यंजन है।

 

7. उत्क्षिप्त (Flapped) - 

  • जीभ की नोंक को उलटकर तालु को झटके से मार उसे फिर सीधा कर लेने से उत्क्षिप्त ध्वनि उच्चारित होती है। ड़ढ़ उत्क्षिप्त व्यंजन ध्वनि हैं।

 

8. अर्द्धस्वर (Semi Vowel) - 

  • ये एक प्रकार से स्वर और व्यंजन के बीच की ध्वनियाँ हैं किन्तु ये स्वर की तुलना में कम मुखर हैंकम मात्रा वाली हैं। चूँकि इन ध्वनियों का उच्चारण का आरम्भ स्वर ध्वनि जैसा होता हैइसलिए इन्हें अर्द्धस्वर ध्वनि कहा जाता है। य्व् इसी कोटि की ध्वनि हैं।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top