विवरणात्मक पद्धतियाँ |Explanation Method

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विवरणात्मक पद्धतियाँ (Explanation Method)

 

विवरणात्मक पद्धतियाँ |Explanation Method

विवरणात्मक पद्धतियाँ

विवरणात्मक पद्धति से तात्पर्य प्रयोज्य अथवा घटना से सम्बन्धित पूर्ण विवरण को एकत्रित करके मूल्यांकन करने से होता है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित विधियाँ आती हैं- 

1. विकासात्मक पद्धति (Development Method)- 

  • इस विधि को उत्पत्तिमूलक विधि के नाम से भी पुकारते हैं। इस विधि में बालक की बुद्धि और विकास क्रम का अध्ययन किया जाता है। अतः शिक्षा मनोवैज्ञानिक बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से लेकर युवावस्था तक करता है, ताकि वह विकास सम्बन्धी नियमों का गठन कर सके। इस अध्ययन के द्वारा विकास क्रम में उत्पन्न परिवर्तन एवं प्रभावों की यथार्थता का पता लग जाता है। इसी आधार पर बालक के विकास की अवस्थाओं और विशेषताओं को आलेखित किया जा सका है।

 

2. उपचारात्मक विधि (Diagnostic Method)- 

  • इस विधि के द्वारा मानसिक बीमारियों एवं बौद्धिक अवनति के कारणों की जाँच की जाती है। मनोवैज्ञानिक मानसिक रोगियों के ऊपर इस विधि का प्रयोग करते हैं, ताकि रोग का सही पता लग सके। स्किनर ने लिखा हे कि उपचारात्मक विधि साधारणतः विशेष प्रकार से सीखने, व्यक्तित्व, व्यवहार, आचरण की जटिलताओं का अध्ययन करने और उनके समायोजन के लिये उपचारात्मक विधि का प्रयोग किया जाता है।

 

3. सांख्यिकीय विधि (Statistical Method) - 

  • अन्य यथार्थ विज्ञानों की तरह से ही शिक्षा मनोविज्ञान में सांख्यिकीय विधि का प्रयोग तथ्य एकत्रित करने और परिणाम निकालने में किया जाता है। इस विधि के प्रयोग से शिक्षा मनोविज्ञान की भविष्यवाणी करने की शक्ति में वृद्धि हुई है। इस विधि का प्रयोग निम्नांकित सोपानों में किया जाता है- 
  • आँकड़ों का संकलन, वर्गीकरण, व्यवस्था, विश्लेषण, परिणामों की व्याख्या, सामान्यीकरण और ग्राफ में उल्लिखित परिणाम प्रदर्शन।

 

4. मूल्यांकन की प्रविधियाँ (Evaluation Method) -

  • शिक्षा मनोविज्ञान विषय-सामग्री से सम्बन्धित आँकड़ों को एकत्रित करने के लिये मूल्यांकन प्रविधियों को भी अपनांता है। इसमें साक्षात्कार विधि, रेटिंग स्केल विधि, प्रश्नावली विधि, प्रमापीकृत परीक्षण, जाँच सूची, एनेकडोटल रिकार्ड्स जीवन-चरित्र गाथा आदि प्रमुख हैं।

 

5. जीवन इतिहास पद्धति (Case History Method) - 

  • इस पद्धति का प्रयोग किसी व्यक्ति विशेष की विलक्षणताओं को समझने के लिये स्वयं के विकास का लेखा-जोखा, परिवार के इतिहास आदि का अध्ययन किया जाता है। इस विधि के द्वारा मानसिक रोगों के कारणों का पता अच्छी प्रकार से लग जाता है। इस विधि में तथ्यों का एक भी कारण व्यक्ति से साक्षात्कार, परिवार से साक्षात्कार, मित्रों से जानकारी, विद्यालय से और पड़ोसियों आदि से प्राप्त किया जाता है; जैसे-यदि कोई बालक बाल अपराधी बन चुका है, तो उसके कारणों का पता पूरे इतिहास की छानबीन के द्वारा ही किया जा सकता है। वह क्यों और कैस बाल अपराधो बना ? 

  • शिक्षा मनोविज्ञान मानव के व्यवहार का वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन करता है। उसकी गतिशीलता, जटिलता एवं विकासशीलता के कारण एक प्रदत्त के लिये एक या विभिन्न विषयों का भी प्रयोग करना पड़ता है। अतः प्रत्येक पद्धति अपने-अपने कार्यों को करने में सफल सिद्ध हुई है।

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