संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक|Factors affecting emotional development

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संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक|Factors affecting emotional development


 

संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

संवेगात्मक विकास को कुछ कारक निरन्तर प्रभावित करते रहते हैं। ये कारक निम्नलिखित हैं-

 

1. बालक का स्वास्थ्य (Health of Child)- 

स्वस्थ्य बालकों के संवेगात्मक विकास में स्थिरता होती है। अस्वस्थ बालक अपने संवेगों पर नियन्त्रण कम रख पाते हैं। निर्बल बालक प्रायः चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं।

 

2. बालक का परिवार (Family of Child) - 

परिवार बालक की प्रथम पाठशाला होती है। बालक परिवार के सदस्यों से अनेक बातें सीखता है। परिवार के सदस्य जिस प्रकार के संवेगात्मक व्यवहार करते हैंबालक भी उसका अनुकरण करता है। जिस परिवार में झगड़े होते रहते हैंउस परिवार के बालक संवेगात्मक रूप से उत्तेजित रहते हैं।


3. माता-पिता का व्यवहार (Behaviour of Parents) - 

शिक्षित माता-पिता अपने बालकों की भावनाओं को समझते हैं। वे उसी के अनुसार उनसे व्यवहार करते हैं। इस प्रकार बालक के माता-पिता का दृष्टिकोण उसके संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करता है। बालक की उपेक्षा करने से उसमें संवेगात्मक अस्थिरता रहती है।

 

4. परिवार की निर्धनता (Poverty of Family)- 

जो बालक निर्धन परिवार से सम्बन्ध रखते हैंउनमें संवेगात्मक अस्थिरता रहती है। निर्धनता बालक में अनेक अशोभनीय संवेगों को स्थायी रूप प्रदान करती है। वे धनी बालकों से ईर्ष्या रखते हैं और उन्हें नीचा दिखाने का प्रयत्न करते हैं।

 

5. अध्यापक (Teacher)- 

अध्यापक का भी बालक के संवेगात्मक विकास पर विशेष महत्व पड़ता है। वह बालक के समक्ष जैसा व्यवहार करता हैबालक भी उसी का अनुसरण करते हैं। प्रत्येक अध्यापक को अपने संवेगों पर नियन्त्रण रखना चाहिए। अध्यापक का मानसिक स्वास्थ्य भी बालकों के संवेगात्मक विकास को प्रभावित करता है।

 

6. विद्यालय का वातावरण (Environment of School) -

 विद्यालय के वातावरण का भी बालकों के संवेगात्मक विकास पर प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय का वातावरण स्वस्थ्य हैतो बालकों के संवेगों का भी स्वस्थ विकास होता है।

 

7. मानसिक योग्यता (Mental Ability) -

 जो बालक मानसिक रूप से योग्य होते हैंउनका संवेगात्मक विकास सरलता से होता है। वे अपने संवेगों पर नियन्त्रण रख लेते हैं। वे भविष्य के सुख-दुःख का अनुभव कर लेते हैं। मन्द बुद्धि के बालक ऐसा नहीं कर पाते।

 

8. माता-पिता की सामाजिक स्थिति (Social Position of Parents) - 

माता-पिता की सामाजिक स्थिति भी बालकों के संवेगात्मक विकास को प्रभावित करती है। सामाजिक स्थिति और संवेगात्मक विकास में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। जिन बालकों के माता-पिता की सामाजिक स्थिति निम्न होती हैउनके व्यवहार में असन्तुलन पाया जाता है।

 

9. थकान (Weariness)- 

अपूर्ण पोषण के कारण जिन बालकों में प्रायः थकान रहती हैवे स्वभाव से बद्द्मिजाज और चिड़चिड़े हो जाते हैं। वे क्रोधी स्वभाव के हो जाते हैंप्रायः उनका व्यवहार अवांछनीय हो जाता है।

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