संयुक्त व्यंजन क्या होते हैं ?
संयुक्त व्यंजन क्या होते हैं ?
दो या दो से अधिक व्यंजन से मिलकर बने व्यंजन को संयुक्त व्यंजन कहते हैं। मिलने वाले यदि दोनों व्यंजन एक हैं (जैसे चू चू = कच्चा) तो इसे दीर्घ या द्वित्व व्यंजन (Double Consonent) कहते हैं किन्तु यदि दोनों भिन्न-भिन्न (जैसे र् + द् = सर्दी) तो उसे संयुक्त व्यंजन (Compund Consonent) कहते हैं।
डॉ भोलानाथ तिवारी ने संयुक्त व्यंजन के दो भेद किए हैं -
- स्पर्श और स्पर्श संघर्षी या पूर्ण बाधा वाले तथा अन्य। इनके बारे में उनका मत है कि, 'संयुक्त व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजनों के मिलने से बनते हैं। मिलने वाले दोनों व्यंजन यदि एक हैं (जैसे क् + क्, पक्का) तो उस युक्त व्यंजन को दीर्घ या द्वित व्यंजन (long or doubleconsonent) कहते हैं, किन्तु यदि दोनों दो हैं (जैसे र् + म्, गर्मी) तो सयुक्त व्यंजन (compund consonent) कहते हैं।
- एक दृष्टि से व्यंजन के दो भेद किये जा सकते हैं: स्पर्श और स्पर्श संघर्षी या पूर्ण बाधा वाले तथा अन्य। स्पर्श और स्पर्श संघर्षी के द्वित्त्व में ऐसा होता है कि उसमें स्पर्श की प्रथम (हवा के आने और स्पर्श होने) और अन्तिम या तृतीय (उन्मोचन या स्फोट) स्थिति में तो कोई अंतर नहीं आता केवल दूसरी या अवरोध की स्थिति बड़ी हो जाती है। 'पक्का' में वस्तुतः दो 'क्' नहीं उच्चारित होते, अपितु 'क्' के मध्य की स्थिति अपेक्षाकृत बड़ी हो जाती है। इसलिए वैज्ञानिक दृष्टि से इस प्रकार के द्वित्त्वों की 'दो क्' आदि न कह कर 'क' का दीर्घ रूप या 'दीर्घव्यंजन क' या दीर्घ या प्रलम्बित 'क' कहना अधिक समीचीन है, क्योंकि दो 'क' तब कहलाते, जब दोनों की तीन-तीन स्थितियाँ घटित होतीं। स्पर्श संघर्षी 'च' आदि व्यंजनों के सम्बन्ध में भी यही स्थिति है। इस प्रकार बग्गी, बच्चा, लज्जा, भट्टी, अड्डा, पत्ती, गद्दी, थप्पड़, अप्पा आदि सभी के द्वित्त्व ऐसे ही हैं। महाप्राणों के इस रूप में द्वित्त्व नहीं होता। वस्तुतः (अन्य दृष्टियों में से एक) अल्पप्राण और महाप्राण ध्वनियों का अन्तर स्फोट के वायुःप्रवाह की कमी-बेशी के कारण होता है। अतः जब दो मिलेंगे तो पहले का स्फोट होगा नहीं, इस प्रकार वह अल्पप्राण हो जायगा।
- आशय यह है कि ख्ख, घ्घ, छछ, झ्झ, ठ्ठ, भ्भ आदि का उच्चारण हो ही नहीं सकता। उच्चारण में ये क्ख, गघ, ज्झ, ट्ठ, ब्भ हो जायेंगे, जैसे घग्घर, मच्छर, झज्झर, भब्भड़ आदि। अन्य प्रायः सभीव्यंजनों के द्वित्त्व में इस प्रकार की कोई बात नहीं होती, केवल उनकी दीर्घता बढ़ जाती है, जैसे –
- पन्ना, अम्मा, रस्सा, बर्रे, पिल्ला आदि।'
- विभिन्न आधारों पर व्यंजन ध्वनियों के वर्गीकरण के विस्तृत अध्ययन से आप व्यंजन ध्वनियों की उच्चारण प्रकृति के बारे में अच्छी तरह से परिचित हो गये होंगे।
स्मरण की सुविधा की दृष्टि से व्यंजन ध्वनियों का वर्गीकरण निम्नलिखित तालिका में संक्षेप में दिया जा रहा है -