जनसंचार माध्यम |Media and student development

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जनसंचार माध्यमों से आप क्या समझते हैंजनसंचार माध्यम बालक के विकास में किन-किन क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हैं?

जनसंचार माध्यम |Media and student development


 

जनसंचार माध्यम (Media) 

जनसंचार माध्यमों का भी बालक के विकास पर प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। टेलीविजन का प्रभाव तो आजकल बालक पर तीन या चार वर्ष की आयु से ही पड़ने लगता है। रेडियोटेंपरिकॉर्डरचलचित्रमोवाईल फोन आदि का प्रभाव बालक पर बहुत पहले से ही पड़ने लगा है। आजकलसमाचार-पत्रपत्रिकाओं तथा पुस्तकों का प्रभाव विद्यालय में प्रवेश एवं अध्ययन करने के बाद पड़ता है क्योंकि इन साधनों के लिए शैक्षिक ज्ञान की जरूरत होती है। बालक जब पढ़ना सीख जाता है तब इन संचार साधनों से प्रभावित होता है। इस प्रकार बाल-विकास में संचार साधनों की भूमिका को वर्तमान समय में पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया गया है।

 

बालक के विकास में संचार साधनों की भूमिका को निम्नलिखित शीर्षकों द्वारा समझा जा सकता है-

 

1. सृजनात्मक विकास पर संचार साधनों का प्रभाव 

संचार साधन बालक के सृजनात्मक विकास में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। टेलीविजन पर ज्ञानदर्शन के माध्यम से शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। उसमें विभिन्न आकृतियों के निर्माण तथा विज्ञान सम्बन्धी प्रयोगों का प्रसारण होता है। इन कार्यक्रमों को देखकर वालकों में सृजनात्मकता का विकास होता है।

 

2. संवेगात्मक विकास पर संचार साधनों का प्रभाव-

वालक संचार साधनों के माध्यमों से विभिन्न प्रकार की कहानियाँकविताएँ तथा नाटकों को आत्मसात करता है। उनके संवेगों की स्थिरता तथा स्वयं के संवेगों पर नियन्त्रण रखकर उनको देखता तथा सुनता है। इसके सुखद तथा अच्छे परिणामों से परिचित होता है। इससे बालक संवेगात्मक स्थिरता तथा संवेगों पर नियन्त्रण रखना सीखता है।

 

3. दक्षताओं के विकास पर संचार साधनों का प्रभाव

कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट के माध्यम से आज छात्र अनेक प्रकार के खेलकूद या पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। टेलीविजन पर स्पोर्ट चैनल तथा पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं से सम्बन्धित विभिन्न चैनलों को देखकर वालक विभिन्न क्षेत्रों में दक्षताओं को प्राप्त कर सकता है। छात्र कम्प्यूटर पर ड्राईंग प्रोग्रम के माध्यम से ड्राईंग में दक्षता प्राप्त करता है। इससे सिद्ध होता है कि संचार साधन बालकों में विभिन्न प्रकार की दक्षताओं का विकास कर सकते हैं।

 

4. शैक्षिक विकास पर संचार साधनों का प्रभाव

कम्प्यूटर तथा इण्टरनेट के माध्यम से हम विश्व के किसी भी देश में शैक्षिक कार्यक्रमों को देख-सुन सकते हैं जिसके द्वारा वालक अपनी रुचि तथा इच्छा के अनुसार शैक्षिक गतिविधियों का निरीक्षण कर सकते है। इसके अलावा पत्रिकाओं तथा रेडियो पर भी विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम आते हैं। टेलीविजन पर भी विज्ञान तथा गणित से सम्बन्धित शैक्षिक कार्यक्रम आते हैं। इन सभी से बालकों का शैक्षिक विकास बहुत तेजी से होता है।

 

5. शारीरिक विकास पर संचार साधनों का प्रभाव

आधुनिक समय में संचार साधनों के द्वारा बालकों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचनाएँ प्राप्त होती हैंजिनके माध्यम से बालक अपने शारीरिक विकास को सन्तुलित रूप प्रदान कर सकते हैं। जैसे-टेलीविजन पर योगाभ्यास के कार्यक्रमों तथा आसनों के माध्यम से बालक अपनी शारीरिक विकृतियों को दूर कर सकता है तथा अपने शरीर का सन्तुलित विकास कर सकता है।

 

6. भाषायी विकास पर संचार साधनों का प्रभाव-

बालकों के भाषायी विकास पर भी संचार साधनों का विशेष प्रभाव पड़ता हैक्योंकि भाषायी विकास में श्रवण का महत्वपूर्ण स्थान है। संचार साधनों में कुछ साधन ऐसे होते हैं जो श्रव्य दृश्य हैं। जैसे-चलचित्रटेलीविजनइण्टरनेट एवं वीडियो आदि। इस प्रकार के साधन बालकों के भाषायी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैक्योंकि इसमें बालक भाषा के शब्दों के उच्चारण की प्रक्रिया तथा बोलने वाले व्यक्ति के हावभाव को समझ सकता है।

 

7. मानसिक विकास पर संचार साधनों का प्रभाव-

बालक के मानसिक विकास में भी संचार साधनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संचार साधनों के द्वारा बालक नवीन तथ्यों का ज्ञान प्राप्त करते हैंजिनसे उनमें तर्क तथा चिन्तन शक्ति का विकास होता है। टी.वी. के माध्यम से बालक नई घटनाओं का ज्ञान प्राप्त करते हैं। जैसे-डिस्कवरी चैनल द्वारा उनमें तर्क तथा चिन्तन शक्ति विकसित होती है। कई कार्यक्रम वे इण्टरनेट तथा वेबसाइटों के माध्यमों से देखते हैंइससे उनका सन्तुलित मानसिक विकास होता है।

 

8. चारित्रिक विकास पर संचार साधनों का प्रभाव-

संचार साधनों में विभिन्न साधन ऐसे होते हैंजिनके द्वारा बालक का चारित्रिक विकास सम्भव होता है। जैसे-समाचार-पत्र तथा पत्रिकाओं में विभिन्न कहानियाँलघु कथाएँ निकलती रहती हैंजिन्हें पढ़कर अथवा सुनकर बालक अपने अन्दर त्यागसहयोगप्रेमपरोपकारदया जैसे विभिन्न चारित्रिक गुणों को समाहित करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि चारित्रिक विकास पर भी जनसंचार साधनों का प्रभाव पड़ता है।

 

9. सामाजिक विकास पर संचार साधनों का प्रभाव 

जनसंचार माध्यमों से सामाजिक तथा सांस्कृतिक सामग्रियों का प्रचार किया जाता है। इस तरह उससे बाल-विकास भी प्रभावित होता है। इस प्रकार के कार्यक्रम देखकर बालकों में भी सामाजिक गुणों का विकास होता है। बालकों द्वारा टेलीविजन देखते समय विभिन्न नाटक तथा फिल्में देखी जाती हैजिनमें हमारे सांस्कृतिक तथा सामाजिक जीवन की झाँकी दिखाई देती है।

 

10. मूल्यों के विकास पर संचार साधनों का प्रभाव-

संचार साधनों के द्वारा सामाजिक मूल्यजीवन मूल्यनैतिक मूल्य तथा मानवीय मूल्यों को अनेक प्रकार की कथाओं तथा नाटकों के माध्यम से विकसित किया जाता है। इन नाटकों को देखकर छात्र अपने विवेक से उन गुणों को जो उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं अपने अन्दर समाहित करते हैं।

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