वातावरण का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Environment)

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वातावरण के बारे में आप क्या जानते हैंबालक पर वातावरण का क्या प्रभाव पड़ता है ?

वातावरण का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Environment)


 

 

वातावरण का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Environment)

 

  • वातावरण के लिए पर्यावरण शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। 'पर्यावरणदो शब्दों से मिलकर बना है- 'परि' + 'ऑवरण'। 'परिका अर्थ है- 'चारों' 'ओरएवं 'आवरणका अर्थ है 'ढकने वालाइस प्रकार पर्यावरण या 'वातावरणवह वस्तु है जो चारों ओर से ढके या घेरे हुए है। अतः हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ हैवह उसका वातावरण है। इसमें वे सब तत्त्व सम्मिलित किए जा सकते हैंजो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

 

हम 'वातावरणके अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ परिभाषायें दे रहे हैंयथा-

 

1. बोरिंग लैंगफील्ड व वेल्ड- "पित्र्यैकों के अलावा व्यक्ति को प्रभावित करने वाली वस्तु वातावरण है।"

 

2. वुडवर्थ- "वातावरण में वे सब बाहा तत्त्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरम्भ करने के समय से प्रभावित किया है।"

 

3. डगलस व हॉलैण्ड- "वातावरण शब्द का प्रयोग उन सब बाह्य शक्तियोंप्रभावों और दशाओं का सामूहिक रूप से वर्णन करने के लिए किया जाता हैजो जीवित प्राणियों के जीवनस्वभावव्यवहार बुद्धि विकास और परिपक्वता पर प्रभाव डालते है।"

 

4. रॉस-"वातावरण यह बाहरी शक्ति है जो हमें प्रभावित करती हैं।"

 

5. जिस्बर्ट- वातावरण वह हर वस्तु है जो किस अन्य वस्तु को घेरे हुए है और उस पर सीधे अपना प्रभाव डालती है।"

 

6. एनास्टसी- "वातावरण वह हर वस्तु है जो व्यक्ति के पित्र्यैकों के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करता है।""

 

7. मैकाइवर एवं पेज - स्वयं प्राणीउसके जीव का ढाँचाबीते हुए जीवन एवं अतीत पर्यावरण का फल है। पर्यावरणजीवनके प्रारम्भ से यहाँ तक कि उत्पादक कोषों में भी निहित है।

 

इन परिभाषाओं का सार इस प्रकार है-

 

1. वातावरण व्यक्ति को प्रभावित करने वाला तत्त्व है। 

2. इसमें बाह्य तत्त्व आते हैं। 

3. वातावरण किसी एक तत्त्व का नहीं अपितु एक समूह तत्त्व का नाम है। 

4. यह वह हर वस्तु है जो व्यक्ति को प्रभावित करती है।

 

इस दृष्टि से वातावरण व्यक्ति को उसके विकास में वांछित सहायता प्रदान करता है।

 

बालक पर वातावरण का प्रभाव (Influence of Environment of Child) 

पाश्चात्य मनोवैज्ञानिकों ने वातावरण के महत्त्व के सम्बन्ध में अनेक अध्ययन और परीक्षण किए है। इनके आधार पर उन्होंने सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर भौगोलिक सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है। भारतीय मनोवैज्ञानिकों के एक अध्ययन के अनुसार 1971 की आई. ए. एस. (I.A.S.) की परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले छात्रों में से आधे से अधिक के अभिभावको की मासिक आय 10 हजार रुपये या इससे अधिक थी और 44% ने पब्लिक स्कूलों में शिक्षा प्राप्त की थी। हम यहाँ कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रभाव का वर्णन कर रहे हैं-

 

1. शारीरिक अन्तर पर प्रभाव-

फ्रेंज बोन्स (Franz Bons) का मत है कि विभिन्न प्रजातियों के शारीरिक अन्तर का कारण वंशानुक्रम न होकर वातावरण है। उसने अनेक उदाहरण देकर सिद्ध किया है कि जो जापानी और यहूदीअमरीका में अनेक पीढ़ियों से निवास कर रहे हैंउनकी लम्बाई भौगोलिक वातावरण के कारण बढ़ गयी है।

 

2. मानसिक विकास पर पभाव-

गोर्डन (Gordon) का मत है. कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण न मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है। उसने यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध की। इन बच्चों का वातावरण गन्दा और समाज के अच्छे प्रभावों से दूर था।

 

3. प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव-

क्लार्क (Clark) का मत है कि कुछ प्रजातियों की बौद्धिक श्रेष्ठता का कारण वंशानुक्रम न होकर वातावरण है। उसने यह बात अमरीका के कुछ गोरे और नीग्रो लोगों की बुद्धि-परीक्षा लेकर सिद्ध की। उसके समान अनेक अन्य विद्वानों का मत है कि नीग्रो प्रजाति की बुद्धि का स्तर इसलिए निम्न हैक्योंकि उनको अमरीका की श्वेत प्रजाति के समान शैक्षिकसांस्कृतिक और सामाजिक वातावरण उपलब्ध नहीं है।

 

4. बुद्धि पर प्रभाव-

कैंडोल (Candolle) का मत है कि बुद्धि के विकास में वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण का प्रभाव कहीं अधिक पड़ता है। उसने यह बात 552 विद्वानों का अध्ययन करके सिद्ध की। ये विद्वान लन्दन की 'रॉयल सोसायटीपेरिस की 'विज्ञान अकादमीऔर बर्लिन की 'रायल अकादमीके सदस्य थे। इन सदस्यों को प्राप्त होने वाले वातावरण के सम्बन्ध में कैन्डोल ने लिखा है- "अधिकांश सदस्य धनी और अवकाश-प्राप्त वर्गों के थे। उनको शिक्षा की सुविधाएँ थीं और उनको शिक्षित जनता एवं उदार सरकार से प्रोत्साहन मिला।" 

स्टीफन्स (Stephens) का मत है कि जिन बालकों को निम्न वातावरण से हटाकर उत्तम वातावरण में रखा जाता हैउन सबकी बुद्धि-लब्धि (I.Q.) में वृद्धि हो जाती है। वातावरण-परिवर्तन के समय बालक की आयु जितनी कम होती हैउनमें प्रायः उतना ही अधिक विशेष परिवर्तन होता है।

 

5. व्यक्तित्व पर प्रभाव-

कूले (Colley) का मत है कि व्यक्तित्व के निर्माण में वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है। उसने सिद्ध किया है कि कोई भी व्यक्ति उपर्युक्त वातावरण में रहकर अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके महान बन सकता है। उसने यूरोप के 71 साहित्यकारों के उदाहरण देकर बताया है कि बनयान (Banyan) और बर्न्स (Burns) का जन्म निर्धन परिवारों में हुआ थाफिर भी वे अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके महान् बन सके। इसका कारण केवल यह था कि उनके माता-पिता ने उनको उत्तम वातावरण में रख।

 

6. अनाथ बच्चों पर प्रभाव-

समाज कल्याण केन्द्रों में अनाथ और परावलम्बी बच्चे आते हैं। वे साधारणतः निम्न परिवारों के होते हैंपर केन्द्रों में उनका अच्छी विधि से पालन किया जाता हैउनको अच्छे वातावरण में रखा जाता है और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है। इस प्रकार के वातावरण में पाले जाने वाले बच्चों के सम्बन्ध में वुडवर्थ ने लिखा है- "वे समग्र रूप में अपने माता-पिता से अच्छे ही सिद्ध होते हैं।"

 

7. जुड़वाँ बच्चों पर प्रभाव-

जुड़वाँ बच्चों के शारीरिक लक्षणों- मानसिक शक्तियों और शैक्षिक योग्यताओं में अत्यधिक समानता होती है। न्यूमैनफ्रीमैन और होलजिंगर ने 20 जोड़े जुड़वाँ बच्चों को अलग-अलग वातावरण में रखकर उनका अध्ययन किया। उन्होंने एक जोड़े के एक बच्चे को गाँव के फार्म पर और दूसरे को नगर में रखा। बड़े होने पर दोनों बच्चों में पर्याप्त अन्तर पाया गया। फार्म का बच्चा अशिष्टचिन्ताग्रस्त और कम बुद्धिमान था। उसके विपरीतनगर का बच्चा शिष्टचिन्तामुक्त और अधिक बुद्धिमान था।

 

स्टीफैन्स का विचार है- "इस प्रकार के अध्ययनों से हम यह निर्णय कर सकते हैं कि पर्यावरण का बुद्धि पर साधारण प्रभाव होता है और उपलब्धि पर अधिक विशेष प्रभाव होता है।"

 

8. बालक पर बहुमुखी प्रभाव- 

वातावरणबालक के शारीरिकमानसिक सामाजिकसंवेगात्मक आदि सभी अंगों पर प्रभाव डालता है। इसकी पुष्टि 'एवेरॉन के जंगली बालकके उदाहरण से की जा सकती है। इस बालक को जन्म के बाद ही भेड़िया उठा ले गया था और उसका पालन-पोषण जंगली पशुओं के बीच में हुआ था। कुछ शिकारियों ने उसे सन् 1799 ई. में पकड़ लिया। उस समय उसकी आयु 11 या 12 वर्ष की थी। उसकी आकृति पशुओं की सी थी और वह उनके समान हाथो-पैरों से चलता था। वह कच्चा माँस खाता था। उसमें मनुष्य के समान बोलने और विचार करने की शक्ति नहीं थी। उसको मनुष्य के समान सभ्य और शिक्षित बनाने के सब प्रयास विफल हुए।

 

भारत में रामू नामक भेड़िया बालक एवं अमला तथा कमला नामक भेड़िया बालिकाओं के उदाहरण वातावरण का महत्त्व सिद्ध करते हैं। कास्पर हाउजर (Casper Houser) नामक राजकुमार को शैशवावस्था से राजनैतिक कारणों से समाज से पृथक रखा गया। वह केवल उन्हीं ध्वनियों कोजिन्हें उसने सुना होगाउच्चरित कर सकता था।

 

वातावरण के संचयी प्रभाव का उल्लेख करते हुए स्टीफन्स (Stepnens) ने लिखा है-

एक बच्चा जितने अधिक समय उत्तम पर्यावरण में रहता हैवह उतना ही अधिक इस पर्यावरण की ओर प्रवृत्त होता है। यदि एक बच्चा चतुर माता-पिता के साथ अधिक समय तक रहता हैतो वह उतना ही अधिक चतुर होता है। इसी प्रकारजितने अधिक समय वह हानिकारक पर्यावरण में रहता हैप्रायः उतना ही वह राष्ट्रीय मान से गिर जाता है। पहली दृष्टि में इसमें पर्यावरण के प्रभाव का निस्सन्देह प्रमाण प्राप्त होता है। परन्तु हमें इस बात को भी स्मरण रखना चाहिए कि पिता के साथ बच्चे की समानतालम्बाई में और दाढ़ी के रंग में भी आयु के साथ बढ़ती जायगीअर्थात् उक्त समानता की वृद्धि का कुछ अंश आनुवंशिकता की परिपक्वता के कारण हो सकता है।"

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