वंशानुक्रम का अर्थ बताते हुए परिभाषाएँ दीजिए। बालक पर वंशानुक्रम का क्या प्रभाव पड़ता है?
वंशानुक्रम का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Heredity)
साधारणतया लोगों का विश्वास है कि जैसे माता-पिता होते हैं, वैसी ही उनकी सन्तान होती है। इसका अभिप्राय यह है कि बालक रंग, रूप, आकृति, विद्वता आदि में माता-पिता से मिलता-जुलता है। दूसरे शब्दों में उसे अपने माता-पिता के शारीरिक और मानसिक गुण प्राप्त होते हैं। उदाहरणार्थ यदि माता-पिता विद्वान हैं, तो बालक भी विद्वान होता है। पर यह भी देखा जाता है कि विद्वान माता-पिता का बालक मूर्ख और मूर्ख माता-पिता का बालक विद्वान् होता है। इसका कारण यह है कि बालक को न केवल अपने माता-पिता से वरन् उनसे पहले के पूर्वजों से भी अनेक शारीरिक और मानसिक गुण प्राप्त होते हैं। इसी को हम वंशानुक्रम, वंश-परम्परा, पैतृकता, आनुवंशिकता आदि नामों से पुकारते हैं।
हम वंशानुक्रम के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ परिभाषाएँ दे रहे है, यथा-
1. बी.एन. झा- "वंशानुक्रम की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।"
2. बुडवर्थ- "वंशानुक्रम में वे सभी वातों आ जाती है, जो जीवन का आरम्भ करते समय, जन्म के समय नहीं वरन् गर्भाधान के समय, जन्म से लगभग नौ माह पूर्व, व्यक्ति में उपस्थित थीं।"
3. डगलस एवं हॉलैण्ड- "एक व्यक्ति से वंशानुक्रम में वे सब शारीरिक बनावटें, शारीरिक विशेषताएँ, क्रियाएँ या क्षमताएँ सम्मिलित रहती हैं, जिनको वह अपने माता-पिता, अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करता है।
4. रूथ बेंडिक्ट - "वंशानुक्रम माता-पिता से सन्तान को प्राप्त करने वाले गुणों का नाम है।"
5. जेम्स ड्रेवर- माता-पिता की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का सन्तानों में हस्तांतरण होना वंशानुक्रम हैं।
6. पी. जिस्बर्ट- "प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता द्वारा संतानों में कुछ जैवकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करना है। इस प्रकार हस्तांतरित विशेषताओं की मिली-जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है।"
7. एच. ए. पीटरसन - "व्यक्ति को अपने माता-पिता से पूर्वजों की जो विशेषतायें प्राप्त हैं, उसे वंशक्रम कहते हैं।"
8. जे. ए. थाम्पसन - "वंशानुक्रम, क्रमबद्ध पीढ़ीयों के बीच उत्पत्ति सम्बन्धी, सम्बन्ध के लिये सुविधाजनक शब्द है।"
इन परिभाषाओं पर विचार करने पर यह स्पष्ट है कि वंशक्रम की धारणा का स्वरूप अमूर्त हैं। इसकी अनुभूति व्यवहार तथा व्यक्ति की अन्य शारीरिक, मानसिक विशेषताओं द्वारा ही होती है।
बालक पर वंशानुक्रम का प्रभाव (Influence of Heredity on Child)
पाश्चात्य मनोवैज्ञानिकों ने वंशानुक्रम के महत्व के सम्बन्ध में अनेक अध्ययन और परीक्षण किए हैं। इनके आधार पर उन्होंने सिद्ध किया है कि बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू पर वंशानुक्रम का प्रभाव पड़ता है। हम यहाँ कुछ मुख्य मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रभाव का वर्णन कर रहे हैं-
1. मूल-शक्तियों पर प्रभाव-थार्नडाइक का मत है कि बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारण उसका वंशानुक्रम है।
2. शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव-कार्ल पीयरसन कां मत है कि यदि माता-पिता की लम्बाई कम या अधिक होती है तो उनके बच्चे की भी लम्बाई कम या अधिक होती है।
3. प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव-क्लिनवर्ग का मत है कि बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है। यही कारण है कि अमरीका की श्वेत प्रजाति नीग्रो प्रजाति से श्रेष्ठ है।
4. व्यावसायिक योग्यता पर प्रभाव-कैटल का मत है कि व्यावसायिक योग्यता का मुख्य कारण वंशानुक्रम है। वह इस निष्कर्ष पर अमरीका के 885 वैज्ञानिकों के परिवारों का अध्ययन करने के परिणामस्वरूप पहुँचा। उसने बताया कि इन परिवारों में से 2/5 व्यवसायी- वर्ग के, 1/2 उत्पादक-वर्ग के और केवल 1/4 कृषि-वर्ग के थे।
5. सामाजिक स्थिति पर प्रभाव- विनशिप (Winship) का मत है कि गुणवान और प्रतिष्ठित माता-पिता की सन्तान प्रतिष्ठा प्राप्त करती है। वह इस निष्कर्ष पर रिचर्ड एडवर्ड (Richard Edward) के परिवार का अध्ययन करने के बाद पहुँचा। रिचर्ड स्वयं गुणवान और प्रतिष्ठित मनुष्य था एवं उसने एलिजाबेथ (Elizsabeth) नामक जिस स्त्री से विवाह किया था, वह भी उसी के समान थी। इन दोनों के वंशजों को विधान-सभा के सदस्यों महाविद्यालयों के अध्यक्षों आदि के प्रतिष्ठित पद प्राप्त हुए। उनका एक वंशज अमरीका का उपराष्ट्रपति बना।
6. चरित्र प्रभाव-डगडेल कता मत है कि चरित्रहीन माता-पिता की सन्तान चरित्रहीन होती है। उसने यह बात सन् 1877 ई. में ज्यूक (jukes) के वंशजों का अध्ययन करके सिद्ध की। 1720 में न्यूयार्क में जन्म लेने वाला ज्यूकस एक चरित्रहीन मनुष्य था और उसकी पत्नी भी उसके समान चरित्रहीन थी। इन दोनों के वंशजों के सम्बन्ध में नन ने लिखा है- "पाँच पीढ़ियों में लगभगल 1,000 व्यक्तियों में से 300 बाल्यावस्था में मर गए, 310 ने 2,300 वर्ष दरिद्रगृहों में व्यतीत किए, 440 रोग के कारण मर गए, 130 (जिनमें 7 हत्या करने वाले थे) दण्ड-प्राप्त अपराधी थे और केवल 20 ने कोई व्यवसाय करना सीखा।"
7. महानता पर प्रभाव-गाल्टन (Galton) का मत है कि व्यक्ति की महानता का कारण उसका वंशानुक्रम है। यह वंशानुक्रम का ही परिणाम है कि व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में विभिन्नता दिखाई देती है। व्यक्ति का कद, वर्ण, वजन, स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति आदि उसके वंशानुक्रम पर आधारित रहते हैं। गाल्टन ने लिखा है- "महान् न्यायाधीशों, राजनीतिज्ञों, सैनिक पदाधिकारियों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों और खिलाड़ियों के जीवन-चरित्रों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि इनके परिवारों में इन्हीं क्षेत्रों में प्रशंसा-प्राप्त अन्य व्यक्ति भी हुए हैं।"
8. वृद्धि पर प्रभाव-गोडार्ड (Goddard) का मत है कि मन्द-बुद्धि माता-पिता की सन्तान मन्द-बुद्धि और तीव्र बुद्धि माता-पिता की संतान तीव्र बुद्धि वाली होती है। उसने यह बात कालीकॉक (Kallikak) नामक एक सैनिक के वंशजों का अध्ययन करके सिद्ध की। कालीकॉक ने पहले एक मन्द बुद्धि स्त्री से और कुछ समय के बाद एक तीव्र बुद्धि की स्त्री से विवाह किया। पहली स्त्री के 480 वंशजों में से 143 मन्द-बुद्धि, 46 सामान्य 36 अवैध सन्तान, 32 वेश्यायें, 24 शराबी, 8 वेश्यालय स्वामी, 3 मृगी-रोग वाले और 3 अपराधी थे। दूसरी स्त्री के 496 वंशजों में से केवल 3 मन्द-बुद्धि और चरित्रहीन थे। शेष ने व्यवसायियों, डाक्टरों, शिक्षकों, वकीलों आदि के रूप में समाज में सम्मानित स्थान प्राप्त किए।
वंशानुक्रम के समन्वित प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कोलेसनिक (Kolesnik) (p. 71) ने लिखा है-
- जिस सीमा तक व्यक्ति की शारीरिक रचना को उसके पित्र्यैक निश्चित करते हैं, उस सीमा तक उसके मस्तिष्क एवं स्नायु-संस्थान की रचना, उसके अन्य लक्षण उसकी खेल-कूद सम्बन्धी कुशलता और उसकी गणित-सम्बन्धी योग्यता- ये सभी बाते उसके वंशानुक्रम पर निर्भर होती है, पर वे बातें उसके वातावरण पर कहीं अधिक निर्भर होती हैं।
- मनोवैज्ञानिक प्रयोगों ने यह सिद्ध कर दिया है कि व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक विकास पर वंशानुक्रम का पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव पित्र्यैक (Genes) के कारण व्यक्ति के शारीरिक लक्षणों पर प्रकट होता है। आन्तरिक प्रेरक तत्त्व उसके स्वभाव को निर्धारित करते हैं। डगडेल के अध्ययन ने सिद्ध कर दिया है कि चरित्रहीन माता-पिता की संतान, चरित्रहीन होती है। स्वस्थ बौद्धिक तथा मानसिक स्थिति भी वंशक्रम की देन हैं।